One Snack For Depression: ये हेल्दी स्नैक आपको अवसाद से दिला सकता है छुटकारा
One Snack For Depression हम सब जानते हैं कि दही सेहत के लिए काफी अच्छा होता है और इसे खाने से आप जंक या फिर अस्वस्थ खाना खाने से भी बच जाते हैं।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। One Snack For Depression: इसमें कोई शक़ नहीं कि अवसाद एक महत्वपूर्ण मानसिक स्थिति है जिसके लिए दवा और निरंतर परामर्श की ज़रूरत पड़ती है। हालांकि, कई रिसर्च ये साबित कर चुकी हैं कि कुछ ऐसे भी खाद्य पदार्थ हैं जिन्हें खाने से दिमाग पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और मूड को ठीक करने में मदद भी मिल सकती है।
सुबह का नाश्ता कैसे परफेक्ट बनाया जा सकता है हाल ही में शोधकर्ताओं ने इसका राज़ खोल दिया है। आपको शायद ये पढ़कर हैरानी होगी लेकिन सुबह दही खाने से आपको अवसाद से लड़ने में मदद मिलती है।
हम सब जानते हैं कि दही सेहत के लिए काफी अच्छा होता है और इसे खाने से आप जंक या फिर अस्वस्थ खाना खाने से भी बच जाते हैं। इस प्रोबायोटिक खाने को नाश्ते में खाने का एक और कारण यह भी है कि दही कई तरह के पोषक तत्वों से भरपूर होता है। साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन बताता है कि यह प्रोबायोटिक अवसाद से निपटने में भी मदद कर सकता है।
इस शोध के ऑथर प्रोफेसर अलबान गॉलटियर ने बताया कि अवसाद के लक्षणों से राहत के लिए उपलब्ध उपचार बहुत अच्छे नहीं हैं और उनसे कई तरह के साइडइफेक्ट्स भी होते हैं। इसलिए इसका वैकल्पिक उपचार होना भी ज़रूरी है।
क्या कहती है रिसर्च
अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने चूहों को तनाव के उच्च स्तर तक उजागर किया जब तक कि उन्होंने अवसाद के लक्षण दिखाना शुरू नहीं किया। फिर उन्होंने चूहों पहले और बाद के आंत के बैक्टीरिया के स्तर की तुलना की। जिसमें आंत के बैक्टीरिया और मानसिक स्वास्थ्य के स्तर के बीच एक स्पष्ट संबंध पाया गया।
इसमें पाया गया कि लैक्टोबैसिलस, यानि जो बैक्टीरिया आंत के लिए अच्छा माना जाता है कि तुलना क्यूनुरेनाइन (वो बैक्टीरिया जो अवसाद को बढ़ावा देता है) की मात्रा बढ़ती जाती है। ऐसे में जब इन चूहों की डाइट में लैक्टोबैसिलस की मात्रा बढ़ाई गई तो उनमें फौरन सुधार देखा गया। लैक्टोबैसिलस रक्त में क्यूनुरेनाइन के स्तर को संतुलित करने में मदद करता है। जैसे ही आंत में लैक्टोबैसिलस का स्तर गिरना शुरू होता है, आप अवसाद के लक्षण महसूस कर सकते हैं।
ये रिसर्च अभी भी एक प्रारंभिक चरण में है और इस दिशा में अधिक विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता है। साथ ही इसे अभी क सिर्फ चूहों पर ही आज़माया है, जिससे सिर्फ ये पता चल सका कि वो अवसाद में हैं लेकिन चूहे क्या महसूस कर रहे थे ये साफ नहीं है।