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Jagran Dialogues: एक्सपर्ट से जानें, क्यों COVID-19 संक्रमण की चेन तोड़ने में युवाओं की भूमिका है महत्वपूर्ण

Jagran Dialogues विशेषज्ञों की मानें तो संक्रमण दर कम होने के बावजूद आवश्यक सावधानियां जरूर बरतें। इसके लिए N-95 मास्क पहनें और सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखें। अनावश्यक घर से बाहर न निकलें और अपनी बारी आने पर कोरोना वायरस का टीका जरूर लगवाएं।

By Umanath SinghEdited By: Published: Sun, 06 Jun 2021 03:03 PM (IST)Updated: Sun, 06 Jun 2021 04:12 PM (IST)
हर एक युवा को केवल पांच टास्क पूरा करने पर प्रमाण पत्र दिया जाता है।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Pratyush Ranjan: कोरोना वायरस की दूसरी लहर का कहर जारी है। इस वायरस के संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए देश के कई राज्यों में लॉकडाउन जारी है। हालांकि, लॉकडाउन के चलते संक्रमितों की संख्या में कमी आई है। वहीं दूसरी तरफ कोरोना वायरस की तीसरी लहर को टालने के लिए तैयारियां जोरशोर से चल रही है। इस विषय पर कई शोध किए जा रहे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो संक्रमण दर कम होने के बावजूद आवश्यक सावधानियां जरूर बरतें। इसके लिए N-95 मास्क पहनें और सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखें। अनावश्यक घर से बाहर न निकलें और अपनी बारी आने पर कोरोना वायरस का टीका जरूर लगवाएं। खासकर तीसरी लहर के कहर से बचाव जरूरी है। कोरोना महामारी की तीसरी लहर को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल हैं। इन सवालों को लेकर जागरण न्यू मीडिया के सीनियर एडिटर Pratyush Ranjan ने 'जागरण डायलॉग्ज़' पर यूनिसेफ भारत के प्रतिनिधि डॉक्टर यास्मीन अली हक से बातचीत की। डॉक्टर हक ने कोरोना वायरस के संक्रमण की चेन को तोड़ने में युवाओं की भूमिका पर विस्तार से जानकारी दी। आइए जानते हैं-

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1.

सवाल: कोरोना महामारी की दूसरी लहर पूरे भारत में विनाशकारी सुनामी की तरह रही है। इस दौरान यूनिसेफ की भूमिका क्या रही है?

जवाब: हम संकट के इस दौर में सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। खासकर दूसरी लहर में जब स्थिति बेहद नाजुक है। तब हमने आपातकाल स्थिति में सरकार के समर्थन के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए हैं। फिर चाहे बात ऑक्सीजन उपकरण की खरीद की हो, चाहे ऑक्सीजन संयंत्र लगाने की हो या ऑक्सीजन स्टोरेज की हो। यूनिसेफ की भूमिका प्रोटोकॉल विकसित करने पर काम करने में भी महत्वपूर्ण है। खासकर बच्चों के उपचार के लिए हम हमेशा तैयार रहते हैं। इससे पहले भारत में आरटी-पीसीआर परीक्षण करने के लिए केवल पांच प्रयोगशालाएं थीं। अब 2500 से अधिक हैं। हम सेवाओं को ठीक करने और बढ़ाने में सरकार का समर्थन कर रहे हैं।

2.

भारत में बच्चे कैसे इस संकट से प्रभावित हो रहे हैं? कोविड -19 के अप्रत्यक्ष प्रभाव क्या-क्या हैं- क्या बच्चे अन्य महत्वपूर्ण स्वास्थ्य संबंधी देखभाल समेत शिक्षा से वंचित हो रहे हैं?

