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कोरोना में निमोनिया से हो सकते हैं गंभीर परिणाम, बचाव के लिए जरूरी है लक्षण जानना

Pneumonia fatal in Corona- कोरोना से बुजुर्गों में निमोनिया का खतरा ज्यादा। 50 साल से आधिक उम्र के लोगों का रखें ख्याल।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Sun, 12 Apr 2020 12:15 PM (IST)Updated: Sun, 12 Apr 2020 12:15 PM (IST)
कोरोना में निमोनिया से हो सकते हैं गंभीर परिणाम, बचाव के लिए जरूरी है लक्षण जानना
कोरोना में निमोनिया से हो सकते हैं गंभीर परिणाम, बचाव के लिए जरूरी है लक्षण जानना

नई दिल्ली,लाइफस्टाइल डेस्क। निमोनिया किसी भी उम्र के लोगों को कभी भी हो सकता है। ये फेफड़ों से जुड़ी हुई बीमारी है। जब फेफड़ों में इंफेक्शन होता है तो फेफड़े ठीक से काम नहीं करते और ब्लड में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है।

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आप जानते हैं कि कोरोना की वजह से भी निमोनिया इंसान को संक्रमित कर सकता है। कोरोना को लेकर अब तक जितने मामले सामने आ रहे हैं, उनमें बुखार, गले में खराश और जुकाम ही मुख्य लक्षण दिखे हैं। कोरोना के मरीजों में निमोनिया तेजी से उभरता हुआ लक्षण है। चीन के वुहान शहर में एक नए प्रकार के कोरोना वायरस से निमोनिया के प्रकरण पाए गए हैं।

कोरोना वायरस फैमिली के वायरस से सामान्य सर्दी-खांसी, एमईआरएस और एसएआरएस जैसी गंभीर बीमारियों होती हैं। इसमें आदमी से आदमी में संक्रमण फैलने की संभावना होती है। चीन के अलावा थाईलैंड, साउथ कोरिया, जापान व संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में भी चीन से आए यात्रियों में इस वायरस की पुष्टि हुई है।

नया कोरोना वायरस 2019 के आखिर में अनजान कारणों से निमोनिया जैसी बीमारी के रूप में सामने आया। बाद में पता चला कि इस बीमारी का कारण सीवियर एक्यूट रेस्परेटरी सिंड्रोम कोरोना वायरस 2 है। इसमें शुरुआत में हल्की सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण प्रकट होते हैं। डब्लूएचओ के मुताबिक, कोरोना संक्रमित करीब 80 फीसद लोग बिना किसी खास इलाज के ठीक हो जाते हैं। संक्रमित छह लोगों में से सिर्फ एक व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार पड़ता है और वह सांस लेने में तकलीफ होने की स्थिति तक पहुंचता है।

डब्लूएचओ के मुताबिक, बुजुर्ग तथा हाई ब्लड प्रेशर, हृदय तथा फेफड़े व मधुमेह के रोगियों में स्थिति गंभीर होने की ज्यादा संभावना रहती है। जिन मरीजों को निमोनिया की शिकायत होती है उनके फेफड़े रक्त प्रवाह से पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं ले पाते है और शरीर में ऑक्सीजन लेने तथा कार्बन डाइऑक्साइड के प्रभाव से बचने की क्षमता कम हो जाती है। यह निमोनिया की गंभीर स्थिति होती है। 

                         Written By Shahina Noor


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