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पल्मोनरी हाइपरटेंशन के लक्षणों की पहचान कर सही समय पर जरूरी है ट्रीटमेंट वरना हो सकता है खतरनाक

स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर समस्या है पल्मोनरी हाइपरटेंशन जिसकी पहचान कर समय रहते ट्रीटमेंट शुरू कर देने से इसके जानलेवा होने के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। तो आइए जानते हैं इससे जुड़ी जरूरी बातें।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Fri, 07 May 2021 08:42 AM (IST)Updated: Fri, 07 May 2021 08:42 AM (IST)
पल्मोनरी हाइपरटेंशन के लक्षणों की पहचान कर सही समय पर जरूरी है ट्रीटमेंट वरना हो सकता है खतरनाक
घर पर मशीन से अपना ब्लड प्रेशर लेवल चेक करती हुई महिला

पल्मोनरी हाइपरटेंशन हेल्थ से जुड़ी ऐसी समस्या है, जिसके प्रति हल्की सी भी लापरवाही किसी बड़ी अनहोनी की वजह बन सकती है। लेकिन समय रहते उपचार की मदद से इसके लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है। जिससे आप बीमारी से बेहतर तरीके से निपट सकें। पल्मोनरी हाइपरटेंशन आपके दिल से फेफड़ों तक जाने वाली धमनियों में हाई ब्लड प्रेशर को कहा जाता है। यह आपके सामान्य हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से अलग है। यह आपके लंग्स यानी फेफड़ों में धमनियों और आपके दिल के दाहिने हिस्से को प्रभावित करता है।

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क्या हैं वजहें

- मोटापा या ज्यादा वजन

- फैमिली हिस्ट्री

- ऑटोइम्यून डिजीज

- कंजेस्टिव हार्ट फेल्योर

- लंग्स में ब्लड क्लॉटिंग

- एचआईवी

- लिवर की बीमारी

- रूमेटाइड आर्थराइटिस

- स्लीप एप्निया

शुरुआती लक्षण भी जानिए

- सांस की तकलीफ

- थकान महसूस होना

- चक्कर आना या बेहोशी

- सीने में दर्द महसूस होना

- होठों और त्वचा का नीला रंग

- हार्ट बीट बढ़ना या कम होना

- टखनों और पैरों में सूजन

लाइफस्टाइल का अहम रोल

पल्मोनरी हाइपरटेंशन के पीछे प्रमुख कारणों में लाइफ स्टाइल का अहम रोल है। डॉक्टर्स के अनुसार, लाइफ स्टाइल के साथ ही सक्रिय न रहना भी इस बीमारी की बड़ी वजह है। पल्मोनरी हाइपरटेंशन के साथ आपके ब्लड प्रेशर में वृद्धि कोशिकाओं में परिवर्तन के कारण होती है, जो आपकी पल्मोनरी आर्टरी से चिपकी होती है। इन बदलावों से आर्टरीज की दीवारें कठोर और मोटी हो सकती हैं और एक्स्ट्रा टिश्यू बन सकते हैं और ब्लड वेसल्स में सूजन और उन्हें संकरा बना सकती हैं।

लंग्स पर बढ़ जाता है दबाव

पल्मोनरी हाइपरटेंशन होने पर लंग्स में छोटी धमनियां, जो कि खून की सप्लाई करती हैं, संकरी या ब्लॉक हो जाती हैं। ऐसे में ब्लड फ्लो कठिन हो जाता है व लंग्स में खून का दबाव बढ़ता है। तब हार्ट को उन धमनियों से ब्लड पंप करने में मुश्किल व कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। जिससे कुछ समय बाद हार्ट की मांसपेशी कमजोर हो जाती है और यह हार्ट फेल्योर का कारण बन सकता है।

Pic credit- freepik


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