डेंगू के बारे में ये 5 अहम बातें, जिन्हें शायद ही जानते होंगे आप
डेंगू एडीज़ मच्छर के काटने से फैलता है जिसमें तेज़ बुखार के साथ शरीर पर लाल रंग के चकते, सिर और बदन दर्द होता है। लेकिन इनके अलावा इससे जुड़ी और भी कई चीज़ें हैं जिन्हें जानना जरूरी है।
हर साल डेंगू सैकड़ों लोगों के लिए जानलेवा बन जाता है। ऐसे में ज़रूरत है कि लोगों को इसके बारे में जागरुक किया जाए। डेंगू का बुखार एडीज़ इजिप्टी मच्छर के काटने से फैलता है। ये मच्छर साफ़ ठहरे हुए पानी में पनपते हैं और आमतौर पर ये मॉनसून के दौरान जल-जमाव की स्थिति में पैदा होते हैं। डेंगू में व्यक्ति को सबसे पहले तेज़ बुखार होता है जिसके बाद शरीर पर लाल रंग के चकते पड़ना, सिर दर्द, बदन दर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, भूख का कम होना और उल्टी आना इसके लक्षणों में शामिल है। लेकिन डेंगू की पुष्टि रक्तजांच के बाद ही की जा सकती है। डेंगू से जुड़ी कुछ बातें ऐसी भी हैं जिनके बारे में शायद ही आप जानते हों, आइए जानते हैं ऐसी ही कुछ 5 बातें –
डेंगू मच्छर करता है आपकी श्वेत रक्त कोशिकाओं पर हमला
एक डेंगू मच्छर आपके लिए जानलेवा साबित हो सकता है क्योंकि डेंगू मच्छर सीधे आपकी श्वेत रक्त कोशिकाओं पर हमला करता है। जिससे आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर पड़ने लगती है। एक डेंगू मच्छर एक बार में 100 के करीब अंडे देता है और ये करीब दो हफ्ते ज़िंदा रहता है।
रात में लाइट के उजाले में काट सकते हैं मच्छर
ऐसा माना जाता है कि डेंगू का मच्छर दिन के उजाले में ही काटता है, लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि रात में लाइट के उजाले में भी मच्छर के काटने की संभावनाएं बनी रहती हैं। डेंगू का मच्छर सुबह के वक़्त और शाम को सूर्यास्त के समय ज़्यादा काटता है। ये मच्छर 15-16 डिग्री से कम तापमान में पैदा नहीं हो पाते हैं। डेंगू के सबसे ज़्यादा मामले जुलाई से अक्टूबर के बीच दर्ज किए जाते हैं।
घरों में पानी की टंकी में पैदा होते हैं डेंगू मच्छर
दिल्ली स्वास्थ्य मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में 41% डेंगू मच्छर प्लास्टिक के ड्रम और टंकियों में पैदा होते हैं। इसके साथ ही कूलर में 12% और निर्माण स्थलों पर इस्तेमाल होने वाले लोहे के कंटेनरों में 17% डेंगू मच्छर पैदा होते हैं।
डेंगू में प्लेटलेट्स की कमी नहीं होती मौत की वजह
आमतौर पर लोगों का ऐसा मानना होता है कि डेंगू के दौरान प्लेटलेट्स की कमी से मरीज़ की मौत हो जाती है। लेकिन शायद ही लोग जानते हों कि डेंगू में मौत की असल वजह कैपिलरी लीकेज होती है। अगर किसी मरीज को कैपिलरी लीकेज होता है तो ऐसी स्थिति में उसे तरल आहार देना चाहिए। ऐसा तब तक करते रहना चाहिए, जब तक हाई और लो ब्लड प्रेशर का अंतर 40 से ज्यादा न हो जाए।
डेंगू नहीं होती संक्रामक बीमारी
डेंगू को आमतौर पर संक्रामक बीमारी समझा जाता है। लेकिन हक़ीकत में डेंगू संक्रामक बीमारी नहीं है क्योंकि ये बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलती। डेंगू बीमारी के चार प्रकार होते हैं। मरीज़ को एक बारी में एक ही प्रकार का डेंगू होता है और दूसरी बार डेंगू दूसरी तरह का होता है। डेंगू बीमारी को लेकर लोगों का मानना होता है कि इस दौरान प्लेटलेट्स काउंट बहुत मायने रखते हैं और सिर्फ़ इन्हें बढ़ाने पर ज़ोर देना चाहिए। आपको बता दें कि जिन मरीजों के प्लेटलेट काउंट 10,000 से कम पहुंच जाते हैं सिर्फ़ उन्हीं मरीज़ों के लिए डेंगू जानलेवा स्थिति में पहुंचने की संभावना होती है।