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Air pollution impact: जंगलों की आग कैसे आपकी सेहत को प्रभावित करती हैं? जानिए इससे बचाव

Air pollution impact जंगल में आग लगने के बाद वायु में प्रदूषण के कण बिखर जाते हैं। इनमें से ज्यादातर कण 2.5 माइक्रोन और इससे ऊपर के होते हैं। प्रदूषण के ये कण इंसान के शरीर में पहुंच जाते हैं और तत्काल नुकसान पहुंचाने लगते हैं।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Tue, 22 Sep 2020 04:48 PM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 11:44 PM (IST)
Air pollution impact: जंगलों की आग कैसे आपकी सेहत को प्रभावित करती हैं? जानिए इससे बचाव
जंगलों की आग आपकी सेहत को कई तरह से नुक्सान पहुंचा सकती है। इस आग से बचाव जरूरी है।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। गर्मी के मौसम में जंगलों में आग लगना आम बात है। हमारे देश में देहरादून के आसपास अक्सर जंगल में आग लग जाती है। इसके बाद जैसे ही गर्मी खत्म होती है नवंबर के आसपास ही हरियाणा और पंजाब में किसान खेतों में पराली जलाने लगते हैं। इन घटनाओं से जबरदस्त वायु प्रदूषण होता है।

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यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंटन में ऑक्यूपेशनल हेल्थ साइंस के प्रोफेसर जोएल कोफमान ने अपने अध्ययन के आधार पर बताया है कि 2.5 माइक्रोन से ज्यादा बड़े प्रदूषण के कण स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर डालते हैं। इसका तुंरत असर यह होता कि आंखों में जलन के साथ खुजली होने लगती है, गला सूखने लगता है और सूखी खांस तेज होने लगती। प्रदूषण के ये कण फेफड़े में घुस जाते हैं, जिससे सांस संबंधी दिक्कतों का सामना कर रहे लोगों को भारी नुकसान होता है। इस प्रदूषण से अस्थमा रोगियों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है।

कोविड सक्रमण का भी खतरा ज्यादा:

अध्ययन के मुताबिक जंगल में आग लगने या खेत में पराली जलाने के तुरंत बाद अस्थमा के मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की संख्या में 8 प्रतिशत की बढोतरी हो जाती है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि जैसे ही पर्यावरण में 2.5 पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) से ज्यादा प्रदूषण बढ़ता है तो हार्ट अटैक, स्ट्रोक, अस्थमा और सांस से संबंधित रोगियों की संख्या में इजाफा होना शुरू हो जाता है। अध्ययन में पाया गया कि जिस क्षेत्रों में आग लगती है वहां से सौ किलोमीटर दूर तक बच्चों में इसके कारण अंगों में सूजन होते देखा गया। यहां तक कि इम्यून सिस्टम भी कमजोर पाया गया। अध्ययन के मुताबिक जंगल में आग लगने का प्रभाव बहुत दिनों तक इंसानों पर रहता है। अध्ययन में यह भी कहा गया कि आग लगने वाले क्षेत्रों में कोविड संक्रमण के बढ़ने का भी जोखिम ज्यादा हो जाता है, क्योंकि इससे लोगों में इम्युननिटी कम होती है।

इससे कैस बचें

  • अगर पराली जलाने से प्रदूषण बढ़ता है तो जहां तक संभव हो बाहर न निकलें, खासकर सांस की परेशानी से संबंधित लोग।
  • हमेशा खिड़की बंद कर रखें।
  • अगर आप खरीद सकते हैं तो घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें। अगर एयर प्यूरीफायर नहीं खरीद सकते तो घर में एग्जॉस्ट फैन का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • अगर आप एसी इस्तेमाल करते हैं तो इसे रिसर्कुलेट मोड में रखें यानी सिर्फ कुलिंग ही हो। इसके पंखे न चलाएं।
  • एसी के फिल्टर को रोजाना चेक करें।

                      Written By: Shahina Noor


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