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COVID19 Vaccine: क्या कोरोना वैक्सीन का इस्तेमाल मुंह या नाक के जरिए ज्यादा होगा असरदार? जानें-क्या कहती है रिसर्च

COVID-19 Vaccinesजहां वैक्सीन की तैयारी जोरों पर है वही कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए वैक्सीन को नाक में लगाना बेहतर है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Tue, 15 Sep 2020 12:49 PM (IST)Updated: Tue, 15 Sep 2020 10:55 PM (IST)
COVID19 Vaccine: क्या कोरोना वैक्सीन का इस्तेमाल मुंह या नाक के जरिए ज्यादा होगा असरदार? जानें-क्या कहती है रिसर्च
COVID19 Vaccine: क्या कोरोना वैक्सीन का इस्तेमाल मुंह या नाक के जरिए ज्यादा होगा असरदार? जानें-क्या कहती है रिसर्च

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। कोरोनावायरस से बचाव के लिए पूरी दुनिया में लगभग 150 से ज्यादा टीकों पर काम चल रहा है। रूस और चीन इस बीमारी पर काबू पाने वाले टीके के सफल विकास का दावा कर चुके हैं। जहां वैक्सीन की तैयारी जोरों पर है, वहीं कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए वैक्सीन को नाक में लगाया जाना बेहतर होगा।

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ब्रिटिश वैज्ञानिक इस बात को प्रामाणित करने के लिए एक छोटा अध्ययन कर रहे हैं कि कोविड-19 के दो प्रायोगिक टीके क्या इंजेक्शन की जगह मुंह अथवा नाक के जरिए दिए जाने पर बेहतर काम कर सकते हैं।

इंपीरियल कॉलेज लंदन और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने दो टीकों का निर्माण किया है। शोधकर्ता एक अध्ययन में इस बात का परीक्षण करेंगे कि टीके को नाक या मुंह से दिए जाने पर उसका श्वसन तंत्र पर सीधा कितना असर होगा।

अध्ययन में 30 लोगों को शामिल किया जाएगा। अध्ययन में शामिल लोगों के मुंह में टीके की बूंदों को डालकर देखा जाएगा कि वैक्सीन श्वसन तंत्र को सीधे प्रभावित करेगी या नहीं।

इंपीरियल और ऑक्सफोर्ड वैक्सीन के बड़े अध्ययन पहले से ही चल रहे हैं, लेकिन यह अध्ययन इस चीज को देखने के लिए है कि क्या टीके को मुंह के जरिए दिया जाए तो वे अधिक प्रभावी हो सकते हैं।

इंपीरियल के डॉ क्रिस चियु जिनके नेतृत्व में ये शोध किया जा रहा है, उन्होंने कहा कि हमारे पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि नाक के माध्यम से इन्फ्लूएंजा का टीके देने से फ्लू से लोगों की हिफाजत के साथ-साथ बीमारी को फैलने से रोकने में भी मदद मिल सकती है। कोविड -19 का टीका भी अगर नाक के जरिए दिया जाएगा तो उसका असर लोगों पर ज्यादा होगा।

अध्ययन को करने के लिए शोधकर्ता 18 से 55 साल की उम्र के प्रतिभागियों की भर्ती कर रहा है और आने वाले हफ्तों में लंदन में लोगों का टीकाकरण शुरू करने की उम्मीद कर रहा है।

पिछले अध्ययनों में पाया गया है कि सांस के जरिए टीका लगाने से इंजेक्शन की तुलना में कम खुराक की आवश्यकता होती है, जिससे दवा की कम मात्रा में ही ज्यादा परिणाम हासिल किए जा सकते हैं।

अध्ययन में यह देखने के लिए किया जा रहा है कि क्या ऐसा कोविड-19 के मामले में भी हो सकता है। 

                                Written By: Shahina Noor


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