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सिर्फ़ प्लेटलेट्स बढ़ जाने से ही ठीक नहीं हो जाता डेंगू, इन बातों का भी रखें ध्यान

dengue treatment डेंगू की बीमारी जागरुकता की कमी से जानलेवा बन रही है। सिर्फ प्लेटलेट्स की कमी पूरी होने जाने से मरीज़ ठीक नहीं हो जाता और भी कई बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 05:16 PM (IST)Updated: Tue, 17 Sep 2019 03:14 PM (IST)
सिर्फ़ प्लेटलेट्स बढ़ जाने से ही ठीक नहीं हो जाता डेंगू, इन बातों का भी रखें ध्यान
सिर्फ़ प्लेटलेट्स बढ़ जाने से ही ठीक नहीं हो जाता डेंगू, इन बातों का भी रखें ध्यान

नई दिल्ली, जेएनएन। Dengue Cure: मानसून के बाद डेंगू के मामलों में बढ़ोतरी होती है, ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि मच्छरों की पैदावार इस मौसम में बढ़ जाती है। मॉनसून के दौरान जल-जमाव सिर्फ़ आवाजाही या सुचारू ट्रैफिक में ही बाधा नहीं बनता बल्कि मच्छरों के लिए ब्रीडिंग ग्राउंड बनकर इंसानों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत बन जाता है। डेंगू की बीमारी इंसानों के लिए एक महामारी बन जाती है और इसके बारे में जागरुकता की कमी जानलेवा बन रही है। लोगों को ऐसा लगता है कि डेंगू के इलाज के दौरान अगर प्लेटलेट की कमी पूरी हो जाए तो मरीज़ ठीक हो जाता है लेकिन ऐसा नहीं होता। किसी भी मरीज़ को डेंगू से उबरने के लिए कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है।

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डेंगू विशेषज्ञों के मुताबिक, डेंगू में सबसे अहम होता है रक्त में मौजूद तरल का उतार-चढ़ाव। मरीज़ की रक्तधारा से बेहद ही ज़रूरी फ्लूइड निकल जाने की वजह से ही डेंगू जानलेवा बन जाता है। खून में प्लेटलेट्स की कमी से रक्तस्राव जैसी समस्या होती है। डेंगू के दौरान सबसे बड़ी परेशानी होती है कैपिलरी-लीकेज, जिसे समझा जाना बेहद ज़रूरी है। कैपिलरी की दीवारें इस बीमारी में अधिक छिद्रदार हो जाती हैं। जिसकी वजह से खून कोशिकाओं से रिसता हुआ शरीर में ही जमा होने लगता है। कोशिकाओं से रिसता हुआ ये खून शरीर के किसी काम का नहीं रहता, जिसकी वजह से शरीर में तरल प्लाज़्मा की कमी होने लगती है। तरल प्लाज्मा की इसी कमी की वजह से ब्लड प्रेशर तेज़ी से गिरने लगता है और हिमैटोक्रिट में इज़ाफ़ा होने लगता है।

डेंगू के रोगी के लिए तीन जांच बेहद ही अहम होती हैं ब्लडप्रेशर, हिमैटोक्रिट और प्लेटलेट्स काउंट। ऐसे में सिर्फ़ प्लेटलेट पर ध्यान देना काफी नहीं होता। डेंगू के दौरान इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि मरीज़ को खुद से किसी भी दवा का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसे में पैरासिटामॉल का सेवन किया जा सकता है, दूसरी कोई भी दवा हानिकारक साबित हो सकती है। 

आमतौर पर प्लेटलेट्स काउंट 20 हज़ार से नीचे पहुंचता है तभी डॉक्टर प्लेटलेट्स चढ़ाने की सलाह देते हैं। अगर मरीज़ का प्लेटलेट काउंट पर्याप्त है तो ऐसे में प्लेटलेट्स चढ़ाने का कोई फ़ायदा नहीं है। ऐसे में मरीज़ के लिए ये ज़रूरी हो जाता है कि उसे डॉक्टरी सलाह के मुताबिक ही इलाज लेना चाहिए। डेंगू के मरीज़ को इलाज में सिर्फ़ प्लेटलेट्स बढ़ाकर उसकी जान नहीं बचाई जा सकती, जान तभी बचेगी जब मरीज के शरीर में कैपिलरी-लीक को ठीक किया जाएगा। 


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