Positive India: परंपरागत खेल ऐसे बेहतर कर सकते हैं बच्चों की समझ
मद्रास डिस्लेक्सिया एसोसिएशन ने स्पेशल चिल्ड्रेन की कार्य-क्षमता सुधारने के लिए ट्रेडिशनल गेम्स का सहारा लिया है। एमडीए के एजुकेटर ने माना है कि इससे बच्चों को फायदा हुआ है।
नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। कोरोना काल में जहां वैज्ञानिक और शोधकर्ता लगातार नए प्रयोगों में लगे हुए हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे प्रयोग भी कर रहे हैं, जिनसे समाज को बेहतर बनाने में मदद मिल रही है। मद्रास डिस्लेक्सिया एसोसिएशन (एमडीए) ने स्पेशल चिल्ड्रेन की कार्य-क्षमता सुधारने के लिए ट्रेडिशनल गेम्स का सहारा लिया है। एमडीए के एजुकेटर ने माना है कि इससे बच्चों को काफी फायदा हुआ है।
एमडीए के एजुकेटर का कहना है कि इससे बच्चों में प्री-स्किल विकसित करने में मदद मिलती है। एजुकेटर्स का कहना है कि इससे बच्चों का फोकस और मोटर स्किल मजबूत होता है। मद्रास डिस्लेक्सिया एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डी. चंद्रशेखर ने बताया कि एमडीए बच्चों के विकास के लिए लगातार नई खोज और नई तकनीक विकसित करने में लगा हुआ है। वह कहते हैं कि लंबे समय तक स्कूल में रहने के बाद बच्चे रेमेडियल क्लास में आते हैं। इसके बाद वे थैरेपी क्लास ज्वाइन करते हैं। इसके बाद बच्चे घर जाकर अपना होमवर्क करते हैं और जो कुछ भी समय बचता है, वे स्क्रीन के सामने खेलने और देखने में बिताते हैं।
चंद्रशेखर कहते हैं कि हम अपने एजुकेशन प्लान में खेल के जरिए बच्चों की प्री-स्किल को सुधारते हैं, जो बच्चों के शैक्षिक विकास के लिए जरूरी है। जब आप ट्रेडिशनल गेम्स खेलते हैं तो बच्चे अपनी मजबूती और जरूरतों के अनुसार उन्हें अपनाते हैं। इससे बच्चों की फिजिकल ग्रोथ, सोशल डेवलपमेंट, सेंसर मोटर डेवलपमेंट, कम्युनिकेशन स्किल, समस्या को सुलझाने की क्षमता, कंसेप्ट बिल्डिंग स्किल्स, प्रोसेसिंग स्किल, सुनने, पढ़ने, लिखने, लाइफ स्किल और सोशल स्किल आदि सीखने की क्षमता बढ़ती है।
कौन से खेल खेले जाते हैं
- रिचुअल बाथ और थोली (बेबी हैमक) से बच्चों को ग्रेविटी कंट्रोल विकसित करने, जागरूकता बढ़ाने आदि में मदद मिलती है।
-पालनगुझी (मंकाला) से बच्चों की गणितीय क्षमता को विकसित करने, मोटर स्किल, ग्राफो-मोटर स्किल, अटेंशन, फोकस डेवलप करने में मदद मिलती है।
-पांडी (हॉपस्कॉच) बैलेंस विकसित करने, ग्रेविटी कंट्रोल, फोकस और अटेंशन में कारगर होता है।
-गोली मोटर कंट्रोल, विजुअल अंतर समझने और ट्रेकिंग में सहायक होता है।
-पतंग उड़ाने से मांसपेशियों को मजबूत करने, मोटर मूवमेंट में सहायता मिलती है।
कोरोना के लिए सुरक्षा कवच बन रही ये डिवाइस
पूरे भारत में कोविड-19 के मामलों में तेज़ी से बढ़ोत्तरी हो रही है। इसके कारण अच्छी क्वालिटी वाले सुरक्षा उपकरणों की मांग भी बढ़ गई है। देशभर के बड़े संस्थानों, वैज्ञानिकों ने ब्लू प्रमोशंस के साथ मिलकर कोरोना कवच जैसा प्रोडक्ट तैयार किया है। ये मेड इन इंडिया उत्पाद हेल्थकेयर पेशेवरों और अपना काम जारी रखने के लिए घर से बाहर जाने वाले लोगों के लिए काफ़ी उपयोगी सुरक्षा उपकरण हैं। ब्लू मॉर्क इंफो के हेड यश लुनावत ने बताया कि इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसका वजन हल्का है और चेहरे को पूरी तरह से कवर करता है। इसे फॉग रजिस्टेंट, एंटी इको के अनुरूप डिजाइन किया गया है। यह शील्ड बदली जा सकने वाले वाइज़र और फिल्टर के साथ आता है, जो इस श्रेणी में कोई अन्य उत्पाद नहीं देता है और यह यूज़र को बिना किसी फॉगिंग या आवाज गूंजने की समस्या के आराम से पहनने का अनुभव देने के लिए बनाया गया है। यह मेड इन इंडिया उत्पाद हेल्थकेयर पेशेवरों और अपना काम जारी रखने के लिए घर से बाहर जाने वाले लोगों के लिए काफ़ी उपयोगी सुरक्षा उपकरण बन गया है।