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New Covid Treatment Guidelines: कुछ दवाइयों के इस्तेमाल पर रोक, लंबी खांसी के लिए करना होगा ये टेस्ट

संशोधित दिशानिर्देशों में कहा गया है कि स्टेरॉयड जैसी दवाएं इनवेसिव म्यूकोर्मिकोसिस जिसे ब्लैक फंगस भी कहा जाता है जैसे दूसरे संक्रमण के जोखिम को बढ़ा सकती हैं। खासकर जब बहुत जल्दी ज़्यादा खुराक या ज़रूरत से ज़्यादा समय तक इसका उपयोग किया जाता है।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 10:42 AM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 10:42 AM (IST)
New Covid Treatment Guidelines: कुछ दवाइयों के इस्तेमाल पर रोक, लंबी खांसी के लिए करना होगा ये टेस्ट
कुछ दवाइयों के इस्तेमाल पर रोक, लंबी खांसी के लिए करना होगा ये टेस्ट

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। भारत सरकार ने कोरोना वायरस उपचार के लिए अपने ​​​​दिशानिर्देशों में कुछ बदलाव किए हैं। संशोधित दिशानिर्देशों में कहा गया है कि डॉक्टरों को कोविड​​​​-19 रोगियों को स्टेरॉयड देने से बचना चाहिए और अगर मरीज़ की खांसी लंबे समय चलती है, तो तपेदिक परीक्षण की सलाह दें। कोविड के टास्क फोर्स प्रमुख ने दूसरी लहर के दौरान दवा के अति प्रयोग के लिए खेद व्यक्त किया है।

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संशोधित दिशानिर्देशों में कहा गया है कि स्टेरॉयड जैसी दवाएं इनवेसिव म्यूकोर्मिकोसिस, जिसे 'ब्लैक फंगस' भी कहा जाता है, जैसे दूसरे संक्रमण के जोखिम को बढ़ा सकती हैं। खासकर जब बहुत जल्दी, ज़्यादा खुराक या ज़रूरत से ज़्यादा समय तक इसका उपयोग किया जाता है।

दिशानिर्देशों में तीन प्रकार के संक्रमणों- "हल्के, मध्यम और गंभीर" के लिए आवश्यक दवाओं की डोज़ के बारे में बताया गया है। अगर खांसी दो-तीन सप्ताह से अधिक समय तक बनी रहती है, तो रोगियों का तपेदिक और अन्य स्थितियों के लिए टेस्ट किया जाना चाहिए।

पिछले हफ्ते एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) और कोविड टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ वी के पॉल ने स्टेरॉयड जैसी दवाओं के "अति प्रयोग और दुरुपयोग" पर चिंता व्यक्त की थी। संशोधित दिशानिर्देशों के अनुसार, सांस लेने में तकलीफ या हाइपोक्सिया के बिना ऊपरी श्वसन पथ के लक्षणों को हल्का रोग माना गया है और ऐसे मरीज़ों को घर पर आइसोलेशन और देखभाल की सलाह दी गई है।

हल्के कोविड से पीड़ित लोगों को सांस लेने में कठिनाई, तेज़ बुखार, या पांच दिनों से अधिक समय तक चलने वाली गंभीर खांसी होने पर चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए। जो लोग की सांस फूल रही है और ऑक्सीजन का स्तर 90-93 % के बीच ऊपर-नीचे हो रहा है, उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया जा सकता है, और ऐसे मामलों को 'मध्यम' माना जाएगा। ऐसे मरीज़ों को ऑक्सीजन का सपोर्ट देना चाहिए।

30 प्रति मिनट से अधिक श्वसन दर, सांस फूलना या ऑक्सीजन का स्तर 90 प्रतिशत से कम होना, एक गंभीर बीमारी मानी जाएगी और ऐसे रोगियों को आईसीयू में भर्ती करना होगा क्योंकि उन्हें श्वसन सहायता की आवश्यकता होगी।

संशोधित दिशानिर्देश में आपातकालीन स्थिति में रेमेडिसविर के ऑफ-लेबल उपयोग की सलाह दी गई है, उन मरीज़ों के लिए जो "मध्यम से गंभीर" बीमारी से पीड़ित हैं। इसने उन रोगियों के लिए दवा के उपयोग के खिलाफ चेतावनी दी जो ऑक्सीजन सपोर्ट पर नहीं हैं या घर पर हैं।

दिशानिर्देशों में यह भी कहा गया है कि 60 वर्ष से अधिक आयु के लोग, या हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और कोरोनरी धमनी की बीमारी, मधुमेह मेलेटस और एचआईवी, सक्रिय तपेदिक, पुरानी फेफड़ों की बीमारी, गुर्दे या यकृत रोग, मस्तिष्कवाहिकीय रोग या मोटापा जैसी इम्युनोकॉम्प्रोमाइज्ड अवस्थाएं से पीड़ित हैं, उन में कोविड से संक्रमित और मौत का ख़तरा गंभीर है।


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