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क्या आपकी कॉलोनी में भी मच्छर भगाने के लिए होती है फॉगिंग?, जानें-इसके नुकसान

ऐम्स के सीनियर डॉक्टर का कहना है कि एक शोध में पाया गया है कि मच्छर वास्तव में इस कैमिकल के प्रतिरोधी हैं फॉगिंग से मरते नहीं हैं। इसलिए फॉगिंग पर आप भरोसा नहीं कर सकते हैं।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Sat, 27 Jul 2019 01:15 PM (IST)Updated: Fri, 11 Sep 2020 12:01 PM (IST)
क्या आपकी कॉलोनी में भी मच्छर भगाने के लिए होती है फॉगिंग?, जानें-इसके नुकसान
क्या आपकी कॉलोनी में भी मच्छर भगाने के लिए होती है फॉगिंग?, जानें-इसके नुकसान

नई दिल्ली, जेएनएन। बरसात के मौसम के आते ही  डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियां भी दस्तक देती है। ये बीमारियां मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से फैलती है। इसमें डेंगू सबसे ज्यादा खतरनाक होता है।  यह मच्छर के पनपने का सबसे अनुकूल समय होता है क्योंकि इन महीनों में बारिश के बाद साफ पानी के गड्ढे भर जाते हैं और यहीं यह मच्छर अंडे देते हैं, जिन्हें हम लार्वा कहते हैं। 

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मच्छर से होने वाली खतरनाक बीमारियों से बचने के लिए लोग कई तरह के उपाय आज़माते हैं। जैसे क्रीम, स्प्रे, मैट, रैकेट और फॉगिंग। आज हम बता रहे हैं कि मच्छरों को मारने के लिए फॉगिंग कितनी असरदार है। 

भले ही राज्य सरकार और नगरपालिका इन महीनों में फॉगिंग का सहारा लेती हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना ​​है कि फॉगिंग अप्रभावी है और डेंगू व चिकनगुनिया जैसी जानलेवा बीमारियों से छुटकारा पाने में मदद नहीं करती है।

अगर डाटा की मानें तो फॉगिंग से वास्तव में मच्छरों की संख्या पर कुछ खास असर नहीं पड़ता है। यह धुआं मच्छरों को मारता नहीं है बल्कि कुछ देर के लिए भगा देता है। साथ ही यह जोखिम भरा भी है। 

खतरनाक है लेकिन असरदार नहीं है फॉगिंग 

ऐम्स के सीनियर डॉक्टर का कहना है कि एक शोध में पाया गया है कि मच्छर वास्तव में इस कैमिकल के प्रतिरोधी हैं, फॉगिंग से मरते नहीं हैं। इसलिए फॉगिंग पर आप भरोसा नहीं कर सकते हैं। डेंगू से छुटकारा पाना है तो उसके लार्वा को खत्म करना होगा।

नगर निगमों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली फॉगिंग मशीनें एक घंटे में 95 लीटर डीजल में कीटनाशक को मिलाकर इस्तेमाल करते हैं। डॉक्टरों के अनुसार, फॉगिंग में उपयोग किए जाने वाले कीटनाशकों में से एक मैलाथियोन है जो मनुष्यों के लिए खतरनाक हो सकता है, खासकर कमजोर या बीमार लोगों के लिए।

मैलाथियोन लंबे समय तक के लिए हानिकारक हो सकता है। इससे लंबे समय के लिए दीर्घकालिक प्रभाव हो सकते हैं। वहीं, पूरी तरह से स्वस्थ लोगों को भी कुछ समय के लिए सांस से संबंधित और सिर दर्द जैसे दिक्कतें आ सकती हैं। जो लोग पहले से ही सांस से संबंधित दिक्कतों से जूझ रहे हैं उनके लिए यह खासकर हानिकारक हो सकता है। 


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