COVID-19 & Lungs: कोरोना से रिकवरी के बाद ख़त्म नहीं होती सांस की समस्या!
COVID-19 COPD कोविड-19 ऐसे तो शरीर के किसी भी अंग पर हमला कर सकता है लेकिन ये मुख्य तौर पर फेफड़ों से जुड़ी संक्रमण है। दिल और कैंसर की तरह ही अब फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों के मामले भी तेज़ी से सामने आ रहे हैं।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। COVID-19 & Lungs: दुनिया में सबसे ज़्यादा मौतें दिल और कैंसर से जुड़ी बीमारियों के कारण हो रही थीं, वहीं अब कोविड-19 संक्रमण के मामले भी रुकने का नाम नहीं ले रहे। पिछले साल मामूली संक्रमण के तौर पर शुरू हुए कोरोना वायरस ने एक साल में दुनियाभर के करीब 14 लाख लोगों की जान ले ली है।
कोविड-19 ऐसे तो शरीर के किसी भी अंग पर हमला कर सकता है, लेकिन ये मुख्य तौर पर फेफड़ों से जुड़ी संक्रमण है। दिल और कैंसर की तरह ही अब फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों के मामले भी तेज़ी से सामने आ रहे हैं। डॉक्टर्स का भी मानना है कि दुनिया में लाखों की संख्या में लोग क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़ (सीओपीडी) यानि श्वसन प्रणाली से जुड़े रोगों से पीड़ित हैं जिनमें एम्फिसेमा, क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस (श्वसन नली में सूजन), रिफ्रैक्टरी अस्थमा यानि न ठीक होने वाला दमा जैसे रोग प्रमुख हैं।
फेफड़ों और सांस से जुड़ी बीमारियां आमतौर पर मौसम बदलने, प्रदूषण, धुएं, धूम्रपान, निमोनिया जैसे संक्रमण के कारण शुरू होती हैं, जिनसे फेफड़ों अवरूद्ध होने लगते हैं और सांस लेने की क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है। कुछ दूर चलने में ही सांस लेने में तकलीफ होने लगती है या सांस फूलने लगती है, जिसके परिणाम स्वरूप शरीर में ऑक्सीज़न की मात्रा कम होती जाती है।
भारतीय मेडिकल एक्सपर्ट्स के अनुसार, देश सीओपीडी (COPD) का गढ़ बनता जा रहा है, जहां कुल आबादी में से 5% से 7% लोग इसी तरह की बीमारियों की चपेट में आ चुके हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। सवेर्क्षणों के अनुसार पुरुषों में सीओपीडी के लक्ष्ण 22 प्रतिशत और महिलाओं में 19 प्रतिशत तक पाए गए हैं। शुरुआत में ऐसे रोगों का पता लगाना मुश्किल होता है या फिर लोग समुचित जांच कराने में लापरवाही करते हैं। ऐसे रोगों का समय रहते अगर पता चल जाए तो इनका इलाज संभव है, लेकिन समस्या गंभीर होने पर ये लाइलाज हो जाते हैं और यहां जब की जान भी जा सकती हैं।
क्या हैं सोओपीडी के लक्षण
सीओपीडी रोग में मरीज़ को सांस लेने में परेशानी होना, गहरी सांस लेना, सांस लेने के लिए अपनी एक्सेसरीज मसल्स जैसे चेस्ट मसल्स और नेक का प्रयोग करना, कफ, खांसी, जुकाम, सीने में जकड़न, वजन कम होना, हार्ट की समस्याएं, फेफड़ों का कैंसर आदि लक्षण देखे जा सकते हैं। ये लक्षण लम्बे समय तक चलते हैं और समय के साथ-साथ मरीज की हालत भी बिगड़ती जाती है।
Disclaimer: लेख में दिए गए सुझाव और टिप्स सिर्फ सामान्य जानकारी के उद्देश्य के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। इसके बारे में ज़्यादा जानकारी या फिर अपनी डाइट में किसी भी तरह के बदलाव से पहले अपने डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ की सलाह ज़रूर लें।