ब्रेस्ट कैंसर से जुड़े जरूरी सवालों के जवाब, जानें एक्सपर्ट के साथ
समय रहते ब्रेस्ट कैंसर का पता लग जाए तो यह लाइलाज बीमारी नहीं है। ऐसे ही कई और सवाल ब्रेस्ट कैंसर को लेकर हैं। तो आइए जानते हैं इनके जवाब एक्सपर्ट्स के साथ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा किए गए एक स्टडी के अनुसार भारतीय स्त्रियों में ब्रेस्ट कैंसर की आशंका तेज़ी से बढ़ रही है। इसे लेकर उनके मन में कई तरह के सवाल भी उठते हैं। तो एक्सपर्ट से जानेंगे ब्रेस्ट कैंसर से जुड़े जरूरी सवालों के जवाब।
1. ब्रेस्ट कैंसर किस शारीरिक दशा को कहा जाता है?
शरीर में जब कुछ कोशिकाओं का विभाजन असामान्य और अनियंत्रित ढंग से होने लता है तो ऐसी कोशिकाएं गांठ का आकार ग्रहण कर लेती हैं, जो कैंसर का कारण बन जाती हैं। दरअसल ब्रेस्ट में कुछ ऐसे टिश्यूज़ होते हैं जो दूध बनाने का काम करते है और सूक्ष्म वाहिनियों (डक्ट) के ज़रिए निप्पल से जुड़े होते हैं। इसके अलावा इनके चारों ओर कुछ अन्य टिश्यूज़, फाइबर, फैट, नाडिय़ां, ब्लड वेसल्स और कुछ लिंफेटिक चैनल होते हैं, जिसने ब्रेस्ट की संरचना होती है। स्तन कैंसर के अधिकतर मामलों में डक्ट के भीतर छोटे और सख़्त कणों का संग्रह होने लगता है या ब्रेस्ट के टिश्यूज़ एक जगह जमा होकर गांठ जैसे बन जाते हैं, जो कई बार कैंसर का रूप धारण कर लेते हैं। फिर रक्त प्रवाह के ज़रिए यह बीमारी शरीर के अन्य अंगों में भी फैल सकती है।
2. किन लक्षणों से इस बीमारी की पहचान की जाती है?
ब्रेस्ट या आर्म पिट (बांहों के नीचे) में गांठ, आकार में कोई बदलाव, निप्पल का लाल हो जाना, खून या किसी भी तरीके का स्राव, त्वचा की रंगत में बदलाव, ब्रेस्ट का सख़्त हो जाना, जलन, दर्द, खिंचाव या सिकुडऩ का अनुभव होना, ब्रेस्ट का कोई हिस्सा अन्य हिस्सों से अलग दिखना आदि।
3. किन वजहों से यह बीमारी होती है?
इसके कारणों पर वैज्ञानिक निरंतर शोध कर रहे हैं और अभी वे किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं। फिर भी आनुवंशिकता को इसके लिए खातौर पर जि़म्मेदार माना जाता है। जिन स्त्रियों की मां, मौसी या बहन को ऐसी समस्या रही है, उनमें ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है। इसके अलावा रक्त संबंधियों में अगर किसी व्यक्ति को अन्य प्रकार का कैंसर हो तब भी ऐसी समस्या हो सकती है। मेनेपॉज़ के बाद हॉर्मोन रिप्लेस्मेंट थेरेपी लेने वाली स्त्रियों में इसकी आशंका बढ़ जाती है। शरीर में एस्ट्रोजेन हार्मोन की अधिकता को भी इस बीमारी के लिए जि़म्मेदार माना जाता है। लंबे समय तक गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन भी इसकी आशंका को बढ़ा देता है। ओबेसिटी या अधिक मात्रा में एल्कोहॉल का सेवन करने पर भी ऐसी समस्या हो सकती है।
4. इसकी अवस्थाओं के बारे में बताएं।
गंभीरता के आधार पर इसे 4 प्रमुख अवस्थाओं में बांटा जाता है।
स्टेज 0- इसमें दूध बनाने वाले टिश्यूज़ या डक्ट में बना कैंसर वहीं तक सीमित रहता है।
स्टेज 1- इसमें कैंसरयुक्त टिश्यूज़ आसपास के स्वस्थ उत्तकों को प्रभावित करने लगते हैं। इससे कैंसर ब्रेस्ट के फैटी टिश्यूज़ और लिंफ नोड तक भी पहुंच सकता है।
स्टेज 2- इस अवस्था में कैंसर के फैलने की गति तेज़ हो जाती है।
स्टेज 3- में गांठ का आकार 5 सेमी. से बड़ा हो जाता है। वह ऑर्म पिट्स के आसपास मौज़ूद लिंफ नोड तक पहुंच जाता है।
स्टेज 4- में ब्रेेस्ट कैंसर लिवर, लंग्स और हड्डियों तक फैल चुका होता है।
5. इससे बचाव के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
महीने में एक बार शीशे के सामने खड़ी होकर सेल्फ ब्रेस्ट एग्ज़ामिनेशन करें। इस दौरान ब्रेस्ट के सभी हिस्सों को दबा कर देखना चाहिए। छूने पर अगर गांठ या तेज़ दर्द महसूस हो, रंगत या आकार में कोई बदलाव नज़र आए, बांहों के नीचे सूजन या कोई गांठ दिखाई दे तो बिना देर किए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
6. इसकी जांच कैसे की जाती है?
मेमोग्रॉफी, अल्ट्रासाउंड और एमआरआई के द्वारा इसका पता लगाया जाता है।
7. इसके उपचार के बारे में बताएं।
ब्रेस्ट कैंसर का उपचार उसके स्टेज के अनुसार तय होता है। अगर शुरुआती दौर में बीमारी का पता चल जाए तो केवल सर्जरी से गांठ वाले हिस्से को हटा दिया जाता है और इस अवस्था में कीमोथेरेपी की ज़रूरत नहीं पड़ती। वैसे अधिकतर मामलों से सर्जरी के साथ कीमोथेरेपी की भी ज़रूरत पड़ती है। स्टेज-4 में सर्जरी संभव नहीं होती और ऐसी अवस्था में केवल कीमोथेरेपी द्वारा कैंसरयुक्त कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है।
8. उपचार के बाद कोई स्त्री कंसीव कर सकती है?
काफी हद तक यह बात स्त्री की सेहत पर निर्भर करती है। कुछ स्त्रियां ट्रीटमेंट को लेने के बाद कंसीव कर लेती हैं लेकिन बीमारी के बाद पारिवारिक जीवन की शुरुआत से पहले डॉक्टर से सलाह ज़रूर लेनी चाहिए।
9. उपचार के बाद किसी स्त्री को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स से कई बार बाल झडऩे, लूज़ मोशन, जी मिचलाने, भोजन में अरुचि और कमज़ोरी जैसी समस्याएं हो सकती है। इनसे बचाव के लिए डाइटीशियन की सलाह पर पौष्टिक और संतुलित आहर लेना चाहिए। रंग-बिरंगे फलों और सब्जि़यों को भोजन में प्रमुखता से शामिल करना चाहिए। संक्रमण से बचाव के लिए स्वच्छता का ध्यान रखना ज़रूरी है। बाहर निकलते समय मास्क पहनना चाहिए। अगर इन बातों का ध्यान रखा जाए तो उपचार के बाद पीड़ितत स्त्री स्वस्थ और सक्रिय जीवन व्यतीत कर सकती है।
डॉ. शुभम गर्ग, सीनियर कंसल्टेंट, Max Super Speciality Hospital