दिल और दिमाग ही नहीं, सेहत के लिए भी बहुत ही नुकसानदायक है डिप्रेशन की समस्या
डिप्रेशन से महज आपके दिल और दिमाग पर ही नहीं सेहत पर भी बहुत ही बुरा असर होता है। खराब डाइजेशन के साथ इससे इम्यून सिस्टम और यहां तक कि लिवर भी कमजोर हो जाता है।
बहुत ही कम लोग इस बात से वाकिफ होंगे कि डिप्रेशन हमारे शरीर के अंगों पर भी बुरा प्रभाव डालता है क्योंकि हमारे ब्रेन का एक खास हिस्सा, जो हमारी भावनाओं को कंट्रोल करता है, गहरी उदासी या डिप्रेशन की स्थिति में वह शिथिल पड़ जाता है, जिससे असमय बालों का पकना, कब्ज, अनिद्रा और यहां कि इम्यून सिस्टम भी कमजोर हो जाता है। जानेंगे डिप्रेशन और किस तरह से सेहत के लिए है नुकसानदायक।
स्किन, आंखों व बालों के लिए नुकसानदायक
डिप्रेशन में लोग सबसे पहले खाना- पीना छोड़ देते हैं तो वहीं कुछ लोग बहुत ज्यादा खाने लगते हैं जिससे उनका वजन तो बढ़ता ही है साथ ही पेट भी साफ नहीं रहता। इसका नतीजा बालों का झडऩा, सफेद होना, आंखों का कमज़ोर पडऩा, चेहरे पर झुर्रियां और एडियों के फटने जैसी कई समस्याएं होने लगती हैं। सही तरीके से नींद न लेने की वजह से आंखों के आगे डार्क सर्कल्स दिखने लगते हैं।
डाइजेशन पर असर
जब किसी बात को लेकर बहुत ज्यादा टेंशन होती है, तो हमारा डाइजेशन सिस्टम बिगड़ जाता है। दरअसल डिप्रेशन के दौरान सिंपैथेटिक नर्वस सिस्टम एक्टिव होने की वजह से आंतों में हाइड्रोक्लोरिक एसिड का सेक्रेशन बढ़ जाता है, जिससे पेट में दर्द, सीने में जलन, कब्ज़ या लूज़ मोशन जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं।
कमज़ोर इम्यून सिस्टम
डिप्रेशन की स्थिति में तनाव बढ़ाने वाले हॉर्मोन कार्टिसोल का सेक्रेशन तेज़ी से होने लगता है। जिससे बॉडी का इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगता है। इसी वजह से डिप्रेशन से ग्रस्त लोगों को सर्दी-ज़ुकाम, खांसी और बुखार जैसी समस्याएं बार-बार परेशान करती हैं।
मांसपेशियों में खिंचाव
चिंता या तनाव होने पर स्वाभाविक रूप से मांसपेशियों में खिंचाव आ जाता है। इससे सिर और कंधे में दर्द हो सकता है। कई बार इसकी वजह से माइग्रेन की भी समस्या हो सकती है। डिप्रेशन में लोगों की फिजि़कल एक्टिविटीज़ कम हो जाती हैं। शरीर में कैल्शियम और विटमिन डी की कमी हो जाती है, जिससे उन्हें हाथ-पैरों की मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द की समस्या होती है।
लिवर पर असर
तनाव और चिंता की स्थिति में लिवर में ग्लूकोज का सिक्रीशन बढ़ जाता है। इसके अलावा कॉर्टिसोल हॉर्मोन शरीर में फैट की मात्रा और भूख भी बढ़ा देता है। इसी वजह से डिप्रेशन में कुछ लोग मोटे हो जाते हैं तो कुछ के शरीर में शुगर का लेवल बढ़ जाता है। अगर किसी को ज्य़ादा लंबे समय तक डिप्रेशन हो तो उसे डायबिटीज़ की समस्या हो सकती है। जब लिवर सही ढंग से काम नहीं करता तो किडनी पर भी इसका बुरा असर पड़ता है।