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Depression and Obesity: मोटे लोग क्यों जल्दी होते है डिप्रेशन का शिकार, जानिए रिसर्च

Depression and Obesity मोटापा बढ़ने का कारण ओवर इटिंग निष्क्रिय जीवन और ज्यादा मीठा खाना जिम्मेदार है। मोटापा ना सिर्फ इनसान के शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है बल्कि इनसान को मानसिक रूप से भी बीमार बना सकता है।

By Shahina NoorEdited By: Published: Thu, 12 Aug 2021 05:40 PM (IST)Updated: Thu, 12 Aug 2021 07:19 PM (IST)
Depression and Obesity: मोटे लोग क्यों जल्दी होते है डिप्रेशन का शिकार, जानिए रिसर्च
मोटापा बॉडी के साथ ही मानसिक हेल्थ के लिए भी खतरा है।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। मोटापा तेज़ी से बढ़ने वाली ऐसी बीमारी है जिससे कई बीमारियां पैदा होती है। मोटापा से ही पैदा होने वाली एक बीमारी है अवसाद यानि डिप्रेशन। मोटापा बढ़ने का कारण ओवर इटिंग, निष्क्रियता, और ज्यादा मीठा खाना है। मोटापा ना सिर्फ इनसान के शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है बल्कि यह आपको मानसिक रूप से भी बीमार बना देता है। मोटापा आपको डिप्रेशन का शिकार बना सकता है, यह बात एक रिसर्च में भी सामने आ चुकी है। इस रिसर्च के नतीजे ह्यूमन मोलेक्यलर जेनेटिक्स जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं।

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बॉडी के साथ ही मानसिक हेल्थ के लिए भी खतरा है मोटापा:

ब्रिटेन में मोटापा पर की गई एक रिसर्च के मुताबिक चार में से एक इनसान मोटापे का शिकार हैं। इतना ही नहीं बच्चे भी तेजी से इस बीमारी की गिरफ्त में आ रहे हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक मोटापा आज वैश्विक चुनौती बनता जा रहा है। मोटापा ना सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि इससे मानसिक हेल्थ को भी खतरा होता है।

यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सीटर के शोधकर्ताओं ने मोटापे से पीड़ित लोगों के मानसिक स्वास्थ्य का परीक्षण करने के लिए ब्रिटेन के 1.45 लाख लोगों के जेनेटिक डाटा का अध्ययन किया। इस विस्तृत अध्ययन में शोधकर्ताओं ने ऐसे जेनेटिक वेरिएंट के बारे में पता लगाया जिसका संबंध ऊच्च बीएमआई (BMI) से था।

जीन ही नहीं सामाजिक कारण भी है मोटापा के लिए जिम्मेदार:

मोटापा के लिए सिर्फ जीन ही जिम्मेदार नहीं है बल्कि सामाजिक कारण भी जिम्मेदार है। शोधकर्ताओं ने अध्ययन में शामिल लोगों में अवसाद, चिंता और अच्छाई का आकलन करने के लिए सवालों का एक सेट तैयार किया। शोधकर्ताओं ने जेनेटिक वेरिएंट वाले लोगों से सवाल पूछे, जिसमें पाया गया कि जीन के एक सेट के कारण लोग मोटापा से पीड़ित तो हुए लेकिन उनको हाई ब्लड प्रेशर, टाइप 2 डाइबिटीज जैसी कोई परेशानी नहीं थी। जिन व्यक्तियों में जीन का दूसरा सेट मिला वे मोटे भी थे और मेटाबोलिक रूप से कमजोर भी थे। यानी ऐसे लोगों में हाई ब्लड प्रेशर और डाइबिटीज की आशंका ज्यादा थी।

शोधकर्ताओं ने निकाला निष्कर्ष:

अध्ययन में यह भी पाया गया कि जीन के दोनों सेट में शारीरिक और सामाजिक दोनों कारणों ने प्रभावित किया है। जीन के कारण शारीरिक परेशानियां सामने आईं, जबकि सामाज के कारण मानसिक परेशानियां देखने को मिली। 


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