इस वजह से आयुर्वेद में तुलसी के पत्तों को चबाने की है मनाही
डॉक्टर्स भी कोरोना वायरस महामारी दौर में तुलसी के पत्तों का काढ़ा पीने की सलाह देते हैं। साथ ही बदलते मौसम में होने वाले मौसमी बुखार सर्दी-खांसी में भी रामबाण दवा है। जबकि आयुर्वेद में तुलसी के पत्तों की चाय पीने की भी सलाह दी गई है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। आधुनिक समय में अधिकांश घरों में तुलसी के पौधे देखने को मिल जाएंगे। आयुर्वेद में तुलसी के पत्तों का औषधि रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं जो सेहत और सुंदरता के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। डॉक्टर्स भी कोरोना वायरस महामारी दौर में तुलसी के पत्तों का काढ़ा पीने की सलाह देते हैं। साथ ही बदलते मौसम में होने वाले मौसमी बुखार, सर्दी-खांसी में भी रामबाण दवा है।
जबकि आयुर्वेद में तुलसी के पत्तों की चाय पीने की भी सलाह दी गई है। इससे कई बीमारियों में आराम मिलता है। हालांकि, तुलसी के पत्तों को चबाना नहीं चाहिए। अगर आपको इस बारे में नहीं पता पता है, तो आइए जानते हैं कि तुलसी के पत्तों को क्यों नहीं चबाना चाहिए-
विशेषज्ञों की मानें तो तुलसी के पत्तों में पारा धातु के तत्व होते हैं जो कि पत्तों को चबाने से दांतों पर लग जाते हैं। जिससे आपके दांत खराब हो सकते हैं। अतः तुलसी के पत्तों का सेवन करते समय ध्यान रखें कि इन पत्तों को चबाने के बजाय चाय अथवा काढ़ा बनाकर सेवन करना उचित है।
कैसे करें तुलसी के पत्तों का सेवन
इसके लिए सबसे सरल और आसान तरीका है कि आप तुलसी के पत्तों की चाय बनाकर सेवन करें। इसके लिए पानी में तुलसी के पत्तों को अच्छी तरह से उबालकर सेवन करें। आप चाहें, तो इसमें अपने स्वादानुसार अन्य मसाले और जड़ी-बूटी डाल सकते हैं। इस चाय को पीने का सबसे बड़ा फायदा इसका कैफीन मुक्त होना है। तुलसी के पत्तों की चाय के सेवन से उच्च रक्त चाप में आराम मिलता है। जबकि प्रतिदिन तुलसी के पत्तों की चाय पीने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी मज़बूत होती है।
डिस्क्लेमर: स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।