सिर्फ पराली और गाड़ियां ही नहीं, आपका किचन भी है प्रदूषण फैलाने के लिए बहुत बड़ा जिम्मेदार
घरों में वायु प्रदूषण के बढ़ते दुष्प्रभावों का सबसे बड़ा कारण आजकल ज्यादातर घरों में विभिन्न घरेलू कार्यों में तरह-तरह के रसायनों का बढ़ता उपयोग माना जा रहा है। प्रदूषण फैलाने में पराली की हिस्सेदारी 40 परसेंट तक होती है। दूसरे नंबर पर इंडस्ट्री और तीसरे पर गाड़ियां आती हैं।
दिवाली में पटाखों पर पाबंदी के बाद भी लोगों ने जमकर आतिशबाजी की, जिसके बाद प्रदूषण का लेवल कम होने की तो कोई गुजांइश ही नहीं, लेकिन जिस तरह से हम कोरोना और प्रदूषण को मामूली समझने की गलती कर रहे हैं वो कब भयंकर रूप ले लेगी इसका पता भी नहीं चलेगा। स्वस्थ लोगों पर बेशक इसका अटैक इतनी जल्दी देखने को न मिले लेकिन हमें इस वक्त अपने साथ-साथ बच्चों और बुजुर्गों के बारे में ज्यादा सोचना है। प्रदूषण बढ़ाने के लिए क्या चीज़ें हैं जिम्मेदार, ये कोई नया टॉपिक नहीं है लेकिन आपको आगाह करते रहना जरूरी है।
कौन है जिम्मेदार
पराली जलाने वाले वक्त के दौरान दिल्ली को प्रदूषित करने वाली सबसे बड़ी वजह पराली का धुआं ही है। इस दौरान, प्रदूषण फैलाने में पराली की हिस्सेदारी 40 परसेंट तक होती है। इसमें दूसरे नंबर पर इंडस्ट्री और तीसरे नंबर पर गाड़ियां आती हैं। पूरी सर्दियों की बात की जाए तो प्रदूषण की बड़ी वजह इंडस्ट्री है, जिसकी हिस्सेदारी 30 परसेंट तक बताई गई है। इस दौरान, पराली की हिस्सेदारी महज 4 परसेंट है।
घर को भी रखें साफ, यहां भी बढ़ा पॉल्यूशन
घरों में वायु प्रदूषण के बढ़ते दुष्प्रभावों का सबसे बड़ा कारण आजकल ज्यादातर घरों में विभिन्न घरेलू कार्यों में तरह-तरह के रसायनों का बढ़ता उपयोग माना जा रहा है। ऐसे ही रसायनयुक्त पदार्थों के बढ़ते चलन के ही कारण घरों के अंदर फॉर्मेल्डीहाइड, बेंजीन, एल्कोहल, कीटोन जैसे कैंसरजनक हानिकारक रसायनों की सांद्रता बढ़ जा रही है, जिनका बच्चों के स्वास्थ्य पर घातक असर पड़ता है। विभिन्न अध्ययनों में ये तथ्य सामने आ चुके हैं कि घरों के अंदर का प्रदूषण बच्चों के स्वास्थ्य को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है।
बीमारियों का खतरा
हृदय संबंधी समस्याएं
वायु प्रदूषण से दिल की बीमारियां हो सकती हैं। इसमें असंतुलित धड़कन, हार्ट फेल होना और हाइपरटेंशन हैं।
अस्थमा
यह सबसे आम बीमारियों में से एक है जो प्रदूषित हवा में सांस लेने वाले मनुष्यों को प्रभावित कर सकती है। अस्थमा के रोगियों के लिए प्रदूषित हवा बेहद खतरनाक होती है।
लंग कैंसर
प्रदूषित हवा में ज्यादा समय गुजरने पर प्रदूषक तत्व फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं और उन्हें क्षतिग्रस्त भी करते हैं। वायु प्रदूषण को लंग कैंसर के प्रमुख कारणों से में एक माना गया है। प्रदूषण के कारण फेफड़ों में अनियंत्रित कोशिकाओं की वृद्धि होती है।
निमोनिया
प्रदूषित वायु से निमोनिया और किडनी संबंधी बीमारी का भी खतरा है।
आपकी गाड़ी कैसे रोकेगी एयर पॉल्यूशन
सड़कों पर टैफ्रिक सिग्नल रेड होते ही चालन अपने-अपने वाहनों को ऑफ कर दें। ऐसा करने से प्रदूषण तेजी से नीचे जा सकता है। लालबत्ती पर गाड़ी बंद कर देने से हवा में मौजूद हानिकारक पीएम10 के कण (पार्टिकल्स) डेढ़ लाख टन तक कम हो सकते हैं। विशेषज्ञों ने बताया है कि अगर सिर्फ 10 लाख वाहन भी लालबत्ती पर अपने वाहनों को बंद कर दें तो ऐसा करने से 1.5 लाख टन पीएम 10 प्रदूषण कम हो जाएगा। वहीं पीएम 2.5 की बात करें तो इसमें भी 0.4 टन की कमी आएगी। जिससे प्रदूषण से बड़ी राहत मिल सकती है।
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