Coronavirus 2nd Wave: कोविड मरीज़ों के लिए क्यों संक्रमण का 5-10वां दिन होता है महत्वपूर्ण?
Coronavirus 2nd Wave लोग हल्के मामलों को घर पर मैनेज करने की कोशिश करते हैं। जो सही भी है क्योंकि अगर आपके सैचुरेशन स्तर और बाकी चीज़ें ठीक हैं तो अस्पताल में भर्ती होने का क्या मतलब है। खासतौर पर जब सारे अस्पताल मरीज़ों से भरे हुए हैं।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Coronavirus 2nd Wave: कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर में इस बीमारी के बारे में कई नई चीज़ें सामने आ रही हैं, जिसकी वजह से इसे लेकर कई बातें साफ हो गई है। कोविड-19 के ज़्यादातर मामले घर में आइसोलेशन कर 14 दिन में ठीक हो जाते हैं, हालांकि, कई हल्के मामले भी 5वें से 10वें दिन के बीच गंभीर हो जाते हैं।
लोग हल्के मामलों को घर पर मैनेज करने की कोशिश करते हैं। जो सही भी है, क्योंकि अगर आपके सैचुरेशन स्तर और बाकी चीज़ें ठीक हैं, तो अस्पताल में भर्ती होने का क्या मतलब है। खासतौर पर जब सारे अस्पताल मरीज़ों से भरे हुए हैं।
लेकिन वे लोग जिन्हें हल्का संक्रमण है या फिर एसिम्टोमैटिक हैं, उन्हें भी अपने लक्षणों पर नज़र रखनी चाहिए। डॉक्टरों के अनुसार, इस संक्रमण की असली शक्ल 5वें से 10वें दिन देखने को मिलती है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि 14 दिनों के आइसोलेशन के दौरान ये साफ हो जाता है कि संक्रमण कितना गंभीर है।
5वें से 10वें दिन संक्रमण क्यों बिगड़ता है?
कोविड-19 की बीमारी और रिकवरी के 14 दिनों के समय को तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है। 1-4 दिन, 5वें से 10वें दिन और फिर 11वें से 14वें दिन। लक्षण दिखने के बाद शुरुआती दिन हर व्यक्ति के लिए अलग हो सकता है, इस दौरान वायरल संक्रमण का रिएक्शन देखने को मिलता है। हालांकि, इस बीमारी के दौरान 6वें और 7वें दिन कुछ लोगों को इम्यून सिस्टम ज़रूरत से ज़्यादा काम कर जाता है और संक्रमण को जड़ से ख़त्म करने के लिए बड़ी संख्या में एंटीबॉडीज़ का उत्पादन कर लेता है। जिसकी वजह से शरीर में तरल पदार्थ और सूजन की बाढ़ सी आ जाती है। कई लोगों के लिए बीमारी से लड़ाई इस वक्त शुरू होती है। अचानक, जो बीमारी पहले हफ्ते में ठीक होती दिख रही थी, वो अचानक गंभीर होने लगती है, जिससे सभी हैरान हो जाते हैं।
इस लक्षणों पर है ध्यान देना बेहद ज़रूरी
कुछ चेतावनी के संकेत ज़रूर दिखते हैं, जिससे किसी को यह महसूस हो जाता है कि यह अस्पताल में भर्ती होने और व्यक्तिगत रूप से उपचार लेने का समय है। ऑक्सीजन का स्तर कम होने लगता है, बेहोशी, तेज़ बुख़ार, बुख़ार जो दवाओं के बाद भी न उतरे, सांस लेने में तकलीफ, अत्यधिक बेचैनी, भारीपन आदि जैसे संकेत दिखते हैं। बीमारी के दूसरे हफ्ते में हाइपोक्सिया,जो एक गंभीर स्थिति है जिसमें ऑक्सीजन का स्तर बिना दूसरे लक्षणों के कम होने लगता है।
किन लोगों में इस तरह की स्थिति आ सकती है?
जिन मरीज़ों को पहले से बीमारियां है, उनमें साइटोकिन स्टॉर्म के होने के ज़्यादा आसार होते हैं। जो लोग हाई-कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज़, मोटापे, इम्यूनों-सप्रेशन की दवाओं पर (जिन लोगों के ट्रांसप्लांट हुए होते हैं या फिर जिन्हें ऑटो-इम्यून डिसऑर्डर होता है), पहले के संक्रमण की वजह से इम्यून कमज़ोर होना (जैसे एचआईवी) जैसी बीमारियों की वजह से साइटोकिन स्टोर्म का ख़तरा बढ़ जाता है। हालांकि, ये ऐसा नियम नहीं है। कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान देखा जा रहा है कि नौजवां और स्वस्थ मरीज़ भी बीमारी की शुरुआती स्टेज में ही फेफड़ों के संक्रमण से जूझने लगते हैं। इसलिए सभी लोगों के लिए सतर्क रहना ज़रूरी है और डॉक्टर की सलाह के अनुसार समय रहते सीने का स्कैन, एक्स-रे और ब्लड टेस्ट कराना चाहिए।
5वें से 10वें दिन के बीच अगल लक्षण गंभीर होने लगे, तो क्या करें?
संक्रमण के लक्षणों का गंभीर हो जाना किसी भी व्यक्ति की रिकवरी पर असर डाल सकते हैं। लक्षण दिखते ही समय से टेस्ट कराना, डॉक्टर से संपर्क करना और ट्रीटमेंट शुरू कर देना अहम साबित हो सकता है। गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती और केयर की ज़रूरत पड़ती है। इसलिए ये बेहद ज़रूरी है कि घर पर आइसोलेशन करते वक्त शुरुआती दिनों में लक्षणों पर नज़र बनाए रखें और अपने डॉक्टर से संपर्क में रहें और वहीं करें जैसा डॉक्टर कहें।
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।