Heart Health: हिल स्टेशन में रहने वाले लोगों को दिल की बीमारी का जोखिम कम, रिसर्च
Heart Health एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि जिन लोगों का घर पहाड़ों या ऊंचाई वाले स्थानों पर होता हैं उनको स्ट्रोक और स्ट्रोक की वजह से मौत का रिस्क बहुत कम होता है। लाइफस्टाइल और भौगौलिक स्थिति का स्वास्थ्य पर असर पड़ता है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। हिल स्टेशन की खूबसूरत और हसीन वादियां सिर्फ दिल को लुभाती नहीं है बल्कि दिल की सेहत का भी ध्यान रखती है। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि दूर से दूर तक हरियाली और ठंडा महौल दिल को स्ट्रोक के खतरे से बचाता है। इतना ही नहीं हरियाली में रहने वाले लोगों में स्ट्रॉक से मौत का जोखिम कम होता है।
अध्ययन के मुताबिक जो लोग समुद्रतल से 2000 से 3500 मीटर की ऊचाई पर रहते हैं उनको दिल की बीमारियों का खतरा कम रहता है। अध्ययन को फ्रंटलाइन इन फिजियोलॉजी में प्रकाशित किया है। शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन 17 सालों के दौरान स्ट्रोक और स्ट्रोक से संबंधित जटिलताओं के कारण अस्पताल में आने वाले लोगों पर किया है। अध्ययन में शामिल लोग इक्वाडोर में पहाड़ों पर चार अलग-अलग ऊंचाईयों वाले स्थानों पर रहते थे। अध्ययन के मुताबिक 17 सालों में पहाड़ों पर रहने वाले करीब एक लाख स्ट्रोक के मरीज विभिन्न अस्पतालों में पहुंचे। सारी दुनिया में स्ट्रोक की वजह से मौत और अपंगता सबसे बड़ा कारण बनता जा रहा है।
स्ट्रॉक कैसे होता है
खून की वाहिकाओं में क्लॉटिंग या ब्लॉकेज के कारण धमनियों से ब्रेन की ओर जाने वाले खून की सप्लाई जब बाधित हो जाती है, तो स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। अध्यन के मुताबिक लोगों की लाइफस्टाइल और उनकी भौगौलिक स्थिति का स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है। नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि जिन लोगों का घर पहाड़ों या ऊंचाई वाले स्थानों पर होता हैं उनको स्ट्रोक और स्ट्रोक की वजह से मौत का रिस्क बहुत कम होता है।
कम ऑक्सीजन के साथ तालमेल बिठा लेते हैं:
इस अध्ययन में दक्षिण अमेरिका के इक्वाडोर के चार ऐसे स्थानों के लोगों का चयन किया गया जो पहाड़ियों पर रहते थे। यहां स्ट्रोक तथा स्ट्रोक से संबंधित बीमारियों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया। विश्लेषण के बाद एक्सपर्ट्स ने पाया कि पहाड़ों में रहने वालों में स्ट्रोक का खतरा कम था। पहाड़ी क्षेत्रों में हवा में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है जिससे दिल पर अधिक दबाव बनता है, लेकिन जो लोग ऊंचे स्थानों पर रहते हैं उन्हें ऐसी परिस्थितियों की आदत हो जाती है और वह सांस संबंधी प्रक्रिया को इन स्थितियों के साथ तालमेल बिठा लेते हैं। इससे स्ट्रोक का रिस्क कम हो सकता है।
हालांकि अभी तक वैज्ञानिकों यह पता लगाने में असफल रहे कि ऊंचाई पर रहने वाले लोगों में स्ट्रोक का खतरा क्यों कम हो जाता है। इसके लिए अभी और अध्ययन की जरूरत है।