जानें, क्यों डॉक्टर्स दस्त और कब्ज में केले खाने की सलाह देते हैं?
इस बीमारी में मरीज को पेट में ऐंठन चक्कर आना और बुखार आ सकता है। इसके लिए बाजार में कई दवा उपलब्ध हैं जिनसे दस्त में बहुत जल्द आराम मिलता है। दूसरी ओर कुछ लोग दादी-नानी के नुस्खे को अपनाते हैं।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। दस्त एक सामान्य बीमारी है। इस बीमारी में मरीज को बार-बार मल त्याग करना पड़ता है। इसके कई कारण हैं। इनमें बदलता मौसम, बासी और दूषित भोजन करना है। साथ ही अधिक तनाव लेने की वजह से भी पाचन तंत्र पर बुरा असर पड़ता है। एक बार दस्त लगने के बाद ठीक होने में दो से तीन लगते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो यह एक संक्रामक रोग है। दस्त की समस्मा तब होती है, जब आंत वायरस से संक्रमित होता है।
इस दौरान बड़ी आंत पानी को अवशोषित करने में विफल हो जाती है। इस वजह से पानी मल त्याग के जरिए बाहर निकल जाता है। इस बीमारी में मरीज को पेट में ऐंठन, चक्कर आना और बुखार आ सकता है। इसके लिए बाजार में कई दवा उपलब्ध हैं, जिनसे दस्त में बहुत जल्द आराम मिलता है। दूसरी ओर, कुछ लोग दादी-नानी के नुस्खे को अपनाते हैं और दस्त को कम करने के लिए केले खाने की सलाह देते हैं। अगर आपको इसके फायदे के बारे में नहीं पता है, तो आइए जानते हैं कि दस्त में पके केले का सेवन करना कितना फायदेमंद होता है-
केले में पोटैशियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। पोटैशियम इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी को पूरा करता है जो बार-बार दस्त आने की वजह से कम हो जाते हैं। विशेषज्ञ का कहना है कि अगर आप दस्त में पके केले का सेवन करते हैं, तो आपको ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्ट यानी ओआरएस लेने की जरूरत नहीं पड़ती है।
साथ ही केले में फाइबर पाया जाता है जो मल त्याग में मदद करता है। इसमें पाए जाने वाला पेक्टिन दस्त में दवा समान है। इसके लिए आप केले को फल रूप में सेवन कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त आप केले और दही का स्मूदी भी बनाकर सेवन कर सकते हैं। दस्त में आराम के लिए दिन में दो केले-दही की स्मूदी का सेवन करें।
डिस्क्लेमर: स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।