एक्सरसाइज के ज्यादा से ज्यादा फायदे और इंजरी से बचने के लिए, इन स्टेप्स को जरूर करें फॉलो
एक्सरसाइज के ज्यादा से ज्यादा फायदे और कम से कम इंजरी के लिए इसे शुरू करने से पहले कुछ स्टेप्स को जरूरी फॉलो करें। जो आपकी मसल्स स्ट्रेंथ को भी बढ़ाने में कारगर हैं। जानेंगे इन्हें
किसी भी एक्सरसाइज रूटीन के 4 जरूरी स्टेप्स होते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कौन सी एक्सरसाइज कर रहे हैं। बस आपको मैक्सिमम फायदे के लिए उन्हें सही तरीके से करना आना चाहिए। ये स्टेप्स आपको इंजरीज से भी बचाते हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में...
पहले जरूर करें वॉर्मअप
जब आप बॉडी को इंटेंस वर्कआउट सेशन के लिए तैयार कर रहे होते हैं तो वॉर्मअप करना जरूरी होता है। यह किसी भी एक्सरसाइज रूटीन का पहला हिस्सा होता है, इस स्टेप से चोट लगने और मसल्स में खिंचाव आने के चांस बढ़ जाते हैं। वॉर्मअप करने से आपकी बॉडी को ऑक्सीजन और ब्लड फ्लो की बढ़ी मांग को एडजस्ट करने में मदद मिलती है, जिसके चलते आप आसानी से वर्कआउट को अंजाम दे सकते हैं। इसके लिए आपको जॉगिंग, साइड स्टेप और साइड आर्म लिफ्ट जैसी आसान एक्सरसाइजेस करनी चाहिए। वॉर्मअप से मेटाबॉलिज्म भी तेज होता है। इससे चिंता और स्ट्रेस भी कम होता है। वॉर्मअप से बॉडी में लैक्टिक एसिड की क्वांटिटी घटती है। लैक्टिक एसिड कम होने से थकान के दौरान हाथ पैरों में दर्द नहीं होता।
स्ट्रेचिंग करना भी है जरूरी
स्ट्रेचिंग करना किसी भी एक्सरसाइज रूटीन का दूसरा अहम हिस्सा होता है। यह फेज वॉर्मअपन सेशन के बाद किया जाता है, जो आपकी मसल्स को ज्यादा फ्लेक्सिबल बनाता है। इंटेंस एक्सरसाइज से पहले सभी जरूरी मसल्स की स्ट्रेचिंग मसल्स में खिंचाव के चांसेज को कम कर देती है। बिना कूदे या दौड़े धीरे-धीरे मसल्स को स्ट्रेच करें और उन्हें आराम दें। बेहतर रिजल्ट के लिए कम से कम 10 सेकेंड तक स्ट्रेचिंग जरूर करें।
कंडिशनिंग को न भूलें
यह किसी भी एक्सरसाइज रूटीन का अहम हिस्सा है, खासकर उन एक्सरसाइज में, जिन्हें आप कैलोरीज बर्न करने, एंड्योरेंस बढ़ाने और मसल्स मजबूत बनाने के लिए करते हैं। आप अपनी जरूरत या पसंद जैसे कार्डियो एक्सरसाइज, स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, जुंबा या पिलाटे के हिसाब से एक्सरसाइज चुन सकते हैं। इस फेज में दिल की धड़कन, ऑक्सीजन इनटेक, बॉडी टेम्प्रेचर भी बढ़ता है।
कूलडाउन की है अहमियत
इंटेस एक्सरसाइज करने के बाद वापस नॉर्मल कंडीशन में आने के लिए यह स्टेप बहुत जरूरी है। कूलडाउन को बॉडी के लिए रिकवरी टाइम के तौर पर जाना जाता है। कंडिशनिंग फेज के दौरान आपके दिल की धड़कन, ब्लड प्रेशर और बॉडी टेम्प्रेचर अपने पीक पर होता है। कूलडाउन धीरे-धीरे बॉडी को नॉर्मल करने में मदद करता है। इसे करने के सबसे अच्छे तरीकों में धीरे-धीरे चलना और स्ट्रेचिंग शामिल है।