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बदलते मौसम में नाक और खानपान से होने वाली एलर्जी से बचे रहने के लिए आजमाएं ये उपाय

एलर्जी के कई प्रकार हैं और इस मर्ज की अनेक वजहें भी लेकिन कुछ सुझावों पर अमल कर आप मौजूदा मौसम में नाक की एलर्जी और खानपान से होने वाली एलर्जी से बच सकते हैं..

By Priyanka SinghEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 01:19 PM (IST)Updated: Wed, 16 Oct 2019 08:49 AM (IST)
बदलते मौसम में नाक और खानपान से होने वाली एलर्जी से बचे रहने के लिए आजमाएं ये उपाय
बदलते मौसम में नाक और खानपान से होने वाली एलर्जी से बचे रहने के लिए आजमाएं ये उपाय

एलर्जी तब होती है जब शरीर किसी पदार्थ के प्रति प्रतिक्रिया करता है। वह पदार्थ जिसके कारण प्रतिक्रिया होती है, उसे एलर्जन कहा जाता है। एलर्जी के विभिन्न प्रकार होते हैं। दमा भी अधिकतर एलर्जी के कारण ही होता है, लेकिन यहां इसका जिक्र न कर एलर्जी के दो अन्य प्रकारों के बारे में बताया जाएगा, जिनके मामले बरसात के मौसम में गंभीर हो सकते हैं।

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नाक की एलर्जी

एलर्जिक राइनाइटिस या नाक की एलर्जी मौसम बदलने के दौरान होती है। इस एलर्जी से नाक के वायुमार्ग में सूजन आ जाती है और छींके, नाक में खुजली व पानी तथा नाक का बंद हो जाना जैसे लक्षण प्रकट होते हैं। एलर्जी की वजह से साइनस में सूजन आ जाती है जिसे हम साइनुसाइटिस कहते हैं। बच्चों में एलर्जी की परेशानी यदि लंबे समय तक बनी रहती है तो कान बहना, कान में दर्द, कम सुनना, बहरापन जैसी परेशानियां भी हो सकती हैं। हमारे शरीर की संरचना के हिसाब से नाक, कान और गला आपस में किसी न किसी माध्यम से जुड़े होते हैं। इसलिए इनमें से किसी में भी संक्रमण या सूजन आने पर सब पर असर होता है। यही वजह है कि एलर्जी की वजह से नाक में सूजन के लक्षण प्रकट होने पर साइनस में, कान में दर्द और गले में खराश और आवाज में परिवर्तन भी दिखाई देता है।

डॉक्टर की सलाह लें

नाक की एलर्जी भविष्य में दमा का कारण बन सकती है। इसलिए अपने डॉक्टर से परामर्श लेकर इलाज कराएं। उन पदार्थों और वातावरण से बचें, जिनसे आपको पहले भी नाक की एलर्जी हो चुकी है। दमा होने पर डॉक्टर की सलाह से इनहेलर चिकित्सा ले सकते हैं।

रोकथाम

1. अपने घर को साफ रखें।

2. जानवरों को घर से दूर रखें।

3. पराग कणों से बचने के लिए पार्क और खेतों और घास वाले स्थानों से बचें।

4. सुबह के दौरान दरवाजा खिड़कियॉ बंद रखें, क्योंकि इस वक्त हवा में सबसे अधिक परागकण होते हैं।

खाद्य एलर्जी

इस तरह की एलर्जी में शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र(इम्यून सिस्टम) भोजन में शामिल किसी खास प्रोटीन के प्रति अतिसंवेदनशीलता प्रकट करता है। ऐसे प्रोटीन की थोड़ी सी मात्रा खाने से एलर्जी के लक्षण प्रकट हो सकते हैं। इस तरह के फूड एलर्जन्स में दूध, अंडे, मछली और अन्य मांसाहारी भोजन, सोया, प्रिजर्वेटिव्स, फास्टफूड्स और गेहूं को शामिल किया जा सकता है।

फूड इनटॉलरेंस और फूड एलर्जी में एक खास अंतर यह होता है कि एलर्जी में प्रतिरक्षा तंत्र एक अनावश्यक प्रतिक्रिया प्रकट करता है जो उस खाद्य पदार्थ में शामिल किसी खास प्रोटीन के कारण होती है। दूसरी ओर फूडइनटॉलरेन्स किसी पाचक एंजाइम की कमी के कारण होता है। इनके लक्षण समान हो सकते है लेकिन इनके लक्षणों के प्रकट होने के कारण अलग-अलग हैं। खाद्य एलर्जी होने पर अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

बचाव ही बेहतर

1. डिब्बाबंद खाद्य वस्तुओं से परहेज करें।

2. नाश्ते में कई चीजों को एक साथ मिलाकर न खाएं।

3. हाजमा खराब करने वाले गरिष्ठ भोजन से बचें।

4. एलर्जी पैदा करने वाली खाद्य सामग्री के सेवन से बचें।

5. ऐसी दवाओं के सेवन से बचें, जिनसे आपको एलर्जी होती है।

डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी(राष्ट्रीय अध्यक्ष, इंडियन कॉलेज ऑफ एलर्जी एंड एप्लाइड इम्यूनोलॉजी)किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ 


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