कोरोना के इलाज पर सरकार ने जारी की नई क्लिनिकल गाइडलाइंस, स्टेरॉयड्स न यूज़ करने की दी सलाह
केंद्र सरकार ने कोरोना के इलाज से जुड़ी नई क्लिनिकल गाइडलाइंस जारी की है। जिसके अनुसार स्टेरॉयड के इस्तेमाल न करने को कहा गया है क्योंकि बहुत ज्यादा मात्रा में या काफी लंबे समय तक दिए जाने वाले स्टेरॉयड से मरीजों को दूसरी गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं।
केंद्र सरकार ने कोरोना के इलाज से संबंधित अपनी गाइडलाइंस में कुछ अहम बदलाव किए हैं। नई क्लिनिकल गाइडलाइंस में कोरोना का इलाज कर रहे डॉक्टर्स को सलाह दी गई है कि वे मरीज को स्टेरॉयड्स देने से बचें। इससे ब्लैक फंगस जैसे दूसरे इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है।
क्या होते हैं स्टेरॉयड्स?
स्टेरॉयड एक प्रकार का केमिकल होता है, जो हमारे शरीर के अंदर ही बनता है। इस केमिकल को सिथेंटिक रूप से भी तैयार किया जाता है, जिसका इस्तेमाल किसी विशेष बीमारी के इलाज के लिए किया जाता है।
इसके अलावा स्टेरॉयड का इस्तेमाल पुरुषों में हार्मोन बढ़ाने, प्रजनन क्षमता बढ़ाने, मेटाबॉलिज्म और इम्युनिटी को दुरुस्त रखने में किया जाता है।
मांसपेशियों और हड्डियों में मजबूती बढ़ाने के साथ-साथ दर्द के इलाज में भी यह इस्तेमाल किया जाता है।
क्या कहती है सरकार की नई गाइडलाइंस?
1. गाइडलाइंस में कोरोना के हल्के, सामान्य और गंभीर संक्रमण के लिए अलग-अलग दवाओं की डोज बताई गई है।
सरकार के अनुसार, अगर किसी मरीज को 2-3 हफ्ते तक खांसी बरकरार रहती है तो उसे टीबी या दूसरी बीमारियों का टेस्ट कराना चाहिए।
2. सांस लेने में दिक्कत है, पर सांस नहीं फूल रही और ऑक्सीजन लेवल नहीं घट रहा है तो ऐसे मरीजों को हल्के संकमण की श्रेणी में रखा गया है। इन्हें होम आइसोलेशन की सलाह दी गई है।
3. हल्के कोविड संक्रमण से जूझ रहे ऐसे मरीज, जिन्हें 5 दिन से ज्यादा समय तक सांस लेने में दिक्कत हो, काफी ज्यादा खांसी और बुखार हो, तो उन्हें तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
4. जिन्हें सांस लेने में काफी दिक्कत हो और उनका ऑक्सीजन सैचुरेशन 90-93 के बीच हो, उन्हें अस्पताल में भर्ती करना चाहिए। ऐसे मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट दिया जाना चाहिए। इन्हें सामान्य मरीजों की कैटेगरी में रखा गया है।
5. रेस्पिरेटरी रेट अगर प्रति मिनट 30 से ऊपर है, मरीज सांस नहीं ले पा रहा है और ऑक्सीजन लेवल 90 परसेंट के नीचे है, तो ऐसे मरीज गंभीर माने जाएंगे। इन्हें तुरंत आईसीयू में भर्ती किया जाना चाहिए और रेस्पिरेटरी सपोर्ट दिया जाना चाहिए।
6. जिन मरीजों की सांस धीमी चल रही हो, उन्हें हेलमेट या फेस मास्क द्वारा नॉन-एग्रेसिव वेंटिलेशन दिया जाना चाहिए।
7. मामूली से लेकर गंभीर लक्षण होने पर 'रेमडेसिवर' के इमरजेंसी या 'ऑफ लेबल' इस्तेमाल को मंजूरी दी गई है। इसका उपयोग केवल उन मरीजों पर होगा जिन्हें लक्षण आने के 10 दिन के अंदर 'रेनल' या 'हेप्टिक डिस्फंक्शन' की शिकायत न हुई हो।
8. टोसिलिजुमैब ड्रग का इस्तेमाल उन पर किया जा सकता है, जिनकी स्थिति में स्टेरॉयड के उपयोग के बावजूद सुधार नहीं हो रहा है। उनमें कोई एक्टिव बैक्टीरिया, फंगल या ट्यूबरकुलर संक्रमण नहीं होने चाहिए।
9. 60 या उससे ऊपर के वो मरीज, जिन्हें दिल की बीमारी, बीपी, डायबिटीज, एचआईवी, कोरोनरी आर्टरी डिसीज, टीबी, फेफड़ों, लिवर, किडनी की बीमारियां, मोटापा हैं उन्हें कोरोना का सबसे ज्यादा खतरा है।
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