Diabetes Related To Pollution: लंबे समय तक प्रदूषण में रहने से बढ़ता है डायबिटीज़ का ख़तरा
Diabetes Related To Pollution लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने से मधुमेह का ख़तरा बढ़ जाता है। चीन में हाल में हुए एक अध्ययन से यह बात सामने आई है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Diabetes Related To Pollution: मानव स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों से संबंधी रिपोर्ट्स अक्सर सामने आती रहती हैं। आंकड़े बताते हैं कि भारत में होने वाली कुल मौतों में से लगभग एक चौथाई वायु प्रदूषण के कारण होती हैं। प्रदूषित हवा में मौजूद 2.5 माइक्रोन से कम आकार के महीन कण या पीएम-2.5 के संपर्क में आने से ये मौतें होती हैं।
हाल ही में लेंसेट प्लैनेटरी हेल्थ में प्रकाशित अमेरिका के रोग विशेषज्ञों द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में पता चला है कि पीएम-2.5 मधुमेह की बीमारी को भी प्रभावित करता है। यानी लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने से मधुमेह का ख़तरा बढ़ जाता है। चीन में भी हुए एक अध्ययन से यह बात सामने आई है।
क्या कहते हैं आंकड़ें
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की खबर के मुताबिक यह शोध 'चाइनीज़ एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज फुवई हॉस्पिटल' और अमेरिका स्थित एमरॉय विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने साथ मिलकर किया है। इस शोध में 11 साल तक पीएम 2.5 के संपर्क में रहने वाले 88,000 से अधिक चीनी वयस्कों को शामिल किया गया था। इनसे मिले आंकड़ों के आधार पर मधुमेह और प्रदूषण के बीच संबंध का विश्लेषण किया गया। शोध के नतीज़ों से पता चला कि लंबे समय तक पीएम 2.5 के 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक बढ़ने से मधुमेह का ख़तरा 15.7 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।
लगातार बढ़ता वायु प्रदूषण
शिन्हुआ की खबर में अध्ययन का हवाला देते हुए यह भी कहा गया है कि यह अध्ययन विकासशील देशों के लिए काफी महत्व रखता है क्योंकि इन देशों में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। खासतौर पर भारत और चीन जैसे देशों में जहां पिछले कुछ सालों में पीएम 2.5 का स्तर काफी अधिक पाया गया है लेकिन, इसके बावजूद इन देशों में वायु प्रदूषण और मधुमेह के बीच के संबंध के बारे में जानकारी कम ही सामने आई है।
क्या है पीएम 2.5?
पीएम 2.5 या सूक्ष्म कण वायु प्रदूषक होते हैं जिनके बढ़ने पर लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। पीएम 2.5 कण इतने सूक्ष्म होते हैं कि इससे दृश्यता कम हो जाती है।
दुनिया में भारत दूसरे नम्बर पर
भारत में साल 2017 में मधुमेह से पीड़ित लोगों की संख्या 7.2 करोड़ आंकी गई थी, जो विश्व के कुल मधुमेह रोगियों के लगभग आधे के बराबर है। यह संख्या साल 2025 तक दोगुनी हो सकती है। भारत में मधुमेह के इलाज की अनुमानित सालाना लागत 15 अरब डॉलर से अधिक है। पंजाब, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे उच्च प्रति व्यक्ति आय वाले राज्यों में मधुमेह रोगियों की संख्या अधिक पायी गई है। जीवनशैली और भोजन संबंधी आदतों में बदलाव के कारण शहरी गरीबों में भी मधुमेह के अधिक मामले देखे गए हैं। 25 वर्ष से कम आयु के चार भारतीय व्यस्कों में से एक वयस्क में शुरुआती मधुमेह पाया गया है। दक्षिण एशियाई लोग भी आनुवंशिक रूप से मधुमेह के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं।
मधुमेह से दुनियाभर में काफी आर्थिक और स्वास्थ्य बोझ बढ़ता है। दुनियाभर में चीन में मधुमेह के सबसे अधिक मामले हैं। दिसंबर 2017 में आयी एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन में कुल 11.40 करोड़ मधुमेह रोगी हैं, जबकि भारत 7.2 करोड़ रोगियों के साथ दूसरे नंबर पर है। मधुमेह के करीब तीन करोड़ पीड़ित अमेरिका में हैं।