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Dengue Mosquitoes: कौन-कौन से मच्छर होते हैं इंसानों के लिए ख़तरनाक?

Dengue Mosquitoes बारिश के मौसम में मच्छर के काटने से सबसे ज़्यादा मौतें होती हैं। हालांकि सभी मच्छरों के काटने से जानलेवा बीमारियां नहीं होती इनमें कुछ ही ऐसे मच्छर होते हैं जो इंसानों को काटते हैं और उनसे इंसानों को ख़तरा है।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Fri, 10 Sep 2021 10:24 AM (IST)Updated: Fri, 10 Sep 2021 10:24 AM (IST)
Dengue Mosquitoes: कौन-कौन से मच्छर होते हैं इंसानों के लिए ख़तरनाक?
Dengue Mosquitoes: कौन-कौन से मच्छर होते हैं इंसानों के लिए ख़तरनाक?

नई दिल्ली, जेएनएन। Dengue Mosquitoes: बरसात का मौसम किसे पसंद नहीं होता। चिलचिलाती और झुलसा देने वाली धूप से आपको बारिश को राहत देती है, वो सुकून एक अलग ही स्तर का होता है। लेकिन बरसात का पानी अपने साथ लाता है ढेर सारे मच्छर और उनसे होने वाली बीमारियां। इन दिनों देश भर में मच्छर के काटने से होने वाली बीमारियों का ख़तरा तेज़ी से बढ़ रहा है। इस मौसम में मच्छर के काटने से सबसे ज़्यादा मौतें होती हैं। हालांकि, सभी मच्छरों के काटने से जानलेवा बीमारियां नहीं होती, इनमें कुछ ही ऐसे मच्छर होते हैं, जो इंसानों को काटते हैं और उनसे इंसानों को ख़तरा है। आज जानते हैं मच्छरों की लाइफ कितनी लंबी होती है और कौन-कौन से मच्छर इंसानों के लिए ख़तरनाक होते हैं।

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कितना जीते हैं मच्छर?

मच्छर दो महीने से ज्यादा दिन तक जीवित नहीं रह पाते हैं। वहीं मादा मच्छर, नर मच्छर के मुकाबले ज़्यादा दिनों तक जीती है। अगर नर मच्छरों की लाइफ के बारे में बात करें तो वो 6 से 7 दिन ही जीवित रह पाते हैं और मादा मच्छर 6 से 8 हफ्तों तक ज़िंदा रहती है। दरअसल, मादा मच्छर हर तीन दिन में अंडे देती हैं और मादा मच्छर करीब 2 महीने तक जीवित रह सकती है।

कौन से मच्छरों से है खतरा?

अगर इंसानों को सबसे ज़्यादा ख़तरा है, तो वो मादा मच्छरों से ही हैं, क्योंकि मादा मच्छर ही इंसान का खून चूसती हैं। वहीं नर मच्छर तो पेड़-पौधों के रस से काम चला लेते हैं। दरअसल, मादा मच्छरों को अंडे देने के लिए खून की आवश्यकता होती है और एक मच्छर 500 से अधिक अंडे देता है। बता दें कि डेंगू जैसी गंभीर बीमारियां भी मादा मच्छरों को काटने से होती है।

वैसे तो दुनिया भर में मच्छरों की करीब 3 हज़ार 500 प्रजातियां पाई जाती हैं। लेकिन इनमें से ज़्यादातर नस्लें इसानों को बिल्कुल परेशान नहीं करतीं। ये वो मच्छर हैं, जो सिर्फ फलों और पौधों के रस पर ज़िंदा रहते हैं।


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