पैर, कमर और पीठ में लगातार होने वाले दर्द को न करें इग्नोर, हो सकती है साइटिका की प्रॉब्लम
पैरों कमर और पीठ में लगातार होने वाले दर्द को न करें इग्नोर क्योंकि यह साइटिका जैसी गंभीर बीमारी भी हो सकती है। जानें इसकी वजहें लक्षण और उपचार।
वैसे तो किसी भी तरह के दर्द को अनदेखा करना सेहत पर भारी पड़ सकता है लेकिन कुछ जगहों के दर्द को बिल्कुल भी इग्नोर न करें जिसमें से एक है पीठ, पैर और कमर दर्द। इन तीनों में से किसी में भी लगातार दर्द बना रहे तो डॉक्टर से संपर्क करें क्योंकि ये साइटिका जैसी गंभीर बीमारी की वजह भी हो सकते हैं। जानेंगे इस समस्या के बारे में...साथ ही उसके लक्षण, बचाव और उपचार के तरीके।
सायटिका
सायटिका पीठ में दर्द की एक ऐसी स्थिति को कहते हैं, जो सियाटिक नर्व के दब जाने से पैदा होती है। यह नर्व पीठ के निचले हिस्से से शुरू हो कर पैरों के अंगूठे तक पहुंचती है। यह नस हमारी मांसपेशियों को ताकत देने का काम करती है। अगर किसी वजह से यह नर्व दब जाती है तो यह आसपास की दूसरी नसों को भी दबाने लगती है। इसी वजह से व्यक्ति को कमर, पीठ, हिप्स और पैरों में लगातार दर्द की समस्या होती है, जिसे सायटिका कहा जाता है। इसके अलावा अगर स्पाइनल कॉर्ड का निचला हिस्सा संकरा हो तो भी ऐसी समस्या हो सकती है। अगर रीढ़ की हड्डियों के जोड़ों के बीच मौजूद कुशन का जेलनुमा पदार्थ सूखने लगे तो हड्डियां एक-दूसरे पर ज्य़ादा दबाव डालने लगती हैं। इस वजह से भी ऐसी समस्या हो सकती है।
कैसे करें पहचान
पैरों,कमर और पीठ में तेज दर्द
कदम उठाते वक्त पैरों या एडिय़ों में दर्द
तेज दर्द के साथ जलन और चुभन का एहसास
कमजोरी महसूस होना
पैरों का सुन्न पड़ जाना
खड़े होने या बैठने पर दर्द का बढ़ जाना
पीठ के निचले हिस्से से शुरू होकर दर्द का पैरों के अंगूठे तक पहुंच जाना
ये सारी हैं वजहें
1. भारी वजन उठाने या किसी वजह से झटका लगने पर रीढ़ की हड्डी का कोई खास हिस्सा अपनी जगह से खिसक जाता है, जिसे स्लिप डिस्क कहा है। यह सायटिका की सबसे बड़ी वजह है।
2. ओवरवेट लोगों को भी यह समस्या हो जाती है।
3. एक्सरसाइज न करना या गलत तरीके से एक्सरसाइज करना और सोने के लिए बहुत ज्य़ादा मुलायम गद्दे का इस्तेमाल करना।
4. अक्सर हाई हील पहनने वाली स्त्रियों को भी यह समस्या हो सकती है।
5. डिलिवरी के बाद कुछ स्त्रियों को यह समस्या हो जाती है क्योंकि प्रेग्नेंसी के दौरान सियाटिक नर्व पेल्विक एरिया पर दबाव डालता है।
बचाव
कोई भी भारी सामान उठाते समय ध्यान रखें कि कमर पर ज्य़ादा जोर न पड़े।
संतुलित खानपान और नियमित एक्सरसाइज से अपना वजन नियंत्रित रखें।
बैठते समय हमेशा अपनी पीठ सीधी रखें।
उठते-बैठते समय ध्यान रखें कि आपकी कमर को झटका न लगे।
प्रेग्नेंसी के दौरान और डिलिवरी के बाद डॉक्टर के सभी निर्देशों का अच्छी तरह पालन करें।
कुशल प्रशिक्षक की सलाह और निगरानी के बिना कोई भी एक्सरसाइज न करें
क्या है उपचार
1. पीठ, कमर और पैरों के दर्द से जूझ रहे व्यक्ति जब डॉक्टर के पास जाते हैं तो वह उनकी मेडिकल हिस्ट्री जानने के बाद इन जगहों की हड्डियों और मांसपेशियों की स्थिति, लचीलापन, संवेदना और उनकी ताकत की जांच करते हैं।
2. इसके अलावा मरीज का एक्स-रे, एमआरआइ, सीटी स्कैन और जरूरत महसूस होने पर व्यक्ति के नर्व की स्थिति की भी जांच की जाती है।
3. सायटिका के मरीज को नॉन-स्टीरॉयड एंटी इन्फ्लेमेट्री दवाएं दी जाती हैं, ताकि मरीज को दर्द और जलन से आराम मिल सके।
4. दवाओं के साथ अगर फिजियोथेरेपी का सहारा लिया जाए तो मरीज को जल्द आराम मिल जाता है।
5. अगर दवाओं और फिजियोथेरेपी से मरीज को फायदा न हो रहा हो या उसकी पीड़ा असहनीय हो तो उपचार के अंतिम विकल्प के रूप में सर्जरी का इस्तेमाल किया जाता है।
सर्जरी के बाद मरीज को अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए। डॉक्टर की सलाह पर पूरी तरह अमल करते हुए नियमित एक्सरसाइज और मॉर्निंग वॉक के साथ अगर संतुलित खानपान अपनाया जाए तो सर्जरी के बाद भी व्यक्ति स्वस्थ और सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है।