क्या है प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम, जानें इसकी वजहें, लक्षण, बचाव एवं उपचार
एक अनुमान के अनुसार 70 से 90 प्रतिशत स्त्रियां प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम से किसी न किसी तरह पीड़ित होती हैं। पीएमएस के लक्षण लगभग हर महीने पीरियड्स के पहले दिखते हैं। डालेंगे एक नजर
एक रिसर्च के अनुसार पीरियड्स से पहले के दिनों में स्त्रियों की मनोदशा कुछ ऐसी होती है कि वे आत्महत्या तक कर सकती हैं। हालांकि ऐसा बहुत कम होता है, लेकिन उलझन भरे ये दिन लगभग हर लड़की के लिए भारी होते हैं। उन खास दिनों से पहले बिना वजह डिप्रेशन और टेंशन महसूस होती है। मेडिकल भाषा में इसे प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसॉर्डर यानी पीएमडीडी कहा जाता है। इन दिनों में मूड स्विंग्स के अलावा दर्द, कुछ खास खाने-पीने की इच्छा आम होती है। साधारण भाषा में इस स्थिति को प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम या पीएमएस भी कहते हैं।
इसकी वजहें
रिसर्च के बावजूद इसके सही कारणों का फिलहाल पता नहीं लगाया जा सका है। माना जाता है कि प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम का स्त्री के सामाजिक, सांस्कृतिक, जैविक और मनोवैज्ञानिक पक्षों से संबंध होता है। पीएमएस आमतौर पर उन स्त्रियों में पाया जाता है-
- जिनकी उम्र 20 से 40 वर्ष के बीच हो
- जिनके बच्चे हों
- जिनके परिवार में अवसाद का इतिहास हो
लगभग 50-60 प्रतिशत स्त्रियों में सिवियर पीएमएस के अलावा मनोवैज्ञानिक समस्याएं भी दिखती हैं।
पीएमएस के लक्षण
पीएमएस के लक्षण शारीरिक और मानसिक दोनों ही हो सकते हैं। सिरदर्द, एड़ियों में दर्द, पैरों व हाथों में सूजन, पीठ में दर्द, पेट के निचले हिस्से में भारीपन व दर्द, स्तनों में ढीलापन, वजन बढ़ना, एक्ने, नॉजिया, कॉन्स्टिपेशन, रोशनी और आवाज से चिढ़ और पीरियड्स के दौरान दर्द जैसी कुछ शारीरिक परेशानियां देखने को मिल सकती हैं। इसके अलावा बेचैनी, असमंजस, ध्यान लगाने में परेशानी, निर्णय लेने में कठिनाई, भूलने की समस्या, अवसाद, गुस्सा, खुद को नीचा दिखाने की प्रवृत्ति आदि भी पीएमएस के लक्षण हैं।
कैसे हो डाइग्नोसिस
हालांकि पीएमएस के लिए कोई लैब टेस्ट्स या फिजिकल इग्जामिनेशन नहीं है, लेकिन मरीज की हिस्ट्री, पेल्विक इग्ज़ामिनेशन और कुछ केसों में मनोवैज्ञानिक विश्लेषण से पता लगाया जा सकता है कि स्त्री इस बीमारी से ग्रस्त है या नहीं।
इलाज
व्यायाम और डाइट में हल्के-फुल्के बदलाव करने से पीएमएस के प्रभावों से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा अपनी एक डेली डायरी मेंटेन करें जिसमें अपने लक्षणों का ब्यौरा दर्ज करें। इस डायरी को कम से कम तीन महीने मेंटेन करें जिससे डॉक्टर पीएमएस की सही तरह से डायग्नोसिस और इलाज कर सके।
न्यूट्रिशनल सप्लीमेंट्स का सेवन बढ़ाएं।
नमक, चीनी, एल्कोहॉल और कैफीन का सेवन कम करें।
डॉक्टर की राय से एंटी-बायटिक्स, एंटी-डिप्रेसेंट्स व पेन किलर्स ले सकती है।
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