बच्चों के गलत खानपान के पीछे हो सकती हैं ये सारी वजहें, ऐसे करें इनमें बदलाव और सुधार
सही ढंग से भोजन न करने के लिए पेरेंट्स बच्चों को ही जिम्मेदार मानते हैं बल्कि खानपान की आदतें पेरेंट्स से ही प्रभावित होती हैं इसलिए खुद के साथ बच्चों को भी हेल्दी खिलाएं ऐसे..
'अरे यह तो कुछ खाता ही नहीं।', 'सब्जियां तो जैसे इसकी दुश्मन हैं।' 'मुझे तो हमेशा इसे डांटकर ही खिलाना पड़ता है।', 'इसका टिफिन कभी भी खाली नहीं होता, हमेशा सब्जियां बचाकर ही लाता है।', 'इसे तो बस बाहर का पिज्जा-बर्गर ही अच्छा लगता है। घर की रोटी तो मानो गले में अटकती हो', ये कुछ ऐसे जुमले हैं जो अमूमन हर माता-पिता की जुबां पर होते हैं। तो कैसे इन आदतों से छुटकारा दिलाकर बचपन को शुरू से सिखाएं खानपान की अच्छी आदतें, जानेंगे इसके ट्रिक्स
1. बदलें अपना व्यवहार
जो अभिभावक बच्चे में अच्छी ईटिंग हैबिट्स डेवलप करना चाहते हैं, उन्हें सबसे पहले अपनी खानपान की आदतों पर गौर करना होगा। अगर आप हर दूसरे दिन बाहर से खाना मंगवाते हैं और बच्चे से कहते हैं कि वह घर का बना पौष्टिक भोजन खाएं तो बच्चा ऐसा कभी भी नहीं करेगा।
क्या करें: सबसे पहले अभिभावक अपना व्यवहार संयमित करें। बाहर का खाना बंद करें। सही समय पर घर का बना हेल्दी भोजन ही खाएं। आपको देखकर बच्चा भी प्रेरित होगा।
2. अलग दें खाने की प्लेट
अमूमन माता-पिता भोजन करते समय बच्चे को अपनी प्लेट से ही भोजन करवाते हैं, लेकिन खाने का यह तरीका गलत है। इससे आपको पता नहीं चलता कि बच्चे ने भरपेट भोजन किया है या नहीं। साथ ही उसे पर्याप्त मात्रा में पौष्टिकतत्व प्राप्त नहीं हो पाते।
क्या करें: बच्चे को हमेशा अलग प्लेट में भोजन दें और उसे खुद खाने के लिए प्रेरित करें। साथ ही उसे समझाएं कि वह अपनी प्लेट में भोजन झूठा न छोड़ें।
3. झूठ न बोलें, लालच न दें
कुछ माता-पिता अक्सर बच्चों को खाने के लिए लालच देते हैं या फिर उनसे झूठ बोलते हैं। जैसे कि अगर तुम खाना खत्म करोगे तो हम तुम्हें बाहर घुमाने ले जाएंगे। लेकिन जब अभिभावक अपना वादा पूरा नहीं करते तो इससे बच्चे के कोमल मन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। ऐसे में न सिर्फ बच्चे खुद भी झूठ बोलना सीखते हैं, बल्कि खुद को शांत करने के लिए बर्गर, चिप्स या चॉकलेट आदि खाते हैं, जिससे वह इमोशनल ईटिंग के शिकार हो जाते हैं।
क्या करें: सिर्फ भोजन ही नहीं, किसी भी संदर्भ में बच्चे से झूठे वादे कभी भी न करें। जो कार्य आप नहीं कर सकते, बच्चों को उसका कारण समझाते हुए प्रेम से मना कर दें।
4. जबरदस्ती न करें
बचपन से ही कुछ मां खाने को लेकर बच्चे के साथ जबरदस्ती करती हैं। वह बच्चे को गोद में लेकर उनके हाथ-पैर पकड़कर जबरदस्ती उन्हें खाना खिलाती हैं। इससे बच्चे की पोषण संबंधी जरूरतें तो पूरी नहीं होतीं, बल्कि उन्हें बचपन से ही खाने से नफरत होने लगती है। कुछ बच्चों को तो इसके कारण भूख न लगने की समस्या भी होने लगती है और वह कमजोर होते चले जाते हैं।
क्या करें: बच्चे के साथ कभी भी भोजन को लेकर जबरदस्ती न करें। अगर बच्चा एक वक्त भोजन नहीं कर रहा है तो उसे यूं ही छोड़ दें। कुछ देर बाद जब उसे भूख लगेगी तो वह खुद आपसे खाना मांगेगा। हालांकि इस बात का ध्यान रखें कि आप उस दौरान उसे दूध या अन्य चीजें न दें, ताकि उसे खुलकर भूख लग सके।