जबाव: संक्षेप में जबाव 'हां' है। यह वास्तव में बेहद महत्वपूर्ण है। हमें यह भूलना नहीं चाहिए कि बच्चे भी इस महामारी से पीड़ित हैं। कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान बड़ी संख्या में बच्चे भी प्रभावित हो रहे हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हुए हैं। जब हम कोरोना संक्रमण के परिणामों को देखते हैं कि तो पता चलता है कि कोरोना वायरस कितना खतरनाक है और कैसे बच्चे इससे प्रभावित हो रहे हैं। इसके लिए बच्चे पिछले एक साल से स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। यह उन पर एक बड़ा बोझ है। हम उन्हें बाहर खेलने के बजाय घर में रहने और ऑनलाइन पढ़ने या सीखने की सलाह देते हैं। हालांकि, यह सुविधा उन बच्चों को मिल पा रहा है, जिनके घर में लैपटॉप और इंटरनेट कनेक्शन है। वहीं, बहुत से बच्चे इस सुविधा से वंचित हैं। कई घरों में एक कनेक्शन रहने के चलते लड़के और लड़की को वरीयता के आधार पर सेवा दी जाती है। इसके चलते घर में तनाव जैसा माहौल रहता है। साथ ही घर में हिंसा का खतरा बना रहता है। यह प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बच्चों को प्रभावित करता है। अक्सर हमने मीडिया में देखा है कि बच्चों को बेघर किया जाता है। हमें ख़ुशी है कि सरकार बच्चों की समुचित भलाई के लिए मजबूती से सामने आई है।

3.

सवाल: आपको क्या लगता है कि युवावर्ग परिवर्तन एजेंट बन सकते हैं और देशवासियों को एक साथ लाकर कोविड के खतरे का सामना कर सकते हैं और इसे सफलतापूर्वक हरा सकते हैं? भारत में रिकवरी की राह में युवा क्या भूमिका निभा सकते हैं?

जबाव: डॉ यास्मीन अली हक ने कहा-बिल्कुल! बच्चे और युवा वर्ग विश्वसनीय परिवर्तन निर्माता हैं। युवावर्ग इस बात पर ज्यादा जोर देते हैं कि उन्हें क्या करने की जरूरत है और वे क्या कर सकते हैं। साथ ही उनके परिवारजनों और दोस्तों के लिए क्या सही है। युवाओं को भूमिका निभानी है। वयस्कों को युवाओं की आवाज को सुननी होगी। इसके लिए यूनिसेफ विश्व स्तर पर जनरेशन अनलिमिटेड नामक एक कार्यक्रम को अपनाया है। भारत में हम इसे 'युवा' कहते हैं! इस कार्यक्रम में हम युवाओं के साथ काम कर रहे हैं।

4.

YuWaah क्या है? क्या आप मुझे इसके बारे में और बता सकते हैं कि इसकी शुरुआत कैसे हुई? आपको क्या लगता है कि इस आंदोलन का बड़े पैमाने पर देश पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

यास्मीन अली हक ने कहा-हमने देशभर के युवाओं के साथ मिलकर गहन विचार विमर्श किया है कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान उनका समर्थन कैसे किया जा सकता है। हमने देखा कि युवावर्ग को तत्काल मदद की आवश्यकता महसूस हुई। साथ ही हमलोगों ने यह भी देखा है कि कैसे हम युवाओं को संचार के सभी माध्यमों से जोड़ सकते हैं, ताकि उन्हें कोरोना काल में काम करने में सहूलियत हो, जिसे आसानी और सुरक्षित से कर लें। हमलोग मास्क पहनने से लेकर टीकाकरण तक बहुत सारी जानकारी छुपाते हैं। युवा वर्ग इन जानकारियों को अपने परिवार के साथ शेयर कर सकते हैं। इसके लिए आंदोलन को युवाओं के साथ मिलकर चलाया जा रहा है और आगे ले जाना है।

5.

सवाल: हमारे बहुत से दर्शक युवा हैं। क्या आप हमें विस्तार से बता सकते हैं कि कैसे एक युवा इस आंदोलन का हिस्सा बन सकता है और उन्हें किस तरह से संगठित कर आंदोलन में शामिल किया जाएगा?

जबाव: इस बारे में डॉक्टर हक ने कहा कि युवावर्ग के लोग व्हाट्सएप, टेलीग्राम, फेसबुक मेसेंजर पर हैशटैग 'यंगवॉरियर' (#YoungWarrior) से जुड़ सकते हैं और जरूरत पड़ने पर उन्हें मिस कॉल देने की जरूरत है। इसके लिए आप Yuwaah.org/youngwarrior पर 'एक युवा योद्धा बनें' बटन पर क्लिक कर वारियर बन सकते हैं। वहां हम उन कार्यों का जश्न मना रहे हैं जिनका नेतृत्व युवा कर रहे हैं। हर एक युवा को केवल पांच टास्क पूरा करने पर प्रमाण पत्र दिया जाता है। साथ ही हर टास्क पूरा करने के बाद अंक भी दिए जाते हैं।

यहां देखें पूरा इंटरव्यू-


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