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World Breastfeeding Week: ब्रेस्टफीडिंग से मां और बच्चे को होते हैं ये 6 फायदे!

World Breastfeeding Week स्तनपान से मां और बच्चे दोनों को ही अमूल्य संतुष्टि हासिल होती है। WHO के अनुसार शिशु को 6 महीने तक सिर्फ स्तनपान कराना चाहिए और इसके बाद दो साल की उम्र तक अन्य आहार के साथ स्तनपान कराना चाहिए।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Fri, 06 Aug 2021 06:46 PM (IST)Updated: Fri, 06 Aug 2021 06:46 PM (IST)
World Breastfeeding Week: ब्रेस्टफीडिंग से मां और बच्चे को होते हैं ये 6 फायदे!
ब्रेस्टफीडिंग से मां और बच्चे को होते हैं ये 6 फायदे

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। World Breastfeeding Week: आजकल नवजात बच्चों के लिए फॉर्मुला दूध काफी लोकप्रीय हो गया है। ये काफी हद तक मां के दूध जैसा ही होता है, लेकिन फिर भी इसकी तुलना मां के दूध से नहीं की जा सकती। स्तनपान कराने के पीछे का उद्देश्य सिर्फ बच्चे का पेट भरना ही नहीं है, ये मां और बच्चे के रिश्ते के लिए भी बेहद अहम साबित होता है। स्तनपान से मां और बच्चे दोनों को ही अमूल्य संतुष्टि हासिल होती है। WHO के अनुसार शिशु को 6 महीने तक सिर्फ स्तनपान कराना चाहिए और इसके बाद दो साल की उम्र तक अन्य आहार के साथ स्तनपान कराना चाहिए। जो माएं स्तनपान नहीं करा पातीं या फिर इच्छुक नहीं होती, उन्हें और बच्चे को कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

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हर साल अगस्त के पहले हफ्ते को विश्व स्तनपान दिवस के रूप में मनाया जाता है, ताकि लोगों को स्तनपान के फायदों के बारे में जागरुक किया जा सके।

आइए जानें मां और बच्चे को स्तनपान से होने वाले फायदों के बारे में:

डॉ. रंजना शर्मा, सीनियर कंसलटेन्ट, ऑब्सटेट्रिस एवं गायनेकोलोजी, इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स ने कहा, "मां का दूध बच्चे की सेहत के लिए सबसे अच्छा होता है। पोषक तत्वों, एंटी-ऑक्सीडेंट्स, एंज़ाइम्स और रेडीमेड एंटीबॉडीज़ से भरपूर इस दूध को बच्चा आसानी से पचा भी पाता है। मां का परिपक्व इम्यून सिस्टम एंटीबॉडीज़ बनाता है। ये एंटीबॉडीज़ मां के दूध में होते हैं, जो बच्चे को बीमारियों से सुरक्षित रखते हैं। एक बच्चे को दो साल या इससे अधिक उम्र तक स्तनपान कराया जा सकता है, इसमें न सिर्फ उच्च गुणवत्ता के पोषक तत्व होते हैं, बल्कि यह बच्चे को इंफेक्शन से भी सुरक्षित रखता है। मां की बात करें तो स्तनपान कराने से बच्चे के जन्म के बाद मां का वज़न जल्दी कम हो जाता है, इससे प्रसव के बाद रक्तस्राव कम हाता है और साथ ही प्रसव के बाद अवसाद की संभावना नहीं होती।"

1. विकास और पोषण की स्थिति में सुधार करता है: मां का दूध पोषण तत्वों से भरपूर होता है और ये नवजात के विकास के लिए शुरुआती कुछ महीनों में काफी होता है।  

2. दस्त और श्वसन से जुड़े संक्रमण का ख़तरा कम होता है: मां का दूध बच्चों की इम्यूनिटी मज़बूत करने का काम भी करता है, जिससे वे कई तरह के संक्रमणों से बच जाते हैं।

3. बेहतर संज्ञानात्मक और संचालन में विकास: पोषक तत्वों, एंटी-ऑक्सीडेंट्स, एंज़ाइम्स और रेडीमेड एंटीबॉडीज़ से भरपूर ये दूध बच्चे के मोटर फंक्शन को बेहतर करता है।

4. मां और बच्चे के रिश्ते में सुधार: स्तनपान कराने से मां और उसके बच्चे का रिश्ता मज़बूत होता है। ये मां के लिए फायदेमंद साबित होता है, जैसे प्रेग्नेंसी के बाद वज़न कम करने, तनाव से दूर रहने में मददगार साबित होता है। 

5. वयस्कों में डायबिटीज़, दिल की बीमारी, कुछ कैंसर जैसे रोगों का जोखिम कम होना: जिन वयस्कों का बचपन में मां का दूध नसीब होता है, उनमें कुछ तरह के कैंसर, डायबिटीज़ और दिल से जुड़ी बीमारियों का ख़तरा भी कम होता है।

6. नवजात बच्चे की वक्त से पहले मौत का ख़तरा कम होना: मां का दूध नवजात को ताक़त देता है, जिससे शिशु की सेहत अच्छी बनी रहती है और ख़तरनाक बीमारियां दूर रहती हैं। 


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