खाएंगे भूख से थोड़ा कम, तो बने रहेंगे लंबे समय तक हेल्दी
यदि हम अपनी भूख से थोड़ा कम खाते हैं तो इससे हमें लंबे समय तक स्वस्थ रहने में काफी मदद मिलती है। इससे डाइजेशन सही रहता है और कई तरह के बीमारियों से बचे रहते हैं।
अभी तक आप यही सुनती और पढ़ती आई हैं कि हमें जितनी भूख हो उतना भोजन करना चाहिए, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि बदलते दौर के साथ यह बात पुरानी हो गई है। हाल ही में अमेरिकी वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययनों से पता चला है कि यदि हम अपनी भूख से थोड़ा कम खाते हैं तो इससे हमें लंबे समय तक स्वस्थ रहने में काफी मदद मिलती है।
अमेरिकी वैज्ञानिकों का कहना है कि चाहे आपकी उम्र कम हो या अधिक आपको अपनी भूख से थोड़ा कम ही भोजन करना चाहिए। इससे न केवल हमारा पाचनतंत्र सही रहता है, बल्कि हम विभिन्न प्रकार की शारीरिक और मानसिक समस्याओं से भी बचे रहते हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर आप चाहती हैं कि आप लंबे समय तक स्वस्थ बनी रहें तो आपको प्रतिदिन अपनी भूख से थोड़ा कम ही भोजन करना चाहिए। इससे आपको न तो किसी प्रकार की शारीरिक समस्या का सामना करना पड़ेगा और न ही किसी प्रकार की मानसिक समस्या का।
कम खाएं मीठी चीजें
अगर आपको मीठी चीजें खाना बहुत ज्यादा पसंद हैं तो थोड़ा सतर्क हो जाएं। हाल ही में हुई एक रिसर्च के अनुसार बहुत ज्यादा मीठी चीजें खाने से दिमाग सुस्त हो जाता है। लंबे समय तक अधिक मीठा खाने से मस्तिष्क की सीखने और याद करने की क्षमता प्रभावित होती है। हालांकि इस संदर्भ में वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि अगर हम अपने भोजन में ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थ शामिल कर लें तो मीठी चीजों के सेवन से होने वाला नुकसान कम हो जाता है। जब भी आपका मन कोई मिठाई या चॉकलेट खाने करे तो इन्हें अधिक मात्रा में खाने से पहले एक बार जरूर सोचें। अगर आपका मन वाकई मीठा खाने का कर रहा है तो मीठा खाने के कुछ देर पश्चात दो-चार भीगे हुए बादाम या थोड़ा सा अखरोट खाना न भूलें।
नींद भी संतुलित हो
यह तो आपको पता ही है कि हेल्थ एक्सपर्ट हमें हमेशा संतुलित आहार और पर्याप्त नींद लेने की सलाह देते हैं, लेकिन ज्यादा खाने की तरह ज्यादा सोना भी सेहत के लिए नुकसानदेह साबित होता है। यह कहना है जापानी वैज्ञानिकों का। वैज्ञानिकों के अनुसार प्रतिदिन आठ घंटे से अधिक सोने वाले लोगों की न केवल शारीरिक सेहत पर खराब असर पड़ता है, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी खराब असर पड़ता है। आठ घंटे से अधिक सोने वाले लोगों में सही और गलत के बीच अंतर पहचानने और तत्काल निर्णय लेने की क्षमता भी काफी कमजोर हो जाती है।