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समझें कार्डियो की भाषा, बहुत ज्यादा वर्कआउट डाल सकता है सेहत पर बुरा असर

कार्डियो वज़न कम करने और बॉडी टोन करने में मदद करता है। हम वॉक रनिंग या साइक्लिंग जो करते हैं सभी कार्डियो का ही हिस्सा हैं। इसकी अति भी बुरी है और इसे वर्कआउट में शामिल न करना भी गलत है। इसकी पूरी जानकारी के लिए पढ़ें यह लेख।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Thu, 11 Mar 2021 08:00 AM (IST)Updated: Thu, 11 Mar 2021 08:07 AM (IST)
समझें कार्डियो की भाषा, बहुत ज्यादा वर्कआउट डाल सकता है सेहत पर बुरा असर
समुद्र किनारे सुबह वर्कआउट करती फिट युवती

फिटनेस की बात करें तो अगर हम वर्कआउट करते हैं तो उसमें हार्डकोर हो या लो इंटेंसिटी वर्कआउट, दोनों में कार्डियो को ज़रूर शामिल करते हैं। आखिर कार्डियो है क्या? ज़्यादातर लोग कार्डियो का मतलब सिर्फ फैट लॉस करना मानते हैं, जबकि कार्डियो दिल और श्वसन प्रणाली को मज़बूत करता है। इससे आपका हार्ट हेल्दी रहता है। यह हार्ट रेट को बढ़ाता है, जिससे आप उस स्टेज में पहुंच जाते हैं, जहां काफी तेज़ी से फैट और कैलरी बर्न होती हैं, कैसे जानिए यहां।

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कार्डियो अलग है और फैट लॉस अलग

हार्ट इंस्ट्यिूट, मेदांता द मेडिसिटी, गुरुग्राम, इंटरवेंशनल एंड स्ट्रक्चरल हार्ट कार्डियोलॉजी विभाग के चेयरमैन डॉ. प्रवीण चंद्रा बताते हैं कि पॉल्यूशन ज़्यादा हो, तो वह समय हार्ट और लंग्स पेशेंट्स के लिए काफी खराब होता है। ऐसे में कई बार लंग्स के इन्फेक्शंस बढ़ जाते हैं, जिससे हार्ट पर प्रेशर पड़ता है और जिनका दिल कमज़ोर है, उनके लिए सांस फूलने की दिक्कत बढ़ सकती है क्योंकि शरीर के अंदर पानी एकत्रित हो जाता है। जिनको दिल संबंधी समस्या है, वे संभलकर कार्डियो करें। हमेशा कार्डियो का मतलब लोग फैट लॉस समझते हैं, इसके लिए बता दूं कि कार्डियो का मतलब है हार्ट। एक इंसान का हार्ट एक मिनट में 60-80 बार पंप करता है, तो कार्डियो से यह हार्ट बीट डेढ़ गुना तक बढ़ जाती है और यह आंकड़ा 100-130 तक भी पहुंच जाता है, जिसे कार्डियो-वस्कुलर कंडीशन कहते हैं। इस स्टेज में तेज़ी से कैलरी बर्न होती है और इससे वज़न तेज़ी से घटने के चांसेज़ बढ़ जाते हैं। इस दौरान, टाइप 1 स्लो ट्विच फाइबर ऐक्टिव होते हैं। कार्डियो फैट लॉस नहीं करता। इसका मुख्य काम है हार्ट सिस्टम को सही रखना। कार्डियो के दौरान मेटाबॉलिज़्म किक हाई होता है और बॉडी फैट बर्निंग स्टेज में पहुंच जाती है। अगर आप सप्ताह में 1 पाउंड वज़न कम करना चाहते हैं तो आपको 3500 कैलरी डेफिसिट में रहना होगा और 3500 कैलरी एक्स्ट्रा लेनी होगी।

ऐसे करें कार्डियो को शामिल

आप दिन भर में 10 या 15 मिनट के वर्कआउट से भी अपने कार्डियो के लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं। उदाहरण के लिए, नाश्ते से 10 मिनट पहले, लंच ब्रेक के दौरान 10 मिनट और रात के खाने के बाद 10 मिनट आप वॉक करेंगे तो यह अच्छा हो सकता है या फिर सुबह 15 मिनट और दोपहर में 15 मिनट  टहल भी सकते हैं। यदि आप अभी शुरुआत कर रहे हैं, तो धीरे-धीरे सप्ताह में 150 मिनट तक आएं। यदि आप पहले से ही वर्कआउट कर रहे हैं और फिट हैं, तो आप अपने वर्कआउट के समय को आधा कर सकते हैं यानी आप हफ्ते में केवल 75 मिनट कार्डियो और हेवी वर्कआउट कर सकते हैं। यह भी आपको फायदा पहुंचाता है।

कितना कार्डियो करें

कार्डियो करने का सही अनुपात हमेशा कुछ तथ्यों पर निर्भर करता है जैसे:- उम्र, मौज़ूदा मेडिकल हिस्ट्री के साथ हाल ही में लगी और पिछली चोटों की सही जानकारी। हालांकि, सेंटर्स फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन हर हफ्ते, 150 मिनट या उसे अधिक समय तक निम्न तीव्रता वाली फिजि़कल ऐक्टिविटी की या फिर 75 मिनट या उसे अधिक समय तक तेज़ तीव्रता वाली ऐक्टिविटी करने की सिफारिश करता है। इस गाइडलाइन के आधार पर,  हफ्ते में पांच बार 30 मिनट की सैर कर सकते हैं।

समझें इसे भी : जब आप कार्डियो करते हैं, तो इसमें आपकी कैलरीज़ ज़रूर कम होती है। चाहे आपने 1 घंटे तक दौड़ लगाई हो या 30 मिनट तक, यह आपकी कैलरी कम करता है। आजकल लोगों का मानना है कि ज़्यादा वर्कआउट करने से ही वज़न कम होता है और अगर कम एक्सरसाइज़ की जाए, तो यह बिलकुल काम नहीं करता है। लेकिन यह केवल एक मिथक है, अगर आप कुछ देर ही कार्डियो कर पाते हैं, तो भी यह आपको फायदा देगा।

Pic credit- freepik 


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