World IVF day 2020: जानें क्या है IVF तकनीक और इस प्रक्रिया से जुड़ी जरूरी बातें
आधुनिक जीवनशैली से जुडी व्यस्तता ने जिन समस्याओं को जन्म दिया है इन्फर्टिलिटी भी उन्हीं में से एक है। खासतौर से महानगरों में निसंतान दंपतियों की तादाद बहुत तेजी से बढ रही है।
स्ट्रेसफुल लाइफस्टाइल, करियर की मारामारी, देर से शादी और उसके बाद भी लंबे समय तक फैमिली प्लानिंग न करने का फैसला आगे चलकर महिलाओं से लेकर पुरुषों तक में इन्फर्टिलिटी की बड़ी वजह बनता जा रहा है। जिससे लोग हताश हो रहे हैं लेकिन अब ये सारी समस्याएं लाइलाज नहीं। क्योंकि आइवीएफ तकनीक ऐसे कपल के लिए वरदान साबित हो रही है। जानेंगे क्या है IVF और कैसे पूरी होती है यह प्रक्रिया।
क्या है आइवीएफ
आइवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन, संतानहीनता से जूझ रहे दंपतियों के लिए कारगर इलाज है। इसके तहत स्त्री के शरीर से एग्स निकालकर प्रयोगशाला में उनका मेल पति के स्पर्म्स से कराया जाता है। यह प्रक्रिया इस तरह पूरी की जाती है :
1- पीरियड्स के बीसवें दिन से स्त्री को ऐसे इंजेक्शन दिए जाते हैं, जिससे उसके शरीर में एक से ज्य़ादा एग्स का विकास किया जा सके।
2- इसके के बाद सोनोग्राफी की मदद से यह जांच की जाती है कि एग्स परिपक्व हुए या नहीं। परिपक्व होने पर इन्हें निकाल लिया जाता है। एग्स निकालने से कुछ घंटे पहले स्त्री के पति के सीमन से कुछ अच्छी गुणवत्ता वाले स्पर्म्स को अलग कर उन्हें एग्स से मिलाकर कल्चर डिश में डाल दिया जाता है। फिर यह डिश इनक्यूबेटर में सुरक्षित रख दी जाती है। निषेचन की प्रक्रिया से बने भ्रूण (एम्ब्रियो) को चार कोशिकाओं के स्तर तक प्रयोगशाला में रखा जाता है। 48 घंटे बाद इसे स्त्री के यूट्रस में प्रत्यारोपित किया जाता है।
3- गर्भधारण की इस प्रक्रिया के पूर्ण होने के दो हफ्ते बाद स्त्री का प्रेग्नेंसी टेस्ट करवाकर यह सुनिश्चित किया जाता है कि भ्रूण ने सही विकास आरंभ किया है या नहीं। गर्भधारण की शुरुआत में ही हॉर्मोंस दिए जाते हैं, ताकि भ्रूण का सही ढंग से विकास हो सके और गर्भपात की आशंका न हो। इन्हीं दिनों सभी सामान्य परीक्षण भी किए जाते हैं, जो कि उसके स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी हैं।
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