Holi & Pregnancy: प्रेग्नेंसी में मां और बच्चे दोनों को नुकसान पहुंचा सकते हैं होली के रंग, ऐसे रहें सावधान
Holi Celebration Pregnancy आजकल हर्बल रंगों के इस्तेमाल पर ज़ोर दिया जा रहा है। इन रंगों से त्वचा आंखों या फेफड़ों को नुकासन नहीं होता। इस मौके पर हमने तीन डॉक्टरों से बात की कि प्रेग्नेंसी में होली के वक्त किस तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Holi Celebration & Pregnancy: होली रंगों और खुशी का त्योहार है, लेकिन कई बार ये त्योहार रंग में भंग डालने का काम भी करता है। ख़ासतौर पर इस त्योहार में इस्तेमाल किए जाने वाले रंग त्वचा और बालों के साथ आंखों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। वहीं अगर आप गर्भवती हैं या आपका बच्चा छोटा है, तो कैमिकल युक्त होली के ये रंग काफी बुरा असर कर सकते हैं।
यही वजह है कि आजकल हर्बल रंगों के इस्तेमाल पर ज़ोर दिया जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि इन रंगों से त्वचा, आंखों या फेफड़ों को नुकासन नहीं होता। इस मौके पर हमने तीन डॉक्टरों से बात की कि प्रेग्नेंसी में होली के वक्त किस तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए। आइए जानें क्या कहना है इन डॉक्टर्स का:
होली के रंग पहुंचा सकते हैं नुकसान
नोएडा के मदरहुड हॉस्पिटल में गाइनेकोलॉजी और ऑब्सटेट्रिक्स कंसल्टेंट डॉ. मनीषा रंजन ने कहा, "गर्भावस्था के दौरान हार्मोन में असंतुलन होने से सभी जॉइंट्स (जोड़) और लिगामेंट ढीले हो जाते हैं, इम्युनिटी कमज़ोर हो जाती है और त्वचा बहुत संवेदनशील हो जाती है। यह बहुत ही नाज़ुक अवस्था होती है इसलिए इस दौरान भारी काम और गतिविधि नहीं करना चाहिए और ख़तरनाक रंगों का भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इससे शरीर में चोट लग सकती है, जिससे समय से पहले बच्चे का जन्म, गर्भपात या जन्मदोष हो सकता है। इसलिए यह ज़रूरी है कि दिशानिर्देशों का पालन किया जाए और हानिकारक रंगों का उपयोग करने की बजाय, घर के बने रंगों जो मेंहदी, पालक, चुकंदर से बने हो उनसे होली खेली जाए या फूलों की पंखुड़ियों जैसे गुलाब, गेंदा आदि का इस्तेमाल करना चाहिए। इंडस्ट्रियल रंगों में कभी-कभी इंजन तेल की मिलावट होती है जिससे त्वचा, बाल और नाखून में जलन या एलर्जी होती है।"
होली पर न बरतें लापरवाही
दिल्ली के नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी, में फर्टिलिटी कंसल्टेंट डॉ. अस्वती नायर का कहना है, "इस साल हमें होली खेलते हुए ज्यादा सावधान रहने की ज़रूरत है, क्योंकि कोविड के केसेस भारत में फिर से बढ़ रहे हैं। हमारा लापरवाह व्यवहार कई लोगों की जिंदगियों को ख़तरे में डाल सकता है। जो महिलाएं आईवीएफ ट्रीटमेंट की प्रक्रिया से गुज़र रही हैं अगर वे होली खेलने की ख़्वाहिश रखती हैं, तो उन्हें ज्यादा सावधान रहने की ज़रूरत है। ऐसी महिलाओं को भीढ़-भाड़ वाली और पानी वाली होली खेलने से दूर रहना चाहिए। ऐसी जगहों पर गंभीर चोट लगने की संभावना ज़्यादा है, अगर चोट लग जाती है, तो पूरी आईवीएफ प्रक्रिया बाधित हो जाती है। यहां तक कि डाइट में भी सतर्कता बरतनी चाहिए नहीं तो इसका भी असर आईवीएफ प्रकिया में पड़ता है। इस दौरान ख़ूब सारी गुजिया खाना चिंताजनक हो सकता है। इसलिए आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान सभी आवश्यक पोषक तत्वों के साथ एक स्वस्थ संतुलित डाइट लेना बहुत महत्वपूर्ण है।"
भीड़भाड़ वाले इलाकों से रहें दूर
गाज़ियाबाद के कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल, के डॉ. दीपक वर्मा ने कहा, "वे लोग जो 2 हफ्ते या इससे पहले वैक्सीन का डोज़ लगवा चुके है, वे सावधानी के साथ होली खेल सकते हैं। जबकि अन्य लोग जैसे कि बुज़ुर्ग, 45 साल से ज़्यादा उम्र के कोमोर्बिडीटी वाले लोग, 10 साल से कम उम्र के बच्चे और गर्भवती महिलाएं अगर भीड़भाड़ वाली खेलती हैं, तो उन्हें कोविड-19 और वायरल इन्फ्लुएंजा से पीड़ित होने का ज़्यादा ख़तरा है। जो लोग हाल ही में रिकवर हुए हैं या जिन्होंने वैक्सीन लगवाई और जिनमें अच्छे एंटीबॉडी हैं, वे खुले, हवादार
क्षेत्र में मास्क लगाकर सूखी होली खेल सकते हैं। उन्हें यह ज़रूर सुनिश्चित करना चाहिए कि वे किसी बंद वातावरण में होली न खेलें और किसी भी समय मास्क न निकालें।"
प्रेग्नेंसी में न खेलें होली
"जिन्हें बुखार/आईएलआई (इन्फ्लुएंजा लाइक इलनेस) या जो महिला गर्भवती हो उन्हें बिल्कुल भी होली नहीं खेलनी चाहिए। उन्हें किसी भी भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए क्योंकि इससे बीमारी बहुत तेज़ी से फैल सकती है। गर्भवती महिलाओं को कोविड के साथ-साथ वायरल इन्फ्लुएंजा से ज़्यादा ख़तरा होता है, क्योंकि उनके इम्यून सिस्टम में बदलाव होते हैं इसलिए उन्हें भीड़भाड़ वाली होली खेलने से पूरी तरह से मना किया जाता है। वायरल इन्फ्लुएंजा से गर्भावस्था पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि इससे बच्चे का विकास बाधित हो सकता है।"