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National Epilepsy Day: यह आदत कहीं आपको मिर्गी का मरीज न बना दे, अभी से करिए तौबा

Epilepsy Disease Symptoms And Treatment मिर्गी (Epilepsy) के दौरे आना बेहद घातक आपके लिए बेहद जानलेवा साबित हो सकता है।

By Rizwan MohammadEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 04:47 PM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2019 04:51 PM (IST)
National Epilepsy Day: यह आदत कहीं आपको मिर्गी का मरीज न बना दे, अभी से करिए तौबा
National Epilepsy Day: यह आदत कहीं आपको मिर्गी का मरीज न बना दे, अभी से करिए तौबा

नई दिल्‍ली, जेएनएन। Epilepsy Disease Symptoms And Treatment: मिर्गी (Epilepsy) के दौरे आना बेहद घातक आपके लिए बेहद जानलेवा साबित हो सकता है। पिछले कुछ सालों में इस बीमारी काफी खतरनाक रुख अख्तियार किया है। अगर आप रोजाना बड़ी मात्रा में अल्‍कोहल का सेवन कर रहे हैं तो आपक इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। आईए जानते हैं इस बीमारी के लक्षण और बचाव के तरीके।

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मिर्गी यानी एपीलेप्‍सी बीमारी से दुनियाभर के लोगों को अवेयर करने के लिए हर साल 17 नवंबर को नेशनल एपीलेप्‍सी डे सेलीब्रेट किया जाता है। मिर्गी के दौरे या झटके आना किसी भी तरह से सामान्‍य बात नहीं है। इस बीमारी से ग्रसित मरीज की मौत तक हो सकती है। ऐसे में इसके बारे में जानना हर किसी के लिए जरूरी हो जाता है।

न्‍यूरोलॉजिस्‍ट के मुताबिक इसे एक तरह से दिमागी गड़बड़ी कह सकते हैं। न्‍यूरोलॉजिकल डिस्‍बैलेंस के कारण कोई भी व्‍यक्ति इस बीमारी की चपेट में आ सकता है। इससे ग्रसित पेशेंट का मानसिक संतुलन अचानक से बुरी तरह प्रभावित हो जाता है और उसे झटके आने शुरू हो जाते हैं। इस बीमारी से पेशेंट के हाथ, पैर, आखों में कमजोरी या अपंगता की स्थिति भी बन सकती है।

डॉक्‍टर्स बताते हैं कि यह बीमारी मुख्‍य रूप से चार तरह की होती है। पहली Generalized Epilepsy, दूसरी Partial (focal) Epilepsy, तीसरी Absence Seizures और चौथी Complex Partial Seizures. यह चारों तरह की मिर्गी एक तरह से चार स्‍टेज है। लास्‍ट स्‍टेज में पेशेंट लगभग पूरी तरह से अपना मानसिक संतुलन खो देता है।

विशेषज्ञों के मुताबिक यह बीमारी कई बार आनुवंशिक कारणों से भी होती है। वहीं, जो लोग नशीली दवाएं, ड्रग्‍स नशीले इंजेक्‍शन लेते हैं उन्‍हें यह बीमारी ज्‍यादा जल्‍दी अपना शिकार बनाती है। ज्‍यादा अल्‍कोहल यानी शराब पीने वाले भी इसकी चपेट में जल्‍दी आते हैं। इसके अलावा जो लोग अच्‍छी नींद नहीं लेते हैं और स्‍ट्रेस में रहते हैं उन्‍हें भी इस बीमारी के लक्षण होने के खतरे हैं।

विशेषज्ञ बताते हैं कि यह बीमारी किसी भी एज ग्रुप में हो सकती है। यह ऐसी बीमारी है जिसका शुरूआत से सही ट्रीटमेंट नहीं कराया गया तो यह बढ़ती जाती है। इस बीमारी की चपेट में आने वाले पेशेंट का लंबे समय तक इलाज चलता है। इससे छुटकारा पाने के लिए हर घंटे 8 घंटे की नींद, नियमित व्‍यायाम और पौष्टिक आहार लेने जरूरी होता है। इस बीमारी से पीडि़त मरीजों को तनाव होने पर दौरे पड़ने की आशंका ज्‍यादा रहती है।  


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