Dangerous Diseases: कोविड-19 से भी ज़्यादा घातक साबित हो सकती हैं ये 7 बीमारियां
Dangerous Diseases कोरोना को अब तक कि सबसे बड़ी महामारी माना जा रहा है। आज एक साल बाद कोविड-19 के खिलाफ वैक्सीन ज़रूर आ गई है लेकिन इसके बावजूद कई लोगों को डर है कि कहीं ऐसा न हो कि ये वायरस कभी न ख़त्म हो।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Dangerous Diseases: साल 2020 की शुरुआत में कोविड-19 महामारी इस तेज़ी से दुनियाभर में फैली और सैकड़ों लोगों को अपना शिकार बना लिया। कोरोना वायरस के कहर ने दुनिया के एक-एक इंसान को डरा दिया था। ये एक ऐसा कहर बनकर उभरी जिसके बारे में किसी से सपने में भी नहीं सोचा था। साल 2020 के बारे में आने वाले समय में अगर कुछ याद रहेगा तो वो ज़ाहिर तौर पर कोरोना वायरस महामारी ही होगी।
लाखों हताहत हुए, कई की जान गई और कोरोना वायरस ने जीवन के अन्य क्षेत्रों पर एक दुर्भाग्यपूर्ण प्रभाव डाला। इस महामारी को अब तक कि सबसे बड़ी महामारी माना जा रहा है। आज एक साल बाद कोविड-19 के खिलाफ वैक्सीन ज़रूर आ गई है, लेकिन इसके बावजूद कई लोगों को डर है कि कहीं ऐसा न हो कि ये वायरस कभी न ख़त्म हो।
हम आपको बता दें कि सिर्फ कोरोना वायरस ही ऐसी बीमारी नहीं है जिसका ख़तरा हम सबकी की ज़िंदगी पर बना हुआ है। दुनिया में अब भी कम से कम 7 ऐसी बीमारियां हैं, जो कोरोना से कहीं ज़्यादा घातक साबित हो सकती हैं।
इबोला
इबोला के हालिया प्रकोप को सबसे घातक माना गया था। हालांकि, कई इस बात से डरे हुए हैं कि शायद सबसे बुरा अभी आया नहीं है।
इबोला, जो शारीरिक तरल पदार्थों के संचरण के माध्यम से फैलता है और जिसकी वजह से स्वास्थ्य कर्मियों में गंभीर जोखिम बना हुआ है। आज भी इस बीमारी की स्थिति बेहतर नहीं हुई है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, 3400 से अधिक मामले और 2270 मौतें हुई हैं। इबोला को रोकने के लिए एक वैक्सीन को जनवरी 2020 में उपयोग के लिए अनुमोदित किया गया था और लेकिन अभी तक इसके बारे में फैसला नहीं लिया गया है। अगर वक्त रहते कदम नहीं उठाए गए हैं, तो इबोला एक अपरिहार्य महामारी में बदल सकता है, जिसके नतीजे डरावने हो सकते हैं।
लासा बुख़ार
लासा बुखार एक वायरल संक्रमण है जो रक्तस्रावी बीमारी के लक्षणों का कारण बनता है। इस बीमारी के बारे में सबके ख़तरनाक बात ये है कि हर 5 में से 1 लासा बुखार से संक्रमित व्यक्ति के लिवर, स्पलीन और गुर्दे में जानवेला ख़तरा पैदा हो जाता है। लासा बुखार भी आसानी से फैल सकता है क्योंकि यह दूषित घरेलू वस्तुओं, मूत्र, मल, रक्त के माध्यम से फैलता है। अफ्रीका में ये बीमारी हज़ारों लोगों की जान ले चुकी है और आज भी इसकी कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।
मारबर्ग वायरस बीमारी
इबोला का कारण बनने वाले वायरस के परिवार से संबंधित मारबर्ग वायरस, बेहद संक्रामक हो सकता है, जोमृत या जीवित मरीज़ को छूने से भी फैल सकता है। इस घातक बीमारी का जोखिम 88% है, इसके आखिरी प्रकोप में तीनों संक्रमित लोगों ने अपनी जान गंवाई थी।
MERS-COV
मध्य पूर्व श्वसन सिंड्रोम (MERS),एक संक्रामक बीमारी है, जो मुख्य रूप से श्वसन बूंदों के माध्यम से फैलती है। ये किसी भी वक्त और कुछ ही समय में भयानक महामारी का रूप ले सकती है।
SARS
गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम (SARS) का कोविड-19 वायरस के परिवार से संबंध रखता है। साल 2002 में जब चीन में पहली बार इस प्रकोप की सूचना मिली थी, तब तक SARS महामारी 26 से अधिक देशों में फैल गई थी, जिसके परिणामस्वरूप 8000 से अधिक मामले सामने आए।
नीपाह वायरस
निप्पा वायरस, एक ऐसा संक्रमण है जो खसरा वायरस से संबंधित है। साल 2018 में निपाह वायरस केरल में बुरी तरह फैला था। हालांकि इस पर सही समय पर काबू पा लिया गया था, लेकिन इस बीमारी के लक्षण और संक्रामक तरीका इसका एक बार फिर फैलना आसान बना सकता है। चमगादड़ से इंसानों में फैलने वाले इस संक्रमण के आम लक्षणों में- नर्वस इंफ्लेशन, सीजन, भयानक सिर दर्द, उल्टियां, बेहोशी और मतली हैं।
डिज़ीज़-X
डिज़ीज़-एक्स की खोज ने दुनिया को एक बार भी चिंता में डाल दिया है। एक्सपर्ट्स की मानें, तो साल 2021 में ये संभावित महामारी का रूप से सकती है। अफ्रीकी वायरस इबोला का पता लगाने वाले वैज्ञानिक जीन-जाक मुएंबे टैमफम ने चेतावनी जारी करते हुए बताया है कि अभी डिज़ीज़ एक्स (Disease X) कोविड-19 से ज़्यादा ख़तरनाक और तेज़ी से फैल सकता है। आपको बता दें कि डॉक्टर जीन जाक मुएंबे टैमफम ने साल 1976 में इबोला वायरस का पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका थी।
इस वक्त कहा जा रहा है कि मनुष्यों को 'डिज़ीज़-x' बड़े पैमाने पर प्रभावित कर सकती हैं, यानी ख़तरा बड़ा है। इस संक्रमण को इबोला वायरस जितना घातक, कोविड-19 जितना तेज़ी से फैलने वाला बताया जा रहा है और संभवतः आने वाले दिनों में एक और महामारी का रूप भी ले सकता है।
अज्ञात बीमारियों के बारे में चेतावनी देते हुए प्रो. टैमफम ने कहा कि अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय जंगलों से आने वाले नए वायरस तेज़ी से फैल सकते हैं और मानवता के लिए ख़तरा साबित हो सकते हैं। हम अब एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं जहां रोगजनक निकल कर आएंगे, जो मानवता के लिए सबसे बड़ा ख़तरा है।