World Alzheimer's Day: क्यों कमजोर पड़ने लगती है याददाश्त और कैसे करें इससे बचाव, जानें यहां
सभी जरूरी सूचनाओं के लिए हम पूरी तरह टेक्नोलॉजी पर निर्भर हो गए हैं। यह आदत दिमागी सेहत के लिए बहुत नुकसानदेह साबित होती है। तो जानेंगे आज कैसे इसके बिना रखें मेमोरी को दुरूस्त।
भूलने की आदत को हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ इसकी वजह से अल्जाइमर्स जैसी समस्या हो सकती है। लोगों को इसके प्रति जागरूरक बनाने के उद्देश्य से 21 सितंबर को वर्ल्ड अल्जाइमर्स डे घोषित किया गया है। क्यों कमजोर पड़ने लगती है याददाश्त और इससे कैसे करें बचाव, जानने के लिए पढ़ें यह लेख।
कल जो लड़का मुझसे मिलने आया था, उसका नाम याद नहीं आ रहा, अरे! लगता है मेरा मोबाइल ऑफिस में ही छूट गया, ओह गैस पर दूध का बर्तन चढ़ाकर भूल गई...आपने भी अपने आसपास अक्सर ऐसे जुमले सुने होंगे। अगर गौर किया जाए तो आजकल हम सब मोबाइल फोन के रिमाइंडर और फेसबुक के अपडेट्स पर निर्भर रहते हैं। परिचितों दोस्तों का बर्थडे, बिजली, फोन और इंटरनेट का बिल जमा कराने की तारीख, करीबी लोगों के फोन नंबर्स जैसी छोटी-छोटी बातें पहले सभी को जुबानी याद रहती थीं पर अब हम ऐसे बातें याद रखने की जरूरत नहीं समझते। सभी जरूरी सूचनाओं के लिए हम पूरी तरह टेक्नोलॉजी पर निर्भर हो गए हैं। यह आदत दिमागी सेहत के लिए बहुत नुकसानदेह साबित होती है। इसी वजह से हम रोजमर्रा की छोटी-छोटी जरूरी बातें भी भूलने लगते हैं।
बदल गया है फोकस
भुलक्कड़पन की एक बड़ी वजह यह भी है कि अब लोगों का सारा ध्यान फेसबुक और वॉट्सएप पर रहता है। इसलिए वे जरूरी बातों को भी गंभीरता से नहीं लेते। अब लोग उन बातों को भी याद रखने की कोशिश नहीं करते, जो उन्हें याद होनी चाहिए। पहले लोगों को ढेर सारे लैंडलाइन नंबर इसी वजह से याद रह पाते थे क्योंकि उनके पास इसके सिवा दूसरा कोई विकल्प नहीं था, लेकिन अब सारी सूचनाओं को मोबाइल में सेव करने की सुविधा मौजूद है तो हम उन्हें याद रखने की जहमत नहीं उठाते। यहां बात केवल फोन नंबर्स की नही, बल्कि यह आदत खतरनाक है। बच्चे को पढ़ाते समय अगर हम कोई बात भूल गए, तो पल भर में गूगल पर सर्च कर लेते हैं, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि वहां से मिलने वाली हर जानकारी सौ फीसदी सही हो। खुद से ज्यादा इंटरनेट के सर्च इंजन पर भरोसा करने की आदत व्यक्ति को दिनोदिन लापरवाह बना रही है। हमारा दिमाग भी किसी मशीन की तरह होता है, उसका जितना ज्यादा इस्तेमाल होगा, वह उतनी ही तेजी से काम करेगा। ऐसा न करने पर मशीन की तरह ब्रेन भी सुप्त हो जाता है।
नींद की कमी है जिम्मेदार
अच्छी सेहत के लिए 8 घंटे की की पर्याप्त नींद लेना बहुत जरूरी है, पर वैज्ञानिकों द्वारा किए गए रिसर्च से यह साबित हो चुका है कि महानगरों की युवा पीढ़ी रोजाना औसतन पांच-छह घंटे से ज्यादा नींद नहीं ले पाती क्योंकि काम की वजह से उन्हें शाम को घर लौटने में अकसर देर हो जाती है। इसलिए रात को वे सही समय पर सो नहीं पाते, लेकिन अगले दिन ऑफिस जाने के लिए उन्हें जल्दी उठना पड़ता है। इसका सीधा असर उनकी स्मरण शक्ति पर पड़ता है।
याददाश्त को बढ़ाने में मदद करेंगी ये चीज़ें
- शरीर की तरह दिमाग को भी स्वस्थ बनाए रखने के लिए रोजाना आठ घंटे की नींद लें।
- अमेरिका की पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी में किए गए एक शोध के अनुसार नियमित वॉक, एक्सरसाइज और अन्य शारीरिक गतिविधियां ब्रेन के हिप्पोकैंपस नाम के हिस्से को सक्रिय बनाए रखती हैं, व्यक्ति की सारी स्मृतियां यहीं सुरक्षित रहती हैं। एक्सरसाइज के अभाव में यह हिस्सा सिकुड़कर छोटा होने लगता है, जिससे याददाश्त कमजोर हो जाती है।
- लगातार नई बातें सीखने की प्रक्रिया में जुटे रहने की आदत दिमाग को ऊर्जावान बनाती है। कुछ नया सीखने पर व्यक्ति के दिमाग में एक नया मेमोरी फील्ड बनता है, जिससे ज्यादा स्मृतियों को सुरक्षित रखना आसान हो जाता है।
- शतरंज और सुडोकू जैसे गेम के माध्यम से ब्रेन की अच्छी एक्सरसाइज होती है, जिससे याददाश्त भी मजबूत होती है।
- बादाम और अखरोट जैसे ड्राई फ्रूट्स के सेवन से भी स्मरण शक्ति मजबूत होती है। एंटी ऑक्सीडेंट तत्वों से भरपूर रंग-बिरंगे फलों और हरी सब्जियों को भी अपने भोजन में प्रमुखता से शामिल करें।
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