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Painkillers Disadvantage: दर्द से छुटकारा दिलाने वाले पेन किलर आपकी सेहत को बिगाड़ रहे हैं- जानिए कैसे

Painkillers Disadvantage नाइस के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा है कि पैरासिटामोल या आइब्यूप्रोफेन दवाइयां दर्द में शरीर को राहत देने की बजाय नुकसान ज्यादा पहुंचाती है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Thu, 06 Aug 2020 05:44 PM (IST)Updated: Thu, 06 Aug 2020 11:45 PM (IST)
Painkillers Disadvantage: दर्द से छुटकारा दिलाने वाले पेन किलर आपकी सेहत को बिगाड़ रहे हैं- जानिए कैसे
Painkillers Disadvantage: दर्द से छुटकारा दिलाने वाले पेन किलर आपकी सेहत को बिगाड़ रहे हैं- जानिए कैसे

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। कहावत है कि तंदुरुस्ती हज़ार नेमतों के बराबर है। बदलते लाइफस्टाइल और जिंदगी की मसरूफियत ने हमारा नाता दर्द के साथ जोड़ दिया है। दर्द हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन गया है। अक्सर लोगों को बदन दर्द, कमर दर्द, गर्दन दर्द, सिर दर्द घुटनों का दर्द आदि की शिकायत रहती है। इस दर्द से छुटकारा पाने के लिए लोग पेनकिलर दवा को बेस्ट ऑपशंस मानते है। महिलाएं के बैग में पेनकिलर दवाइयों हमेशा मौजूद रहती हैं। जैसे ही शरीर में हल्का सा दर्द हुआ तुरंत ये महिलाएं बैग से पेनकिलर निकालती हैं और तुरंत गटक जाती है।

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लेकिन अगर आप भी ऐसा करती हैं तो थोड़ा संभल जाएं क्योंकि ब्रिटेन के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड केयर एक्सीसिलेंस यानी नाइस का कहना है कि पेनकिलर के रूप में इस्तेमाली की जाने वाली पैरासिटामोल या आइब्यूप्रोफेन दवाई दर्द से राहत दिलाती हो या नहीं हो लेकिन ये दवाइयां शरीर को भारी नुकसान पहुंचा सकती है। नाइस ने गाइडलाइन जारी कर डॉक्टरों को सलाह दी है कि क्रोनिक पेन यानी पुराने दर्द की स्थिति मे पेनकिलर वाली दवाइयां रोगियों को न लिखें।

नाइस के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा है कि पैरासिटामोल या आइब्यूप्रोफेन दवाइयां दर्द में शरीर को राहत देने की बजाय नुकसान ज्यादा पहुंचाती है। नाइस ने अपने गाइडलाइन में कहा है कि इस बात के पुख्ता सबूत है कि ये दवाइयां शरीर को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा सकती है। इसमें कहा है कि इस बात के कोई प्रमाण नहीं हैं कि पेनकिलर लेने से दर्द पर क्या असर पड़ता है।

अधिक दर्द के कारण आधे लोग काम नहीं कर पाते

गाइडलाइन में कहा गया है कि मरीजों को क्रोनिक दर्द में पैरासिटामोल या आइब्यूप्रोफेन देना अनुचित है। इसमें कहा गया है कि क्रोनिक पेन अपने आप में ऐसी स्थिति है जिसमें अन्य तरह के इलाज या इसमें निहित लक्षण से इसे समझा नहीं जा सकता है। डॉक्टर आमतौर पर क्रोनिक पेन उसे मानते हैं जो तीन से छह महीने से हो रहा हो और वह पूरी तरह से सही न हो रहा हो। यानी छह महीने से पुराने दर्द को क्रोनिक पेन कहा जाता है। ऐसे दर्द का इलाज करना दवाई से मुश्किल है और भावनात्मक रूप से दुखी होना कार्यात्मक अपंगता इसकी विशेषता है। नाइस का कहना है कि एक तिहाई से आधी जनसंख्या क्रोनिक पेन से ग्रस्त हैं। इनमें से आधे लोग डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं और दो तिहाई लोग इस दर्द के कारण काम करना भी छोड़ देते हैं।

 क्रोनिक पेन से कैसे छुटकारा पाएं:

एक्सरसाइज करें - नाइस ने सलाह दी है कि क्रोनिक पेन की स्थिति में पेनकिलर लेने से बेहतर से है नियमित एक्सरसाइज करें। वॉकिंग, रनिंग, स्विमिंग, योगा और डांसिंग को रोजाना के जीवन में शामिल करें। यदि आपके दिन बहुत खराब चल रहे है और किसी काम में मन नहीं लग रहा है तो भी ये एक्सरसाइज और योगा करें।

काम पर जाएं - दर्द की स्थिति में निःसंदेह काम करने का मन नहीं करता है लेकिन इससे निपटने का तरीका यही है कि काम पर अवश्य जाएं क्योंकि काम पर नहीं जाएंगे तो शरीर स्थूल हो जाएगा और कई अन्य तरह की समस्या हो जाएंगी।

फिजिकल थेरेपी- गाइडलाइन में कहा गया है कि रोजाना हल्का फुल्का व्यायाम करें। अगर दर्द ज्यादा है तो नियमित रूप से फिजियोथेरेपिस्ट की निगरानी में कुछ दिनों तक फिजियो करें। 

                         Written by Shahina Noor


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