National Vaccination day: कोरोना की मार से लोगों ने जानी वैक्सीन की अहमियत!
National Vaccination day WHO के मुताबिक हर साल 20-30 लाख लोगों को वैक्सीन लगती है इसके बावजूद भारत में ऐसे कई बच्चे हैं जो ज़रूरी टीकों से वंच्छित रह जाते हैं। जिसकी वजह से पोलियो मीज़ल्स हेपेटाइटिस-बी जैसी गंभीर बीमारियों का ख़तरा बढ़ जाता है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। National Vaccination day: भारत में हर साल 16 मार्च के दिन राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस यानी नेशनल वैक्सीनेशन डे मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य है लोगों में वैक्सीन के महत्व के प्रति जागरूकता फैलाना। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, हर साल 20-30 लाख लोगों को वैक्सीन लगती है, इसके बावजूद भारत में ऐसे कई बच्चे हैं जो ज़रूरी टीकों से वंच्छित रह जाते हैं। जिसकी वजह से पोलियो, मीज़ल्स, हेपेटाइटिस-बी जैसी गंभीर बीमारियों की सपेट में आ जाने का ख़तरा बढ़ जाता है। यही वजह है कि लोगों को वैक्सीन की अहमियत समझना बेहद ज़रूरी है।
हालांकि, पिछले साल शुरू हुई कोरोना वायरस महामारी की वजह से लोगों को वैक्सीन की अहमियत का अंदाज़ा ज़रूर लग गया है। लोगों को काफी हद तक ये समझ आ गया है कि वैक्सीन उनकी ज़िंदगी बचाने का काम करती है।
कोरोना ने बताया वैक्सीन का महत्व
पारस हॉस्पिटल गुरुग्राम के इंटरनल मेडिसिन के डॉ. राजेश कुमार ने कहा, "चूंकि हम कोरोना वायरस महामारी से गुज़र रहे हैं, इसलिए आज की दुनिया में टीकाकरण के महत्व को लोगों ने समझा है। हमने महसूस किया है कि समय पर टीकाकरण कराने से घातक और ख़तरनाक बीमारियों से बचा जा सकता है। हमने पहले भी देखा है कि कैसे दुनिया भर में व्यापक टीकाकरण अभियान ने देश के परिदृश्य को बदल दिया और परिणामस्वरूप दुनिया के प्रमुख हिस्सों से चेचक, खसरा, टेटनस जैसे अत्यधिक संक्रामक और ख़तरनाक बीमारियों का उन्मूलन हुआ। इस तरह के बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान के माध्यम से पोलियो जैसी बीमारियों को जड़ से मिटा दिया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, टीकाकरण प्रति वर्ष 2-3 मिलियन जीवन बचाता है। कोविड के समय में हमारी सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठा रही है कि कोविड 19 के टीके उन लोगों तक पहुंचें जिन्हें इन टीकों की आवश्यकता है। कई जागरूकता अभियान और सफलता की कहानियां जैसी पहल से ही बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान में तेज़ी आई है।"
जिंदगी को सुरक्षा दे रहे हैं कोविड के टीके
उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के फाउंडर और डायरेक्टर डॉ. शुचिन बजाज ने कहा, “टीकाकरण कराना सबसे महत्वपूर्ण पहल है। इससे मनुष्यों की औसतन उम्र बढ़ गई है और जीवन में सुधार भी आया है। भारत में राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम बहुत सफल रहा है। हमने 12 अलग-अलग प्रकार के टीकों से एक साल में लगभग 6 करोड़ टीके लगाए हैं। इससे जनसंख्या के सामान्य स्वास्थ्य निर्माण में भारी वृद्धि हुई है और साथ ही पोलियो और चेचक जैसी गंभीर बीमारियां ख़त्म हो गई हैं। इसलिए, वैक्सीन लगवाने से ज़िंदगी सुरक्षित रहती है और ऐसा ही कोविड-19 के मामले में भी होगा। कोविड के टीकों से मानवीय जीवन को सुरक्षा मिलेगी।"
बच्चों के बूस्टर शॉट्स गलती से भी न करें मिस
कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल की डॉ. मंजीता नाथ दास (इंटरनल मेडिसिन) का कहना है कि "बच्चों में संक्रामक बीमारियों को रोकने के लिए टीकाकरण सबसे सस्ता और सबसे अच्छा तरीका है। टीकों को न लगवाने से ये बीमारियां बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। हालांकि कई बीमारियां ख़राब साफ-सफाई से होती हैं और बच्चों का टीकाकरण न कराने से उनमें इन बीमारियों से ग्रसित होने का ख़तरा बढ़ जाता है। वैक्सीन के ज़रिए टीकाकरण बहुत सुरक्षित होता है, हालांकि कुछ बच्चों में इसके छोटे-छोटे साइड इफेक्ट्स भी देखने को मिल सकते हैं, जैसे कि बुखार और त्वचा का लाल होना आदि। कुछ साइड इफेक्ट्स बहुत दुर्लभ होते हैं। हमेशा एक अच्छे और प्रतिष्ठित हॉस्पिटल से अपने बच्चे का टीकाकरण कराएं। इसके अलावा अगर आपके बच्चे को कोई स्वास्थ्य समस्या जैसे कि खांसी या बुखार हो तो डॉक्टर को सूचित करें। टीका लगवाने के शेड्यूल को मिस न करें। विशेष रूप से बूस्टर डोज़ को कतई मिस न करें। अगर आपने इन्हें मिस कर दिया है, तो अगले टीकाकरण से पहले डॉक्टर को बताएं।"