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Covid-19 Affecting Speech: कोरोना वायरस ऐसे पहुंचा रहा है आपके दिमाग़ को नुकसान

Covid-19 Affecting Speech हाल ही में हुए शोध से पता चला कि कोरोना वायरस के कई मरीज़ न्यूरोलॉजिकल समस्याओं से जूझ रहे हैं। मुख्य रूप से भ्रम और प्रलाप जैसी दिक्कतें. यह पूरी तरह से असामान्य और डरावना था

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 01:00 PM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 01:00 PM (IST)
Covid-19 Affecting Speech: कोरोना वायरस ऐसे पहुंचा रहा है आपके दिमाग़ को नुकसान
कोरोना वायरस ऐसे पहुंचा रहा है आपके दिमाग़ को नुकसान।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Covid-19 Affecting Speech: कोविड-19 रोगियों द्वारा अनुभव की गई परेशानियों के बारे में पता लगाने के लिए 80 से अधिक अध्ययनों का विश्लेषण किया गया, उनमें से लगभग एक तिहाई लोगों के मस्तिष्क के एक हिस्से में असामान्यताएं देखी हैं। इस शोध से कोरोना वायरस से जुड़े न्यूरोलॉजिकल लक्षणों का पता चला।

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इस अध्ययन की समीक्षा 'सीज़र: यूरोपियन जर्नल ऑफ एपिलेप्सी' में छपी है, जो असामान्यताओं पर केंद्रित है, और इसका पता लगाने के लिए इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम (ईईजी) स्कैन का उपयोग किया गया, जो मस्तिष्क में विद्युत गतिविधि का मूल्यांकन करने के लिए उपयोग की जाती है।

अमेरिका के बेलर कॉलेज ऑफ मेडीसिन, के न्यूरोलॉजी के एसिसटेंट प्रोफेसर ज़ुल्फी हनीफ ने कहा, "हमें 600 से ज़्यादा ऐसे मरीज़ मिले जो इससे प्रभावित थे। इससे पहले हमें इसके कुछ मामले देखने को मिले थे, लेकिन उस वक्त हम पूरी तरह से सहमत नहीं थे। हालांकि, अब अध्ययन के बाद हम विश्वास के साथ कह सकते हैं कि कोरोना वायरस संक्रमण और मस्तिष्क से जुड़ी परेशानियों में संबंध है।" 

वैज्ञानिकों ने समझाया कि मरीज़ों को उत्तेजना के लिए धीमी प्रतिक्रिया होती है, जिसके बाद दौरा पड़ता है, बोलने में दिक्कत आती है, भ्रम या फिर बेहोश करने की क्रिया के बाद उठने में दिक्कत आती है, उन्हें ईईजी टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है।

अध्ययनों की समीक्षा के बाद, शोधकर्ताओं ने कहा कि ईईजी से सबसे आम निष्कर्ष धीमा या असामान्य एलेक्ट्रिकल डिसचार्ज थे, जो ज्यादातर रोगियों के मस्तिष्क के सामने वाले हिस्से में पाए गए। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के रोगियों के ईईजी में पाए गए कुछ परिवर्तन ये संकेत देते हैं कि ये संक्रमण मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाता है जो इस बीमारी से उबरने पर भी ठीक नहीं हो सकते।

ज़ुल्फी हनीफ ने आगाह करते हुए कहा कि क्योंकि मस्तिष्क पुन: उत्पन्न नहीं हो सकता इसलिए इसे जो भी नुकसान पहुचेगा वह ज़िंदगी भर के लिए होगा। 

मरीज़ों में उम्रदराज़ पुरुष ज़्यादा   

एक और दिलचस्प अवलोकन यह था कि इस जटिलता से प्रभावित लोगों की औसत आयु 61 थी, जिसमें एक तिहाई महिलाएं थीं, तो दो तिहाई पुरुष थे। इससे ये पता चलता है कि कोविड-19 से मस्तिष्क को पहुंचने वाली हानी पुरुषों में अधिक सामान्य हो सकती है।


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