Blood Test Detect Psychotic Disorder : साधारन ब्लड टेस्ट से लोगों में होने वाली मनोविकृति का पता लगेगा
Blood Test Detect Psychotic Disorder वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि ब्लड सैंपल में एक खास तरह के प्रोटीन के स्तर की जांच से मनोविकृत बीमारी की आशंका का पता लगाया जा सकता है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। मनोवैज्ञानिक बीमारियों का पता अब साधारण ब्लड टेस्ट से लगाया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि ब्लड सैंपल में एक खास तरह के प्रोटीन के स्तर की जांच से मनोविकृत बीमारी की आशंका का पता लगाया जा सकता है। मनोविकृति पागलपन का शुरुआती विकार है। अगर का व्यक्ति इस तरह के मनोविकार से पीड़ित होता है तो कुछ साल के बाद वह पागल हो सकता है। वैज्ञानिकों ने यह दावा जेएएमए साइकेट्री जर्नल के ताजा अंक में प्रकाशित हुआ है। आरसीएसई यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसीन एंड हेल्थ साइंस के शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन किया है। मामूली तथा उससे कुछ ऊपर के लक्षण के आधार पर कुछ लोगों में सिजोफ्रेनिया जैसे मनोविकृति वाले विकार के होने की आशंका ज्यादा रहती है। हालांकि इनमें से 20 से 30 प्रतिशत लोगों को ही आगे जाकर साइकोटिक डिर्सोर्डर (मनोविकृति) होता है। शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में अधिक जोखिम वाले लोगों के खून का नमूना लेकर इसक विश्लेषण किया है।
कई सालों के अध्ययन के बाद पता चला
शोधकर्ताओं ने इन लोगों पर कई सालों तक नजदीकी नजर रखा और देखा किस तरह के लोगों में आगे जाकर साइकोटिक डिर्सोर्डर हुआ और किस तरह के लोगों में आगे जाकर साइकोटिक डिर्सोर्डर नहीं हुआ। अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने मशीन लर्निंग की मदद से खून के नमूनों में से प्रोटीन का विश्लेषण किया। विश्लेषण में शोधकर्ताओं को प्रोटीन के एक खास पैटर्न के बारे में पता चला जिसके आधार पर यह पता लगाया जा सकता है कि आगे चलकर इनमें से किन रोगियों को साइकोटिक डिर्सोर्डर होने वाला है और किन रोगियों को यह बीमारी नहीं होने वाली है। शोधकर्ताओं ने पाया कि खून में मौजूद ये खास प्रकार के ज्यादातर प्रोटीन सूजन बढ़ाने में उत्तेजक का काम कर रहे थे। इससे पता चला कि जिन रोगियों में आगे जाकर साइकोटिक डिर्सोर्डर हुआ उनमें इस प्रोटीन ने शुरुआत में ही रोग प्रतिरोधक प्रणाली में बदलाव कर दिया। शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि प्रोटीन के इस खास पैटर्न के आधार पर किसी व्यक्ति में आगे होने वाले साइकोटिक डिर्सोर्डर की आशंका को कई साल पहले पता लगाया जा सकता है।
भविष्यसूचक प्रोटीन से पता लगेगा किसे है ज्यादा जोखिम
शोधकर्ताओं का यह अध्ययन सबसे सटीक 10 सबसे अधिक भविष्यसूचक प्रोटीन पर आधारित था। इसने एकदम सच सच उन लोगों की पहचान कर ली जिनमें साइकोटिक डिर्सोर्डर होने की आशंका 93 प्रतिशत तक पाई गई।
इस अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर डेविड कोटर ने बताया कि हम लोगों को साइकोटिक डिर्सोर्डर से बचाना चाहते हैं लेकिन इसके लिए हमें यह पता लगाना बेहद जरूरी है कि किस लक्षण वाले लोगों में इस तरह के विकार के होने की आशंका है। हमारे शोध ने यह कर दिखाया है। हमने मशीन लर्निंग की मदद से इस खास तरह के प्रोटीन का विश्लेषण किया है जिसमें हमें साधारण ब्लड टेस्ट से यह पता लग जाएगा कि भविष्य में कौन साइकोटिक डिर्सोर्डर का शिकार होने वाला है। इस नतीजे से हम कई लोगों को साइकोटिक डिर्सोर्डर का समय से पहले इलाज कर पाने में सक्षम होंगे और उन्हें भविष्य में यह विकार नहीं होगा।
Written By : Shahina Noor