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उम्र बढ़ने के साथ ही पुरुषों को भी होती है मूड स्विंग्स और चिड़चिड़ेपन की समस्या, जानें इसकी वजहें और उपाय

उम्र बढ़ने के साथ ही पुरुषों में मूड स्विंग्स होते हैं और मेनोपॉज की स्थिति भी आ सकती है। इस समस्या के क्या है लक्षण कैसे बचें इससे जानिए यहां। सही डाइट और कुछ टेस्ट से दूर हो सकती है यह समस्या।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Tue, 30 Nov 2021 07:00 AM (IST)Updated: Tue, 30 Nov 2021 07:32 AM (IST)
उम्र बढ़ने के साथ ही पुरुषों को भी होती है मूड स्विंग्स और चिड़चिड़ेपन की समस्या, जानें इसकी वजहें और उपाय
बेहद परेशान बैठा हुआ एक जवान पुरुष

आमतौर पर 45-50 में जहां स्त्रियों को मेनोपॉज से गुजरना पड़ता है, वहीं पुरुषों में भी बढ़ती उम्र में मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन बढ़ना, थकान ज्यादा होना और बैली फैट बढ़ने जैसी समस्या होने लगती है।

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एक्सपर्ट के अनुसार

डॉ. मनोज खंडेलवाल, एंडोक्राइनोलॉजिस्ट, फोर्टिस एस्कॉटर्स हॉस्पिटल के अनुसार, 'मेल मेनोपॉज एक मिसलीडिंग टर्म है, क्योंकि पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन का एकदम से ड्रॉप नहीं होता है, जैसा कि स्त्रियों में एस्ट्रोजन का तुरंत ड्रॉप होता है। जिसे हम फीमेल मेनोपॉज कहते हैं। पुरुषों के अंदर 40 साल की उम्र के बाद हर साल कम से कम 1-2 प्रतिशत टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन का लेवल घटता है, जिसके कारण पुरुषों के अंदर 60-70 साल तक आने तक टेस्टोस्टेरॉन काफी कम हो जाता है, जिसे हम मेल मेनोपॉज कह सकते हैं, जबकि सही मायने में यह लेट हाइपोगोनडिज्म कहलाता है। इसी वजह से पुरुषों का बैली फैट ज्यादा हो जाता है।'

क्या है ट्रीटमेंट

वैसे देखा जाए तो इसका उपचार संभव है। सबसे पहले अपने डॉक्टर से इसके बारे में सलाह लेनी चाहिए। अगर डॉक्टर इसके लिए कुछ बेसिक टेस्ट करवाने को बोलते हैं जैसे- सीबीसी, जिसे कंप्लीट ब्लड काउंट कहा जाता है। इसके अलावा किडनी फंक्शन टेस्ट, लीवर फंक्शन टेस्ट और हार्ट के टेस्ट के साथ टोस्टोस्टेरॉन का भी सैंपल भेजते हैं। अगर उम्र के हिसाब से टेस्टोस्टेरॉन कम उम्र में आ रहा है तो उसमें टेस्टोस्टेरॉन थेरेपी भी कारगर ह, लेकिन हर केस में यह थेरेपी देना मुमकिन नहीं होता। अगर किसी को पहले से प्रोस्टैटिक कैंसर की समस्या हो तो इस थेरेपी के साइड इफेक्ट से यह समस्या और बढ़ सकती है।

डाइट में करें जरूरी बदलाव

अगर पुरुषों में यह समस्या होती ह, तो प्रोटीन रिच और हाई फाइबर डाइट काफी मददगार साबित हो सकती है। इसके लिए फलों का रोजाना सेवन करें। प्रोटीन रिच डाइट में वेजिटेरियंस लोग दालें, पनीर आदि लें। नॉन वेजिटेरियंस हैं तो मछली, चिकेन, अंडा और लीन मीट लें। इससे मसल्स मास सही रहता है औऱ इस समस्या से राहत मिलती है। सोयाबीन को भी डाइट में शामिल करना न भूलें। इससे भी कुछ हॉर्मोन्स बनते हैं। फलों में केला, सेब और अनार को शामिल करें। ऑयली चीजों का सेवन बंद कर दें, इससे वजन बढ़ता है और मसल्स मास कम होने लगता है।

Pic credit- pexels


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