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Iodine For Covid 19: कोविड-19 वायरस को पूरी तरह निष्क्रिय कर सकता है आयोडीन - रिसर्च

Iodine For Covid 19 एक हालिया अध्ययन के मुताबिक आयोडीन के घोल से कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने में मदद मिल सकती है। रिपोर्ट के मुताबिकआयोडीन के घोल को SARS और MERS सहित संक्रमणों के उपचार में इस्तेमाल किया जा सकता है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Tue, 22 Sep 2020 01:27 PM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 01:27 PM (IST)
Iodine For Covid 19: कोविड-19 वायरस को पूरी तरह निष्क्रिय कर सकता है आयोडीन - रिसर्च
आयोडीन स्प्रे नाक के जरिए कोरोना को मार सकता है।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। कोरोनावायरस को मात देने के लिए कुछ देशों ने मजबूती के साथ नियमों का पालन किया है, लेकिन भारत में ये बीमारी अभी भी काबू से बाहर है। यहां लोग सोशल डिस्टैंसिंग और मास्क के इस्तेमाल को गंभीरता से नहीं ले रहें। यही वजह है कि हमारे देश में अब कुल कोरोना संक्रमितों की संख्या 55 लाख 62 हजार हो गई है। कोरोना से बचाव के लिए तरह-तरह के उपाय खोजे जा रहे हैं। नई-नई रिसर्च की जा रही है। अब एक अध्ययन में ये बात सामने आई हैं कि आयोडीन की मदद से कोरोना को फैलने से रोका जा सकता है।

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यूनिवर्सिटी ऑफ कनेक्टिकट स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन में ये सुझाव दिया गया कि आयोडीन के घोल से कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने में मदद मिल सकती है। ओटोलरीन्जियोलॉजी-हेड एंड नेक सर्जरी में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार ये बातें कही गई है।

अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने तीन अलग-अलग आयोडीन सांद्रता 0.5 फीसदी, 1.25 फीसदी और 2.5 फीसदी में वायरस की प्रतिक्रिया देखी।

अध्ययन के मुताबिक सबसे कमजोर कंसंट्रेशन 0.5 सहित सभी तीन सांद्रता, पूरी तरह से वायरस को निष्क्रिय कर सकते हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक 15 सेकेंड के अंदर 0.5 सांद्रता पर वायरस निष्क्रिया हो गया। जबकि एथनॉल अल्कोहल के साथ एक ही परीक्षण किया गया था, लेकिन इसका कोई संतोषजनक परिणाम नहीं दिखे।

एक रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि आयोडीन के घोल को SARS और MERS सहित संक्रमणों के उपचार में इस्तेमाल किया जा सकता है। इन समाधानों को नसल डिसइंफेक्टेंट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है और रोगी में इसे नाक के जरिए डाला जाता है।

यह प्रक्रिया ड्रॉपलेट्स और एरोसोल के माध्यम से वायरल फैलने के जोखिम को कम करने में मदद कर सकती है। इतना ही नहीं ये यह वेटिंग रूम और अस्पतालों और क्लीनिकों में वायरस के प्रसार को रोकने में मदद करेगा।

शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि यह विधि कोरोना पोजिटिव रोगियों में कोरोना के गंभीर लक्षणों को विकसित करने के जोखिम को कम कर सकती है।

यह विधि वायरल लोड को कम करने के साथ ही वायरस से फेफड़ों की भी हिफाजत करती है। 

                    Written By: Shahina Noor


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