अस्थमा के जोखिम को कम करती है मछली, जानिए रिसर्च बेस फायदे
अब ऑस्ट्रेलिया में हुई एक रिसर्च में भी दावा किया गया है कि मछली के सेवन से अस्थमा बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है। जेम्स कुक यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दावा किया गया है कि अगर मछली का सेवन किया जाए तो अस्थमा बीमारी को रोका जा सकता है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Fish for Asthma Patient: अपने देश के हैदराबाद में जीवित मछली के सेवन से अस्थमा का इलाज किया था, यहां सालों से हजारों लोग रोजाना लाइन में इस दवा के लिए इंतजार करते हैं। लोगों का दावा है इससे अस्थमा की बीमारी ठीक हो जाती है। अब ऑस्ट्रेलिया में हुई एक रिसर्च में भी दावा किया गया है कि मछली के सेवन से अस्थमा बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है। जेम्स कुक यूनिवर्सिटी (James Cook University) के वैज्ञानिकों ने दावा किया गया है कि अगर मछली का सेवन किया जाए तो अस्थमा बीमारी को होने से रोका जा सकता है।
अस्थमा के जोखिम को कम करती है मछली
यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एंद्रियास लोपेटा (Professor Andreas Lopata) ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका के एक गांव में 642 लोगों पर अध्ययन के बाद पाया गया कि मछली के सेवन से अस्थमा के जोखिम से बचा जा सकता है। प्रोफेसर लोपेटा ने बताया कि विश्व में 33 करोड़ लोग अस्थमा से पीड़ित हैं, इनमें से लाखों लोगों की जान हर साल अस्थमा के कारण जाती है। अध्ययन में कहा गया कि मछली में एन-3 ऑयल पाया जाता है जो अस्थमा के जोखिम को 62 प्रतिशत तक कम कर देता है।
ट्राउट, सार्डिन मछली में गुण
ऑस्ट्रेलिया में ही हुए एक अन्य अध्ययन में भी पाया गया कि सैमन, ट्राउट और सार्डिन जैसी मछलियों में एन 3 ऑयल की मात्रा अधिक होती है जिनके सेवन से बच्चों में अस्थमा के लक्षण में कमी आ सकती है। ऑस्ट्रेलिया में ला ट्रोब यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में किये गये क्लीनिकल ट्रायल में जब अस्थमा से पीड़ित बच्चों को छह महीने तक भोजन में मछली को शामिल किया गया तो इनके फेफड़े में महत्वपूर्ण सुधार देखे गए। यह अध्ययन 'ह्यूमन न्यूट्रिशन एंड डायटेटिक्स' में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन में कहा गया कि यह देखा गया है कि पौष्टिक भोजन बचपन में होने वाले अस्थमा के लिए संभावित कारगर थैरेपी हो सकता है।