Move to Jagran APP

Sunburn Skin Issues : अगर आप भी सनबर्न को लेते हैं हल्के में, तो सावधान हो जाएं, बन सकता है Skin Cancer की वजह

क्या आपको भी गर्मियों में अक्सर सनबर्न हो जाता है? अगर हां तो यह आर्टिकल आपको जरूर पढ़ना चाहिए। चुभती जलती गर्मी के मौसम में धूप से बचना नामुमकिन है लेकिन ज्यादा समय तक धूप में समय बिताने की वजह से Sunburn हो सकता है जिससे स्किन कैंसर का खतरा भी रहता है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं इसका कारण और Sunburn causes and prevention के कुछ टिप्स।

By Swati Sharma Edited By: Swati Sharma Published: Fri, 26 Apr 2024 02:53 PM (IST)Updated: Fri, 26 Apr 2024 02:53 PM (IST)
क्या सनबर्न की वजह से स्किन कैंसर हो सकता है?

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। गर्मी के मौसम में बाहर निकलना यानी चिलचिलाती धूप का सामना करना पड़ता है। तेज धूप की वजह से ज्यादा पसीना, घमौरी और Sunburn की समस्या हो सकती है। हालांकि, सनबर्न को हम ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते, लेकिन आपको बता दें कि इसके काफी खतरनाक परिणाम भोगने पड़ सकते हैं।

loksabha election banner

सनबर्न Skin Cancer का कारण भी बन सकता है। जी हां, सनबर्न की वजह से स्किन कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए इस बारे में और जानकारी हासिल करने के लिए हमने हेल्थ एक्सपर्ट से बात की, जिन्होंने हमे बताया कि कैसे सनबर्न की वजह से स्किन कैंसर हो सकता है और किन तरीकों से इससे बचा जा सकता है। आइए जानते हैं उनका क्या कहना है।

कैसे सनबर्न की वजह से हो सकता है स्किन कैंसर?

सनबर्न और स्किन कैंसर के बारे में बात करते हुए एंड्रोमेडा कैंसर हॉस्पिटल, सोनीपत के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग के चेयरमैन, डॉ. दिनेश सिंह ने बताया कि ज्यादा समय तक धूप में रहने की वजह से सूरज की किरणों में मौजूद अल्ट्रावॉयलेट किरणें त्वचा में मौजूद सेल्स के डीएनए को नुकसान पहुंचा सकती हैं (Harmful Effects of UV Rays)।

इसकी वजह से डीएनए में बदलाव होता है, जो आगे चलकर कैंसर का कारण बनते हैं। इसका खतरा ज्याादतर उन लोगों को होता है, जो धूप में काफी ज्यादा समय बिताते हैं। इसके आगे बात करते हुए उन्होंने बताया कि सन डैमेज की वजह से कई प्रकार के स्किन कैंसर हो सकते हैं, जैसे- बेसल सेल कार्सिनोमा, स्कवेमस सेल कार्सिनोमा और मिलेनोमा।

यह भी पढ़ें: हड्डियों को खोखला बना सकती है इस विटामिन की कमी

सन एक्सपोजर से होने वाले स्किन कैंसर-

  • बेसल सेल कार्सिनोमा- सूरज की हानिकारक किरणों की वजह से होने वाली समस्याओं में यह कैंसर सबसे आम है। यह आमतौर पर चेहरे, नीचले होंठ, नाक, कान, हाथ और बाजू जैसे हिस्सों पर होता है, क्योंकि शरीर के ये भाग ही ज्यादा समय तक धूप का सीधा सामना करते हैं।
  • स्कवेमस सेल कार्सिनोमा- यह कैंसर भी धूप में ज्यादा समय बिताने की वजह से होता है और यह भी ज्यादातर, चेहरे, नाक, कान, हाथ और बाजुओं पर होता है। हालांकि, यह बेसल सेल कार्सिनोमा से ज्यादा खतरनाक होता है।
  • मिलेनोमा- यह भी सन लाइट में ज्यादा समय बिताने की वजह से हो सकता है, लेकिन इसके ज्यादातर मामले इस वजह से नहीं पाए जाते हैं। स्किन कैंसर में यह सबसे खतरनाक माना जाता है। आमतौर पर, यह मोल्स (तिल) की वजह से होता है।

इसके आगे बात करते हुए डॉ. सिंह ने बताया कि विटामिन-डी की जरूरी मात्रा को पूरा करने के लिए सूरज की रोशनी में समय बिताना बेहद जरूरी है। हाल ही में, एक स्टडी में भी पाया गया है कि भारत की 80 प्रतिशत शहरी आबादी विटामिन-डी की कमी से ग्रस्त है। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि धूप में समय भी बिताया जाए और इसके हानिकारक किरणों से बचाव भी किया जाए, ताकि स्किन की कोई बीमारी न हो।

कैसे कर सकते हैं सनबर्न और स्किन कैंसर से बचाव?

  • सनस्क्रीन का इस्तेमाल- आपके शरीर का जो भी भाग सूरज की रोशनी में एक्सपोज होने वाला है, जैसे चेहरा, कान, गर्दन, हाथ आदि, वहां अच्छी तरह से सनस्क्रीन लगाएं। हमेशा एसपीएफ 30 या उससे ज्यादा का सनस्क्रीन इस्तेमाल करें। इसके अलावा आप पीए+++ का भी ध्यान रखें, जो ब्लू लाइट से बचाव करता है। साथ ही, अगर आप बाहर धूप में है, तो हर दो घंटे में सनस्क्रीन रीअप्लाई करें और स्विमिंग या पसीना आने के बाद भी सनस्क्रीन दोबारा लगाएं।
  • धूप में कम जाएं- विटामिन-डी के लिए सूरज की रोशनी जरूरी है, लेकिन कोशिश करें कि 10 से 4 बजे के बीच के समय में सीधी धूप में निकलें, क्योंकि इस समय सबसे ज्यादा यूवी किरणें निकलती हैं। कोशिश करें कि इस दौरान आपका ज्यादा से ज्यादा समय घर के भीतर बीते और अगर इस समय बाहर निकलें, तो किसी छांव की जगह में रहने की कोशिश करें, जैसे पेड़ के नीचे, ऑनिंग या छाता कैरी करें।
  • प्रोटेक्टिव वेयर पहनें- धूप से बचने के लिए हल्के और पूरी बाजू की कपड़े पहनें, स्लैक्स, हैट और सनग्लासेज का इस्तेमाल करें।
  • स्किन की नियमित जांच- अपन त्वचा में होने वाले बदलावों पर ध्यान दें। देखें कि कहीं कोई तिल या स्पॉट नया तो नहीं आया है या उसका रंग या आकार तो नहीं बदल रहा। अगर ऐसा कुछ लगे, तो तुरंत अपने डॉक्टर को इस बारे में बताएं।

यह भी पढ़ें: सिर्फ नींद की कमी ही नहीं, आंखों के नीचे पड़े काले घेरों के पीछे होते हैं ये 8 बड़े कारण!

Picture Courtesy: Freepik


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.