Zika Virus & Pregnancy: गर्भावस्था में कितना ख़तरनाक हो सकता है ज़ीका वायरस?
Zika Virus Pregnancy ज़ीका वायरस का वाहक भी एडीज़ नामक मच्छर ही है। इस वायरस का असर तीन माह तक मनुष्य के शरीर में रह सकता है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Zika Virus & Pregnancy: ज़ीका वायरस भी मच्छरों द्वारा फैलाए जाने वाला वायरस है। ज़ीका वायरस का वाहक भी एडीज़ नामक मच्छर ही है। इस वायरस का असर तीन माह तक मनुष्य के शरीर में रह सकता है। वैसे, ज़ीका वायरस जानलेवा बीमारी नहीं है लेकिन यह काफी ख़तरनाक बीमारियों में से एक है।
ज़ीका वायरस के लक्षण
ज़्यादातर रोगियों में ज़ीका वायरस के कारण कोई भी खास लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। यहां तक कि लक्षण भी मच्छर काटने के 3 से 7 दिन बाद दिखाई देते हैं। इनमें मुख्य लक्षण हैं:-
- हल्का-हल्का बुखार आना
- सिर में दर्द होना
- जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द होना
- शरीर पर रेशेज़ या चकते होना
- आंखे लाल रहना
ज़ीका वायरस के कारण गर्भावस्था में होने वाली दिक्कतें
डॉ. जय प्रकाश ने बताया कि गर्भावस्था के समय मां को अगर ज़ीका वायरस संक्रमण हो जाता है, तो गर्भपात भी हो सकता है। इसके अलावा पैदा होने वाले शिशु का सिर सामान्य आकार से छोटा भी रह सकता है। मां की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी काफी कम हो जाती है जिससे अत्यधिक रक्त्स्त्राव होना, शिशु का समय से पहले जन्म लेना आदि विकार भी हो सकते हैं। कई मामलो में मां और शिशु की जान भी ख़तरे में पड़ सकती है।
कई मामले देखे गए हैं, जिनमें ज़ीका वायरस के कारण जन्म के बाद शिशु का मस्तिष्क चपटा हो गया। साथ ही मस्तिष्क की कोशिकाओं में भी काफी विकार उत्पन्न हो सकते हैं जो की बहुत हानिकारक है। जन्म के बाद शिशु की मांसपेशियों में खिंचाव और दर्द रह सकता है। उसे चलने में दिक्कत का सामना भी करना पड़ सकता है।
ज़ीका वायरस का उपचार
डॉ. जय का ये भी कहना है कि ज़ीका वायरस भी मच्छरों द्वारा फैलाया जाता है इसलिए हमें ज़ीका वायरस और उसके द्वारा दिए गए बुखार के उपचार के लिए मच्छरों से खुद की रोकथाम करना ज़रूरी है। हमें शरीर को अच्छे से ढकने वाले कपड़े पहनने चाहिए, जो हाथों और पैरों को अच्छे से ढकें। जैसे पूरी बांह की कमीज़ और लंबी पेंट पहनें, मौज़ों का उपयोग करें। मच्छरों को भगाने वाली क्रीम का इस्तेमाल करना चाहिए, मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए।
वैसे तो ज़ीका वायरस का कोई भी इलाज़ अभी तक संभव नहीं हो पाया है, क्योंकि अभी तक इसकी कोई भी वैक्सीन नहीं बन पायी है लेकिन अगर हम अच्छे से रोकथाम ही कर लें तो इसका उपचार अपने आप ही हो जाएगा। इसके लिए रोगी को जितना हो सके उतना आराम करने की राय दी जाती है। तरल पदार्थ का सेवन करने पर ही उपचार संभव है। अगर आराम और घरेलू नुस्खे से भी रोगी को राहत नहीं मिल पा रही है और तेज़ बुखार, बदन दर्द है, तो चिकित्सक ऐसे रोगी को इस बीमारी के निदान के लिए एसिटाफेनोमेन और आइबुप्रोफेन आधारित दवाई देते हैं ताकि उनको बुखार और दर्द से राहत मिलें और साथ ही वे जल्द से जल्द स्वस्थ हो सके।