Stay Home Stay Empowered: बच्चों और महिलाओं में पोषण की कमी से हो सकती हैं ये दिक्कतें
सेहत के लिए जानना जरूरी है कि कब क्या और कितना खाना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान यह और जरूरी होता है क्योंकि आपके संग बच्चे की सेहत का सवाल भी होता है। हालांकि भारत में पोषण के कुछ फैक्ट इसकी दुखद तस्वीर पेश करते हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। सेहत के लिए जानना जरूरी है कि कब, क्या और कितना खाना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान यह और जरूरी होता है, क्योंकि आपके संग बच्चे की सेहत का सवाल भी होता है। हालांकि, भारत में पोषण के कुछ फैक्ट इसकी दुखद तस्वीर पेश करते हैं।
भारत में 26.8 फीसदी महिलाओं की शादी 18 साल से पहले हो जाती है। इसकी वजह से 22.9 प्रतिशत महिलाएं प्रेग्नेंसी के समय कम वजन की होती हैं। यही कारण है कि भारत में 58 फीसदी महिलाएं एनीमिया की शिकार हैं।
गर्भावस्था के दौरान पोषण इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि आपके शरीर में बहुत से बदलाव होते हैं। बच्चे की ग्रोथ के लिए यह काफी अहम भी है। इस दौरान फीटल ग्रोथ रिस्ट्रिक्शन (एफजीआर) का जोखिम काफी होता है। दुनियाभर में इसकी वजह से एक-चौथाई बच्चे काल के गाल में समा जाते हैं। खराब पोषण की वजह से बच्चे समुचित वजन हासिल नहीं कर पाते हैं। वहीं, कुछ मामलों में इसकी वजह से बच्चों का कॉगनिटिव विकास नहीं हो पाता है।
वयस्क रोग की भ्रूण उत्पत्ति
ऐसा स्वीकार किया जा चुका है कि गंभीर बीमारियों की बड़ी वजह खराब लाइफस्टाइल है। कोरोनरी हार्ट डिजीज, डाइबिटीज मेलिटस और हाइपरटेंशन फेटल लाइफ न्यूट्रिशन के बाई-प्रोडक्ट्स होते हैं। फीटल लाइफ के समय महिलाओं के भूखे रहने से इंसुलिन रजिस्टेंस सिंड्रोम होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में गर्भावस्था को दौरान बेहतर न्यूट्रिशन जरूरी है, क्योंकि इससे बाल मृत्यु दर, पैटर्न बर्थ, कम वजन के बच्चे पैदा होने जैसी दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता है।
मां के समुचित पोषण के ये हैं असर-
-मां के माइक्रोन्यूट्रिएंट स्तर में सुधार
- कम वजन के बच्चों में कमी
-पोस्ट डिलीवरी ब्लीडिंग एमएमआर में कमी
-मातृत्व एनीमिया में कमी, प्रीमैच्योर बेबी में कमी
-गर्भपात में कमी, दिमाग के नुकसान में कमी
मातृत्व पोषण को ऐसे सुधारें
स्वस्थ खान-पान के लिए काउंसिलिंग करें। बैलेंस्ड एनर्जी और प्रोटीन डाइटरी सप्लीमेंट्स लें। फोलिक एसिड सप्लीमेंटेशन (400 माइक्रोग्राम) पहले ट्राइमिस्टर में लें। आयरन और फोलिक एसिड दूसरी तिमाही में रोजाना लें। कैल्शियम सप्लीमेंट्स दूसरी तिमाही में रोजाना लें। कैफीन का सेवन कम करें। पास्चुराइज्ड दूध ही लें। बिना पका और कम पका खाना न लें। बिना पका मीट भी न लें। किसी भी फल-सब्जी को धोकर खाएं। खाना खाने से पहले हाथ धोएं। बागवानी करते समय दास्ताने पहनें और हाथों को अच्छी तरह धोएं।
गर्भावस्था में डाइट
-प्रेग्नेंसी में अतिरिक्त ऊर्जा के रूप में 350 किलो कैलोरी की आवश्यकता होती है
-दूसरी और तीसरी तिमाही में पोषक स्नैक्स जरूरी है
-कम वजन वाली प्रेग्नेंट महिलाएं एक अतिरिक्त स्नैक्स लें। अधिक वजह वाली महिलाएं पूरे दिन में छोटे-छोटे मील (खाना) लें।
-कम पोषण वाला खाना खाने की वजह से महिलाओं को चक्कर आना, मितली आना, भूख कम लगना जैसे समस्याएं होती हैं।
(इंडियन सोसाइटी ऑफ पेरियंटोलजी और रिप्रॉडक्टिव बायोलॉजी की सेक्रेटरी जनरल डॉ मीना सामंत से बातचीत पर आधारित)