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Coronaphobia: कहीं आप भी तो नहीं हैं कोरोनाफोबिया के शिकार? जानें इसके बारे में सबकुछ

Coronaphobia डर से घिरे इस समय में जब आप आम ज़ुकाम खांसी या बुखार होने पर ये नहीं समझ सकते कि ये कोविड है या आम वायरल वैज्ञानिकों ने इस पूरी उलझन को कोरोनाफोबिया का नाम दिया है।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Wed, 24 Feb 2021 03:06 PM (IST)Updated: Wed, 24 Feb 2021 04:22 PM (IST)
Coronaphobia: कहीं आप भी तो नहीं हैं कोरोनाफोबिया के शिकार? जानें इसके बारे में सबकुछ
कहीं आप भी तो नहीं हैं कोरोनाफोबिया से पीड़ित? जानें इसके बारे में सबकुछ

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Coronaphobia: कोविड-19 ने न सिर्फ हमारे शरीर की सेहत पर असर डाला है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी बड़ा झटका लगा है। एक तरफ डॉक्टर्स और मेडिकल एक्सपर्ट्स ने कोरोना वायरस को समझने के लिए कई तरह की रिसर्च का सहारा लिया। हालांकि, इसके मानसिक स्वास्थ्य पर हो रहे असर पर ज़्यादा शोध नहीं हुए। कोरोना महामारी ने लोगों में बेचैनी और तनाव के स्तर को बढ़ाया है।

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डर से घिरे इस समय में जब आप आम ज़ुकाम, खांसी या बुखार होने पर ये नहीं समझ सकते कि ये कोविड है या आम वायरल, वैज्ञानिकों ने इस पूरी उलझन को 'कोरोनाफोबिया' का नाम दिया है, जो यह विशेष रूप से कोविड की वजह से हो रही चिंता से संबंधित है।

कोरोनाफोबिया क्या है?

जैसा कि आप जानते हैं कि जीवन और स्थितियों के विभिन्न पहलुओं से जुड़े भय की स्थिति को फोबिया कहा जाता है। इसी तरह, कोरोनाफोबिया एक नए प्रकार का फोबिया है जो विशेष रूप से कोरोना वायरस से जुड़ा हुआ है।

कई अध्ययनों में देखा गया है कि वैज्ञानिकों ने कोरोनाफोबिया में देखा है कि एक व्यक्ति में कोविड-19 वायरस से संक्रमित होने के डर की वजह से मानसिक लक्षणों की ज़रूरत से ज़्यादा चिंता, व्यक्तिगत और काम में हुए नकुसान को लेकर तनाव, वक्त-वक्त पर आश्वासन और सुरक्षा की मांग, सार्वजनिक स्थानों और स्थितियों से बचना और रोज़मर्रा की ज़िंदगी में अड़चने पैदा होने जैसी चीज़ों का अनुभव करता है।   

क्या हैं इससे जुड़े लक्षण

दिसंबर 2020 में एशियन जर्नल ऑफ साइकेट्री में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, विशेषज्ञों ने कोविड-19 के आतंक से उभरने वाली चिंता के तीन लक्षण पाए हैं। इससे जुड़े कुछ लक्षण ऐसे हैं:

- लगातार परेशान करने वाली चिंता की वजह से दिल की धड़कनें बढ़ना, भूख न लगना और चक्कर आना।- लगातार ज़रूरत से ज़्यादा सोचना जिसकी वजह से डर और चिंता का बढ़ जाना। 

- सार्वजनिक समारोहों और कार्यक्रमों में भाग लेने से डरना। एक तरह का असामाजिक व्यवहार जो चिंता और आइसोलेशन से जुड़ी समस्याओं को और बढ़ा देता है।

कोरोनाफोबिया को कैसे मैनेज करें?

CDC ने चिंता और तनाव की समस्याओं से निपटने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं। जो एक व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य की देखभाल करने के साथ दूसरों के साथ मेलजोल को भी बढ़ावा देते हैं। इसके अलावा, संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (सीबीटी) बेचैनी का प्रभावी तरीके से इलाज करने में सक्षम साबित हुई है।

वैक्सीन के आने से लोगों में चिंता भले ही कुछ कम हुई हो, लेकिन वायरस से संक्रमित होने का डर अब भी सभी के दिमाग़ में छाया हुआ है। आत्म-नियंत्रण और शांति बनाए रखना इससे जूझने का एक मात्र तरीका है।

Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।


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