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Jagran Dialogues: डायबिटीज़, कोलेस्ट्रोल और थाइरॉयड में क्या है संबंध, क्यों हो जाते हैं इस बीमारी के शिकार? जानें एक्सपर्ट की राय

Jagran Dialogues भारत की लगभग 8.9% फीसदी आबादी डायबिटीज़ से पीड़ित है और ये आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। डायबिटीज़ होने के पीछे ख़राब लाइफस्टाइल मोटापा या फिर जेनिटिक कारण होते हैं। इस बारे में आज भी ज़्यादातर लोग जागरुक नहीं हैं।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Wed, 09 Jun 2021 03:29 PM (IST)Updated: Wed, 09 Jun 2021 03:29 PM (IST)
Jagran Dialogues: डायबिटीज़, कोलेस्ट्रोल और थाइरॉयड में क्या है संबंध, क्यों हो जाते हैं इस बीमारी के शिकार? जानें एक्सपर्ट की राय
डायबिटीज़, कोलेस्ट्रोल और थाइरॉयड में क्या है संबंध, क्यों हो जाते हैं इस बीमारी के शिकार? जानें एक्सपर्ट की राय

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Jagran Dialogues: आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया भर में डायबिटीज़ यानी मधुमेह के मामले सबसे ज़्यादा भारत में हैं। भारत की लगभग 8.9% फीसदी आबादी डायबिटीज़ से पीड़ित है और ये आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। डायबिटीज़ होने के पीछे ख़राब लाइफस्टाइल, मोटापा या फिर जेनिटिक कारण होते हैं। इस बारे में आज भी ज़्यादातर लोग जागरुक नहीं हैं। यही वजह है कि डायबिटीज़ के शुरुआती लक्षण दिखने पर भी इसे नज़रअंदाज़ किया जाता है। आज इसी समस्या को लेकर जागरण न्यू मीडिया की Ruhee Parvez और Urvashi Kapoor ने 'जागरण डायलॉग्ज़' पर डॉ. राजेश केसरी (टोटल केयर कंट्रोल-डायबिटीज केयर सेंटर निदेशक और मधुमेह रोग विशेषज्ञ सलाहकार) और डॉ. विक्रांत शर्मा (निदेशक-बेरिएट्रिक्स और मिनिमल एक्सेस ओन्को सर्जरी, मीनाक्षी अस्पताल) से बातचीत की। इन एक्सपर्ट्स ने डायबिटीज़ के कारण और उपचार के बारे में विस्तार से जानकारी दी। आइए जानते हैं-

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सवाल: डायबिटीज़ मेलाइटस क्या होता है और किन लोगों में इस बीमारी का जोखिम ज़्यादा होता है?

डॉ. राजेश केसरी: डायबिटीज़ मेलाइटस का अनुवाद करें, तो इसका मतलब होगा 'रस की वर्षा'। इसका नाम ऐसा इसलिए है, क्योंकि जो डायबिटीज़ के मरीज़ होते हैं, उनके खून में चीनी की मात्रा काफी ज़्यादा होती है। चीनी या ग्लूकोज़ हमारे शरीरी के काम करने के लिए इंधन जैसा काम करता है। शरीर को काम करने या ज़िंदा रहने के लिए ऊर्जा की ज़रूरत होती है और ये मिलता है ग्लूकोज़ से। ये हमें मिलता है खाने पीने की ज़रिए। अगर शरीर में ग्लूकोज़ की कमी हो जाए, तो हम बेहोश हो सकते हैं, दौरे पड़ने लग सकते हैं। हमारा शरीर इस ग्लूकोज़ को स्टोर करके रखता है, लेकिन जब इसकी स्टोरेज में कोई ग़लती हो जाती है, तो शरीर में इसकी मात्रा बढ़ जाती है,जिससे ये ज़हर बन जाता है और इसे डायबिटीज़ कहते हैं। डायबिटीज़ का असर हमारे दिल, किडनी, आंखों, दिमाग़ पर पड़ता है, इसलिए इसे नियंत्रण में रखना ज़रूरी है।

सवाल: डायबिटीज़ के कारण क्या हैं? टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज़ में क्या अंतर है?

डॉ. विक्रांत शर्मा: डायबिटीज़ होने के कई कारण होते हैं। टाइप-1 डायबिटीज़ आमतौर पर जन्म से होता है और युवाओं में ज़्यादा देखा जाता है। यह जेनेटिक, किसी इंफेक्शन या फिर एक्सटर्नल वजहों के कारण होती है। इसमें पैनक्रियाज़ की इंसुलिन बनाने की क्षमता कम हो जाती है। हमारे शरीर में ग्लूकोज़ को कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन की जितनी मात्रा होनी चाहिए उतनी नहीं बन पाती। वहीं, टाइप-2 डायबिटीज़ में इंसुलिन कम बनता है, या इंसुलिन का प्रतिरोध होने लगता है। ऐसे इंसुलिन पर्याप्त मात्रा में होने के बावजूद अपना काम नहीं कर पाता है।

आप पूरी बातचीत यहां विस्तार से देख सकते हैं:


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