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Coronavirus In Kids: छोटे बच्चों से कोरोना संक्रमण फैलने का ख़तरा सबसे ज़्यादा!

Coronavirus In Kids शोधकर्ताओं ने शिकागो में 145 रोगियों के लक्षणों के शुरू होने के एक सप्ताह के भीतर नाक के स्वाब लिए। रोगियों में बीमारी के हल्के से लेकर थोड़े ज़्यादा लक्षण दिखे थे। 145 रोगियों में से 46 ऐसे बच्चे थे जिनकी उम्र 5 साल से कम थी।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2020 10:10 AM (IST)Updated: Wed, 28 Oct 2020 10:10 AM (IST)
Coronavirus In Kids: छोटे बच्चों से कोरोना संक्रमण फैलने का ख़तरा सबसे ज़्यादा!
कोरोना की चपेट में आने वाले छोटे बच्चों के मात्रा काफी कम है।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Coronavirus In Kids: दुनियाभर में 10 महीने बाद भी कोरोना वायरस के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं। इसी बीच कोरोना को ज़्यादा से ज़्यादा जानने के लिए लगातार शोध किए जा रहे हैं। ऐसा ही एक शोध छोटे बच्चों पर कोरोना के असर पर भी किया है। ऐसा माना गया है कि इस ख़तरनाक वायरस के चपेट में आने वाले छोटे बच्चों के मात्रा काफी कम है। WHO के मुताबिक, बच्चों की मृत्यु दर पर कोविड-19 का प्रभाव "बहुत सीमित" प्रतीत होता है। अब तक उपलब्ध शोध यह बताते हैं कि बच्चों और किशोरों में वयस्कों और बड़ों की तुलना में कोरोना वायरस से बीमारी होने का ख़तरा कम हो सकता है।

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क्या बच्चों से फैल रहा है कोरोना वायरस?

एक नए अध्ययन में पाया गया है कि वयस्कों की तुलना में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की नाक में कोरोना वायरस के 10 से 100 गुना अधिक आनुवांशिक पदार्थ पाए गए हैं। ये अग्रणी शोध पत्रिका जेएएमए पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित हुआ है और इस तथ्य पर रोशनी डाली कि छोटे बच्चे घर और समुदायों के अंदर कोरोना वायरस के संचरण के चालक हो सकते हैं।

कैसे हुआ शोध

इस अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने शिकागो में 145 रोगियों के लक्षणों के शुरू होने के एक सप्ताह के भीतर नाक के स्वाब लिए। रोगियों में बीमारी के हल्के से लेकर थोड़े ज़्यादा लक्षण दिखे थे। 145 रोगियों में से 46 ऐसे बच्चे थे जिनकी उम्र 5 साल से कम थी, 51 बच्चों की उम्र 5 से 17 के बीच थी और 48 व्यस्क थे जिनकी उम्र 18 से 65 के बीच थी।

रिसर्च में क्या साबित हुआ

शिकागो के मरीज़ों के नाक के नमूनों को पढ़कर, ये बात सामने आई कि 5 साल की उम्र से कम के बच्चों में SARS-CoV-2 वारल की मात्रा 10 से 100 गुणा ज़्यादा पाई गई। पहले भी एक स्टडी में ये बताया गया था कि श्वसन संबंधी विषाणुजनित विषाणु (आरएसवी) के उच्च वायरल भार वाले बच्चों में बीमारी फैलने की संभावना अधिक होती है। आरएसवी को मनुष्यों में श्वसन पथ के संक्रमण का कारण माना जाता है। हालांकि, पहले की रिपोर्टों में SARS-CoV-2 को फैलाने में बच्चों को प्रमुख योगदानकर्ता नहीं माना गया था। इस स्टडी से ये बात भी साफ होती है कि कोरोना की वैक्सीन आते ही बच्चों के लिए भी इसे जल्द से जल्द  उपलब्ध कराना सही होगा।


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