कोरोना काल में हाई बीपी को कंट्रोल करने के लिए फॉलो करें Longevity Diet
इस डाइट में वेज और नॉन वेज दोनों खाद्य पदार्थों को खाया जाता है। हालांकि नॉन वेज में केवल और केवल ओमेगा-3 युक्त मछलियां खाने की सलाह दी जाती है। इसमें सीफ़ूड जैसे सैल्मन टूना मेकरेल का सेवन कर सकते हैं।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। कोरोना काल में सेहत को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी है। इस दौर में लोग इम्यून सिस्टम मजबूत करने के लिए अपनी डाइट में विटामिन-सी युक्त फल-सब्जियों और काढ़ा का सेवन करते हैं। इनसे इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। जबकि खराब दिनचर्या, गलत खानपान, तनाव और आलसपन की वजह से कई बीमारियां जन्म लेती हैं। इनमें एक उच्च रक्तचाप है। उच्च रक्तचाप का कोई लक्षण नहीं होता। अगर इलाज में कोताही बरतते हैं, तो इससे हृदयरोग और स्ट्रोक हो सकते हैं। इसके लिए खानपान और रहन सहन पर विशेष ध्यान जरूर दें। अगर आप उच्च रक्तचाप के मरीज हैं, तो लॉन्गेविटी डाइट को जरूर फॉलो करें। आइए जानते हैं कि लॉन्गेविटी डाइट क्या है और कैसे यह सेहत के लिए फायदेमंद है-
लॉन्गेविटी डाइट क्या है
आधुनिक समय में लोग सेहतमंद रहने के लिए कई प्रकार की डाइट का सहारा लेते हैं। इनमें एक डाइट लॉन्गेविटी डाइट है। इस डाइट में वेज और नॉन वेज दोनों खाद्य पदार्थों का सेवन किया जाता है। आमतौर पर यह डाइट 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए बनाया गया है। हालांकि, अगर आप सेहतमंद रहना चाहते हैं, तो आप लॉन्गेविटी डाइट को अपना सकते हैं। इस डाइट में 12 घंटो के दौरान ही खाने की सलाह दी जाती है यानी सुबह 8 बजे से लेकर 8 बजे शाम के दौरान ही खाना खाएं। हालांकि, नॉन वेज में केवल और केवल ओमेगा-3 युक्त मछलियां खाने की सलाह दी जाती है। इसमें सीफ़ूड जैसे सैल्मन, टूना, मेकरेल का सेवन कर सकते हैं। जबकि वेज में तली भुनी चीज़ों से परहेज करने की सलाह दी जाती है।
लॉन्गेविटी डाइट के फायदे
-विशेषज्ञों की मानें तो लॉन्गेविटी डाइट के सेवन से बढ़ते वजन में आराम मिलता है। अगर आप बढ़ते वजन से परेशान हैं और नियंत्रित करना चाहते हैं, तो लॉन्गेविटी डाइट को जरूर फॉलो करें। विशेषज्ञों की मानें तो लॉन्गेविटी डाइट के सेवन से आयु बढ़ती है। साथ ही सेहत पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है। इस डाइट से उच्च रक्तचाप में आराम मिलता है।
डिस्क्लेमर: स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।